Pune

पंजाब में 11 साल बाद होगी बैलगाड़ियों की रेस: मान सरकार ने हटाई पाबंदी; पारंपरिक खेलों को मिलेगा बढ़ावा

पंजाब में 11 साल बाद होगी बैलगाड़ियों की रेस: मान सरकार ने हटाई पाबंदी; पारंपरिक खेलों को मिलेगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बैलगाड़ी दौड़ को लेकर एक भावुक और सांस्कृतिक बयान देते हुए कहा कि पंजाब के किसान बैलों को अपने बेटों की तरह पालते हैं। 

चंडीगढ़: पंजाब में अब एक बार फिर पारंपरिक बैलगाड़ी रेस की रफ्तार दौड़ती नजर आएगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने 11 साल बाद बैलगाड़ी दौड़ पर लगी रोक को हटा दिया है। राज्य विधानसभा में पारित पंजाब पशु क्रूरता रोकथाम (पंजाब संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत यह फैसला लिया गया, जिससे पूरे राज्य में यह पारंपरिक खेल एक बार फिर शुरू हो सकेगा।

पारंपरिक विरासत से जुड़ा है बैलगाड़ी दौड़: भगवंत मान

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस फैसले को पंजाब की संस्कृति और ग्रामीण जीवनशैली से जुड़ा करार दिया। उन्होंने कहा, पंजाब में किसान बैलों को अपने बेटे की तरह पालते हैं। बैलगाड़ी दौड़ में शामिल बैलों की खुराक लाखों में होती है। यह सिर्फ खेल नहीं बल्कि हमारी परंपरा है। भगवंत मान ने गुरु नानक देव जी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने भी बैलों की सहायता से ही खेती की थी। 

इस फैसले से ना सिर्फ परंपरा को पुनर्जीवित किया जाएगा बल्कि देशी पशु नस्लों के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। बैलगाड़ी रेस की अनुमति कुछ अहम शर्तों के साथ दी गई है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि पशु क्रूरता को रोकने के लिए निम्न उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे:

  • पशुओं की नियमित पशु चिकित्सा जांच
  • प्रतिभागियों का पंजीकरण और दस्तावेजीकरण
  • खेल के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन
  • कानून उल्लंघन पर सख्त सजा

इस प्रकार, यह रेस अब नियमित निगरानी में आयोजित की जाएगी, जिससे किसी भी प्रकार की पशु क्रूरता की संभावना नगण्य हो जाएगी।

कांग्रेस के समय सिर्फ किला रायपुर को दी गई थी छूट

2014 में बैलगाड़ी दौड़ पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे पंजाब में बंद कर दिया गया था। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने एक संशोधित बिल पास किया था, जिसमें सिर्फ किला रायपुर स्पोर्ट्स फेस्टिवल को ही बैलगाड़ी दौड़ की छूट दी गई थी। लेकिन आम आदमी पार्टी की मौजूदा सरकार ने इसे पूरे पंजाब में लागू करने के लिए नया कानून लाकर बड़ा फैसला लिया है।

अकाली दल के विधायक मनप्रीत अयाली ने विधानसभा में कहा कि कुत्ता दौड़, कबूतरबाज़ी और बैलगाड़ी दौड़ जैसे पारंपरिक खेलों को रोका नहीं जाना चाहिए। शर्तें लगाई जा सकती हैं, परंपरा नहीं रोकी जानी चाहिए। इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष एक सुर में दिखाई दिए, जिससे बिल को बिना विरोध के पारित कर दिया गया।

प्राइवेट यूनिवर्सिटी को मिली हरी झंडी, संख्या हुई 19

विधानसभा सत्र में ही दो नई प्राइवेट यूनिवर्सिटी – रियात बाहरा प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (होशियारपुर) और सीजीसी यूनिवर्सिटी को मंजूरी दी गई। हालांकि विपक्ष ने रेगुलेशन की मांग करते हुए कहा कि निजी विश्वविद्यालयों पर फीस नियंत्रण और शिक्षा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए रेगुलेटरी अथॉरिटी की स्थापना जरूरी है। इसके बावजूद दोनों विश्वविद्यालयों के विधेयक बिना संशोधन के पास हो गए। अब पंजाब में कुल प्राइवेट यूनिवर्सिटियों की संख्या 19 हो गई है।

श्रम मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने पंजाब दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बिल 2025 और लेबर वेलफेयर फंड बिल, 2025 सदन में पेश किए। इसके तहत:

  • 20 कर्मचारियों तक वाले प्रतिष्ठानों को कई कानूनी प्रावधानों से छूट दी गई।
  • ओवरटाइम सीमा बढ़ाकर 144 घंटे प्रति तिमाही कर दी गई।
  • काम की अधिकतम अवधि 12 घंटे प्रतिदिन तय की गई (जिसमें ब्रेक भी शामिल है)।
  • 9 घंटे प्रतिदिन या 48 घंटे प्रति सप्ताह से अधिक काम करने पर दोगुना वेतन देने की व्यवस्था की गई है।

Leave a comment