आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हुई। पीएम मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी और पंडित जसराज का मंत्र साझा किया। उन्होंने कहा कि यह पर्व भक्ति, साहस, संयम और सकारात्मक ऊर्जा से जीवन को भर देता है।
PM Modi: आज से पूरे देश में शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) का शुभारंभ हो रहा है। यह पर्व देवी माता की आराधना और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। देशभर में उत्साह का माहौल है और सभी श्रद्धालु देवी की पूजा-अर्चना में जुटे हैं। इस पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं और पंडित जसराज का गाया हुआ एक मंत्र सोशल मीडिया पर साझा किया है।
पीएम मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, "आप सभी को नवरात्रि की अनंत शुभकामनाएं। साहस, संयम और संकल्प के भक्ति-भाव से भरा यह पावन पर्व हर किसी के जीवन में नई शक्ति और नया विश्वास लेकर आए। जय माता दी!" मोदी ने अपने संदेश में नवरात्रि के महत्व और भक्ति के माध्यम से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने की बात कही।
शैलपुत्री माता की विशेष पूजा
पीएम मोदी ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विशेष पूजा का दिन है। उन्होंने कामना की कि माता के आशीर्वाद से हर व्यक्ति का जीवन सौभाग्य (fortune) और आरोग्य (health) से परिपूर्ण रहे। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आत्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बार नवरात्रि का पर्व विशेष है क्योंकि यह GST बचत उत्सव और स्वदेशी (Swadeshi) मंत्र से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह अवसर विकसित और आत्मनिर्भर भारत (self-reliant India) के संकल्प को साकार करने के लिए भी प्रेरक है। मोदी ने लोगों से अपील की कि वे सामूहिक प्रयासों में जुटकर देश की प्रगति में योगदान दें।
पंडित जसराज का भक्ति संगीत
पीएम मोदी ने पंडित जसराज का भावपूर्ण गायन (devotional singing) साझा किया। उन्होंने कहा कि नवरात्रि में भक्ति के अनेक रूप हैं और संगीत इस भक्ति को व्यक्त करने का सुंदर माध्यम है। मोदी ने लोगों से भी अपील की कि वे अपने पसंदीदा भजन या अपने द्वारा गाए गए भजन उन्हें साझा करें। उन्होंने वादा किया कि आने वाले दिनों में उनमें से कुछ भजन सोशल मीडिया पर साझा किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने नवरात्रि के माध्यम से सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि भक्ति केवल पूजा तक सीमित नहीं है बल्कि इसे जीवन में अनुशासन, संयम और सकारात्मकता लाने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। यह पर्व लोगों में सहयोग, सहिष्णुता (tolerance) और सामूहिक प्रयासों की भावना को मजबूत करता है।