तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने असम, बंगाल और पूर्वांचल में तेजी से बदलती जनसंख्या संरचना को टाइम बम बताया। उन्होंने इसे देश की एकता के लिए खतरा बताया और समाधान की आवश्यकता जताई।
Tamilnadu Governor RN Ravi: तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने देश के पूर्वोत्तर और पूर्वांचल क्षेत्रों में जनसंख्या संरचना में तेजी से हो रहे बदलाव को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने इस डेमोग्राफिक बदलाव को "टाइम बम" की तरह बताया, जो भविष्य में देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन सकता है। उनका यह बयान गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) में छात्रों को संबोधित करते हुए सामने आया।
असम और बंगाल में तेजी से बदली जनसंख्या संरचना
राज्यपाल ने खासतौर पर असम और पश्चिम बंगाल का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले 30 से 40 वर्षों में इन राज्यों की जनसंख्या संरचना में नाटकीय परिवर्तन देखने को मिले हैं। उन्होंने कहा कि इन इलाकों में डेमोग्राफी जिस रफ्तार से बदली है, वह सिर्फ सांस्कृतिक ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी गहरी चिंता का विषय है।
बंटवारे की आशंका
आर एन रवि ने छात्रों को संबोधित करते हुए पूछा, "क्या कोई गारंटी दे सकता है कि अगले 50 सालों में इन क्षेत्रों में अलगाववादी आंदोलन नहीं होंगे? क्या किसी को इसकी चिंता है?" उन्होंने कहा कि जनसंख्या का यह परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा है जिसपर तत्काल विचार और नीति-निर्धारण की जरूरत है।
भारत की भाषाई विविधता पर भी रखी बात
उन्होंने भाषाई विभाजन और विवादों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में भाषाओं के नाम पर जो तनाव पैदा किया जा रहा है, वह देश की मूल संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से एक बहुभाषी समाज रहा है और यहां भाषाई विविधता को एकता का प्रतीक माना जाता है।
1947 के बंटवारे का उदाहरण
राज्यपाल ने 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन का हवाला देते हुए कहा कि देश का बंटवारा बाहरी ताकतों के कारण नहीं, बल्कि अंदरूनी वैचारिक संघर्ष के कारण हुआ था। उन्होंने चेताया कि आज भी कुछ वैचारिक गुट ऐसे हैं जो भारत के साथ नहीं रहना चाहते और यही सोच एक बार फिर देश की एकता के लिए चुनौती बन सकती है।
रूस और सोवियत संघ का उदाहरण
उन्होंने रूस का उदाहरण देते हुए कहा कि आंतरिक विघटन से निपटना केवल सेना का काम नहीं है। अगर ऐसा होता, तो 1991 में सोवियत संघ का पतन नहीं होता। उन्होंने कहा कि सामाजिक और वैचारिक समरसता को बनाए रखना उतना ही जरूरी है जितना कि सीमाओं की रक्षा।
डेमोग्राफी पर गहन अध्ययन की आवश्यकता
आर एन रवि ने जोर देकर कहा कि डेमोग्राफिक परिवर्तन कोई सामान्य या तटस्थ प्रक्रिया नहीं है। यह समाज की संरचना, संस्कृति और यहां तक कि राजनीतिक दिशा को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर गहन अध्ययन और सतर्कता की जरूरत है ताकि समय रहते संतुलन बनाया जा सके।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में भाषा को लेकर तनाव बढ़ रहा है। आज़ादी के बाद से ही भारत भाषा आधारित राजनीति और टकरावों का गवाह रहा है। लेकिन देश की एकता को कायम रखने के लिए भाषाई सहिष्णुता ज़रूरी है।