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पुतिन पर चुभते सवाल पर तिलमिलाए ट्रंप, पत्रकार को सुनाई खरी-खोटी, जानिए पूरा मामला

पुतिन पर चुभते सवाल पर तिलमिलाए ट्रंप, पत्रकार को सुनाई खरी-खोटी, जानिए पूरा मामला

रूस पर कार्रवाई को लेकर पूछे गए सवाल पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भड़क गए। उन्होंने भारत पर लगे सेकेंडरी सैंक्शन्स का हवाला दिया और पत्रकार से कहा कि उसे नई नौकरी ढूंढ लेनी चाहिए।

America: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अक्सर अपने तीखे बयानों और प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुस्से भरे रिएक्शन के लिए सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में पोलैंड के राष्ट्रपति करोल नावरोकी के साथ बैठक के दौरान उनका ऐसा ही एक बयान सामने आया। रूस के खिलाफ कदम न उठाने पर पूछे गए सवाल पर ट्रंप इतने भड़क गए कि उन्होंने पत्रकार को नई नौकरी ढूंढने की सलाह दे डाली। इस दौरान उन्होंने भारत पर लगाए गए Secondary Sanctions और टैरिफ का भी हवाला दिया और दावा किया कि इससे रूस को "सैकड़ों अरब डॉलर" का नुकसान हुआ है।

ट्रंप से पूछा चुभता सवाल

बैठक के दौरान एक पोलिश पत्रकार ने पूछा कि अमेरिका रूस के खिलाफ ठोस कदम क्यों नहीं उठा रहा। यह सवाल ट्रंप को इतना चुभ गया कि उन्होंने तुरंत पलटवार किया। गुस्से से भरे ट्रंप ने कहा कि भारत रूस से तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा आयातक है और उनके प्रशासन ने इस पर भारी टैरिफ लगाया है।

ट्रंप ने तंज भरे अंदाज़ में कहा – "आपको कैसे पता कि कोई कार्रवाई नहीं हुई? भारत जैसे बड़े खरीदार पर सेकेंडरी टैरिफ लगाना क्या कोई कार्रवाई नहीं है?"

भारत पर 50% टैरिफ का दावा

ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा कि भारत पर 25% Reciprocal Tariff पहले से ही लागू है। इसके साथ ही, रूस से तेल खरीद जारी रखने की वजह से अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया गया है। इस तरह भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो चुका है और इसका सीधा असर रूस पर पड़ा है। उनके अनुसार इस कदम से रूस को पहले ही "सैकड़ों अरब डॉलर" का नुकसान हुआ है।

'फेज टू और फेज थ्री अभी बाकी हैं'

ट्रंप ने अपने बयान में यह भी साफ कर दिया कि रूस पर दबाव बनाने की प्रक्रिया यहीं खत्म नहीं होगी। उन्होंने कहा – "मैंने अभी तक दूसरा या तीसरा फेज पूरा नहीं किया है।"

माना जा रहा है कि अमेरिका आगे और भी कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। "Phase Two" और "Phase Three" की कार्रवाई रूस के खिलाफ किस रूप में होगी, इसका खुलासा ट्रंप ने नहीं किया, लेकिन इतना जरूर स्पष्ट किया कि वॉशिंगटन पीछे हटने वाला नहीं है।

पत्रकार पर हमला और 'नई नौकरी' वाली टिप्पणी

ट्रंप का गुस्सा सिर्फ नीति तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने पत्रकार के सवाल को "बेकार" करार दिया और कहा – "जब आप कहते हैं कि कोई कार्रवाई नहीं हुई है, तो मुझे लगता है कि आपको नई नौकरी ढूंढ लेनी चाहिए।"

यह बयान सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में तेजी से वायरल हुआ। ट्रंप के आलोचकों ने इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया, जबकि उनके समर्थकों ने इसे "मजबूत लीडर का जवाब" कहा।

भारत क्यों है इस विवाद के केंद्र में

भारत लंबे समय से रूस से कच्चा तेल आयात करता रहा है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए रूस से खरीद जारी रखी। इससे अमेरिका को चिंता है कि रूस को आर्थिक रूप से बड़ा नुकसान नहीं हो रहा।

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अगर भारत और चीन जैसे बड़े आयातक रूस से खरीदना बंद कर दें, तो मास्को पर सीधा दबाव पड़ेगा। लेकिन भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है और तेल आयात जारी रखता है।

Secondary Sanctions का असर

Secondary Sanctions का मतलब है कि अगर कोई तीसरा देश रूस जैसे प्रतिबंधित देश से कारोबार करता है, तो उस पर भी अमेरिकी दंडात्मक कदम लागू होंगे। भारत पर लगाए गए सेकेंडरी सैंक्शन्स का असर यह है कि कुछ अमेरिकी वित्तीय संस्थान भारतीय कंपनियों के साथ काम करने से बच रहे हैं। इसके अलावा, अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यात पर भी असर पड़ सकता है।

रूस पर कितना असर

ट्रंप का दावा है कि उनकी पॉलिसी से रूस को पहले ही "सैकड़ों अरब डॉलर" का नुकसान हो चुका है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक मानते हैं कि रूस ने एशियाई देशों, खासकर भारत और चीन के जरिए अपने नुकसान की भरपाई कर ली है। कच्चे तेल की सप्लाई डिस्काउंट पर देकर रूस ने न केवल अपने पुराने ग्राहकों को बनाए रखा है, बल्कि नए बाजार भी खोले हैं। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि अमेरिकी प्रतिबंधों का रूस पर कितना वास्तविक असर पड़ा।

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