छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में तीन नाबालिग बेटियों को नर्सिंग ट्रेनिंग और नौकरी का झांसा देकर ले जाने के मामले ने बड़ा राजनीतिक और सामाजिक रूप ले लिया है। इस घटना पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। उन्होंने कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे को राजनीति से जोड़ना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
सीएम ने जताई गहरी चिंता
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रारंभिक जांच के आधार पर इस पूरे मामले में मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण की आशंका जताई जा रही है। यह विषय सिर्फ कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे सामाजिक ताने-बाने और महिलाओं की गरिमा पर भी सीधा हमला है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ इस पूरे मामले की जांच करवा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि मामले की न्यायिक प्रक्रिया चल रही है और सभी पहलुओं की गंभीरता से जांच हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून अपना काम करेगा और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
ऐसी घटनाओं का राजनीतिकरण दुर्भाग्यपूर्ण
सीएम साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ एक शांतिप्रिय और समावेशी प्रदेश है, जहां सभी धर्मों और समुदायों के लोग भाईचारे से रहते हैं। ऐसे में बस्तर की बेटियों से जुड़ी इस तरह की घटनाओं को राजनीतिक रंग देना बेहद दुर्भाग्यजनक है। उन्होंने अपील की कि जब विषय बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा हो, तो उसे सियासी नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।
तीन आरोपी गिरफ्तार
गौरतलब है कि 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से दो कैथोलिक ननों समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। बजरंग दल के एक स्थानीय कार्यकर्ता की शिकायत के बाद कार्रवाई हुई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि तीनों आरोपी नारायणपुर की लड़कियों को जबरन धर्मांतरण कराने और उनकी तस्करी की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि बेटियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।