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राजघराने बनाम राजस्थान सरकार: जयपुर टाउन हॉल विवाद में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, जानें क्या कहा?

राजघराने बनाम राजस्थान सरकार: जयपुर टाउन हॉल विवाद में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, जानें क्या कहा?

जयपुर के टाउन हॉल विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि अगर राजघराने का दावा माना गया, तो पूरा जयपुर उनका हो जाएगा। मामला दो महीने बाद फिर सुना जाएगा।

Supreme Court: जयपुर के ऐतिहासिक टाउन हॉल पर मालिकाना हक को लेकर जयपुर राजघराने और राजस्थान सरकार के बीच कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। राजमाता पद्मिनी देवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर राजघराने का दावा माना गया, तो "पूरा जयपुर उनका हो जाएगा"। इस विवाद के केंद्र में वर्ष 1949 का समझौता है, जिसके तहत टाउन हॉल और कुछ अन्य संपत्तियां सरकारी उपयोग के लिए दी गई थीं।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई: विवाद ने पकड़ा तूल

जयपुर के प्रतिष्ठित टाउन हॉल (पुरानी विधानसभा) पर चल रहे विवाद में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। जयपुर राजघराने के सदस्यों, जिनमें प्रमुख रूप से राजमाता पद्मिनी देवी शामिल हैं, ने राजस्थान सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि टाउन हॉल और कुछ अन्य संपत्तियां मूल रूप से जयपुर राजघराने की थीं, जिन पर सरकार ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।

राजघराने की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दलील देते हुए कहा कि यह मामला कानूनी जटिलताओं से भरा हुआ है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 362 और 363 का हवाला दिया, जिनमें पूर्व रजवाड़ों और शासकों के विशेषाधिकारों की बात कही गई है। साल्वे ने कहा कि इन संपत्तियों को लेकर 1949 में एक संधि हुई थी, जो जयपुर और बीकानेर जैसे शासकों के बीच थी, भारत सरकार उस समय पक्ष नहीं थी।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, "तो क्या आप कहना चाहते हैं कि भारत संघ का इससे कोई लेना-देना नहीं था? अगर ऐसा है तो फिर तो पूरा जयपुर आपका हो जाएगा। अगर हम आपके दावे को स्वीकार कर लें तो राजस्थान के हर रजवाड़े को अपनी संपत्तियों पर दावा करने का अधिकार मिल जाएगा।" कोर्ट ने साफ किया कि संविधान के अनुच्छेद 363 का हवाला देने के बावजूद मामला पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने पहले ही सरकार के पक्ष में फैसला दिया था। हाईकोर्ट ने टाउन हॉल समेत चार प्रमुख इमारतों को सरकारी संपत्ति घोषित किया था। राजघराने ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और कहा है कि जब तक मामला लंबित है, तब तक सरकार कोई कार्रवाई न करे। इस पर राजस्थान सरकार के वकील ने जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा है। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई दो महीने बाद होगी।

आखिर क्या है टाउन हॉल विवाद?

जयपुर का टाउन हॉल, जो एक ऐतिहासिक धरोहर है, पहले राजघराने के नियंत्रण में था। साल 1949 में महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय और भारत सरकार के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत टाउन हॉल समेत कुछ संपत्तियां सरकार को उपयोग के लिए दी गई थीं।

समस्या तब शुरू हुई जब साल 2022 में राजस्थान सरकार ने टाउन हॉल को म्यूजियम बनाने का फैसला लिया। इस फैसले का राजघराने ने कड़ा विरोध किया। राजमाता पद्मिनी देवी और अन्य सदस्यों ने दावा किया कि यह संपत्ति अस्थायी रूप से सरकार को दी गई थी और अब वह इसे स्थायी रूप से हड़पना चाहती है।

2014 से लेकर 2022 तक कई नोटिस और शिकायतें भेजी गईं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। आखिरकार राजघराने ने सिविल कोर्ट में याचिका दायर की और संपत्ति पर कब्जा रोकने, यथास्थिति बनाए रखने और मुआवजे की मांग की।

राज्य सरकार ने अनुच्छेद 363 का हवाला देते हुए याचिका खारिज करने की मांग की, जिसे ट्रायल कोर्ट ने ठुकरा दिया। बाद में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए राज्य सरकार के पक्ष में निर्णय दिया।

कानूनी दांव-पेच: अनुच्छेद 362 और 363 का क्या महत्व?

राजघराने के वकील हरीश साल्वे ने संविधान के अनुच्छेद 362 और 363 का जिक्र किया। अनुच्छेद 362 में पूर्व रजवाड़ों के विशेषाधिकारों की बात कही गई है, जबकि अनुच्छेद 363 के तहत पूर्व रियासतों से जुड़े विवाद सीधे सुप्रीम कोर्ट में ही लड़े जा सकते हैं। साल्वे का कहना है कि 1949 में जयपुर और बीकानेर जैसे रजवाड़ों के बीच जो समझौते हुए थे, वे कानूनी रूप से मान्य हैं और उनका सम्मान होना चाहिए।

कोर्ट ने इस पर कहा कि अगर भारत सरकार को इन समझौतों में पक्ष नहीं माना जाएगा, तो फिर हर रियासत अपने-अपने दावे लेकर सामने आ जाएगी। इससे देश में संपत्ति विवादों की बाढ़ आ सकती है।

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