प्रयागराज शहर से सटे झूंसी में स्थित HRI परिसर में पिछले दो दिनों से तेंदुए की मौजूदगी के संकेतों ने हड़कंप मचा रखा है। झूंसी की बस्तियों में लोग डर के साये में हैं। वन विभाग ने इस तेंदुए की गतिविधि का ठोस प्रमाण जुटाने के लिए वहाँ जंगल क्षेत्र में कैमरे लगाने का निर्णय लिया है।
HRI परिसर लगभग 200 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसमें आवासीय, कार्यालयीय, शैक्षणिक भवनों के अलावा एक बड़ा जंगल हिस्सा भी शामिल है। भवनों के आसपास पहले से ही सीसीटीवी कैमरे हैं, लेकिन जंगल की ओर कोई निगरानी व्यवस्था नहीं थी।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब तक तेंदुए की उपस्थिति की पुष्टि नहीं हो जाती, तब तक विशेषज्ञ टीम को बुलाना संभव नहीं है। इसलिए, सबसे पहले जंगल में निगरानी कैमरे लगाना आवश्यक है। इस कदम का मकसद तेंदुए के आने-जाने के रूट, उसकी संख्या, और उसके विश्राम स्थानों का पता लगाना है।
वन विभाग (DFO) अरविंद कुमार ने कहा कि सूचना मिलने पर एहतियातन पिंजरे लगाए गए हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। कैमरों की मदद से तेंदुआ कहीं छिप न सके, और उसकी पहचान हो सके — यही लक्ष्य है।
वन विभाग की प्रतिक्रियाएँ और चुनौतियाँ
विभाग पगचिह्न ढूँढ रहा है और जंगल व आसपास क्षेत्रों में छानबीन कर रहा है।
पिंजरे एवं जाल लगाए गए हैं, लेकिन तेंदुआ उन जगहों पर नहीं फँस रहा।
निरीक्षकों का कहना है कि तेंदुआ दिखने के बाद गायब हो जाता है, उसकी लोकेशन ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है।
नागरिकों की प्रतिक्रिया और भय
झूसी व आस-पास के हिस्सों में लोग डर के साए में हैं, विशेषकर रात में बाहर निकलने से परहेज़ कर रहे हैं।
कुछ घटनाओं में तेंदुए ने लोगों को भी डराया है — जैसे जमुनीपुर बेलवार में एक व्यक्ति ने कहा कि वह टॉर्च की रोशनी में तेंदुआ देख कर चिल्लाया, जिससे उनकी पत्नी बेहोश हो गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की प्रतिक्रिया देर से हो रही है और पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए गए।