सर्कस का शेर हर किसी के लिए डरावना और रोमांचक होता है। लेकिन इस कहानी में जो शेर है, उसका नाम राजा है और वह बिल्कुल भी डरावना नहीं है। सर्कस में राजा का मजेदार अंदाज और उसके साथ होने वाली घटनाएँ हमेशा दर्शकों को हँसाने और रोमांचित करने के लिए तैयार रहती हैं। यह कहानी है राजा शेर और उसके सर्कस के मजेदार कारनामों की, जो दर्शकों के लिए हँसी, रोमांच और सीख का स्रोत बन गए।
राजा का पहला दिन सर्कस में
राजा शेर का पहला दिन सर्कस में बहुत ही हास्यास्पद था। उसने जब पहली बार सर्कस का मैदान देखा, तो उसने सोचा कि यह सब खाने का सामान है। वह पलंग, ड्रम और झूले सबको चाटने और सूंघने लगा। प्रशिक्षक और कर्मचारी डर गए कि शेर न जाकर सबको नुकसान पहुँचा दे।
लेकिन राजा का स्वभाव बिलकुल शांत और शरारती था। वह अपने बड़े पंजों से सिर्फ झूले को हिला रहा था और बच्चों के सामने लड्डू के जैसे कूद-कूद कर हँसी पैदा कर रहा था। दर्शक हँसते-हँसते चिल्लाने लगे, “वाह! यह शेर भी मजेदार है।” यह पहला दिन ही सर्कस में राजा शेर की लोकप्रियता की शुरुआत थी।
सर्कस का ट्रम्पेट और राजा का खेल
एक दिन सर्कस के मुखिया ने राजा को ट्रम्पेट बजाने की कला सिखाने का विचार किया। राजा को पहले तो समझ ही नहीं आया कि यह क्या है। उसने ट्रम्पेट के मुंह पर अपना मुंह रखकर जोर से गरजना शुरू किया।
जोर-जोर से गर्जते राजा को देखकर सर्कस के कर्मचारियों और बच्चों की हँसी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। धीरे-धीरे राजा ने ट्रम्पेट बजाना सीख लिया, लेकिन उसका अंदाज इतना मजेदार था कि लोग हँसी रोक नहीं पाए। उसने दर्शकों के सामने शो का सबसे बड़ा आकर्षण बन गया।
राजा और छोटे बंदर की दोस्ती
सर्कस में एक छोटा बंदर भी था, जिसका नाम टोपी था। टोपी और राजा की पहली मुलाकात में थोड़ी हँसी-मज़ाक हुई। टोपी ने राजा के पीछे दौड़ना शुरू किया और राजा भी उसे मजाक में पीछे-पीछे दौड़ने लगा।
दर्शक इस मजेदार दौड़ को देखकर हँसते-हँसते झूम उठे। राजा और टोपी की दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि अब दोनों साथ में सर्कस में नाचते और करतब दिखाते। इस जोड़ी की हँसी और शरारत दर्शकों के लिए सबसे बड़ी झटका थी।
सर्कस के बैल और राजा का सामना
एक दिन सर्कस में एक बड़ा बैल आया। राजा शेर ने बैल को देखा और उसे चुनौती देने के मूड में हो गया। लेकिन राजा की चुनौती कुछ अलग अंदाज में थी। वह बैल के चारों तरफ गोल गोल घूमते हुए नाचने लगा।
बैल को समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। दर्शक हँसते-हँसते लोटपोट हो गए। राजा ने बैल के साथ एक मजेदार खेल खेला जिसमें दोनों गोल घूमते और दर्शकों को हँसी का तूफ़ान देते। इस घटना ने राजा की लोकप्रियता और भी बढ़ा दी।
राजा का सबसे बड़ा करतब
सर्कस का सबसे रोमांचक हिस्सा था राजा का हुलकुल करतब, जिसमें वह रस्सी पर चलने की कोशिश करता। पहले दिन उसने रस्सी पर चढ़ते ही पैर फिसलाया और सीधे झूले पर गिर पड़ा।
लेकिन उसकी गिरावट इतनी मजेदार थी कि दर्शक हँसते-हँसते चिल्लाने लगे। धीरे-धीरे राजा ने रस्सी पर चलना सीख लिया और अब यह करतब शो का सबसे मजेदार हिस्सा बन गया। हर कोई कहता, “राजा शेर के बिना सर्कस अधूरा है।”
राजा और जादूगर का मज़ाक
सर्कस में एक जादूगर भी था। जादूगर ने राजा से कहा कि वह जादू की छड़ी पकड़ कर दिखाए। राजा ने छड़ी पकड़ी और जादू की जगह छड़ी को अपने पंजों से फेंक दिया।
दर्शक हँसते-हँसते तालियाँ बजाने लगे। जादूगर भी हँसते-हँसते कहने लगा, “यह शेर तो मेरे जादू से भी मजेदार है।” राजा का यह मजाक पूरे सर्कस में चर्चा का विषय बन गया।
राजा की सर्कस में लोकप्रियता
राजा शेर अब केवल एक जानवर नहीं रहा, बल्कि सर्कस का मुख्य आकर्षण बन गया। बच्चे और बड़े दोनों ही उसे देखने के लिए दूर-दूर से आने लगे। उसकी हरकतें और मजेदार करतब लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाते।
सर्कस के मालिक ने कहा, “राजा शेर ने हमारी शो को नया आयाम दे दिया। उसकी शरारत और हँसी सभी का दिल जीत लेती है।” राजा ने दिखा दिया कि डरावना दिखने वाला शेर भी मजाक और हँसी का स्रोत बन सकता है।
राजा की सीख
राजा की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में हँसी और मस्ती बहुत जरूरी हैं। डरावना दिखने वाला शेर भी अगर प्यार और मजाक के साथ व्यवहार करे, तो सभी उसे पसंद करते हैं।
राजा ने सिखाया कि हँसी सबसे बड़ा जादू है, जो लोगों को जोड़ता है और खुशियाँ फैलाता है। सर्कस का शेर राजा अब गाँव और शहर दोनों में हँसी और खुशियों का प्रतीक बन गया।