सुप्रीम कोर्ट ने SIR (Special Intensive Revision) मामले पर टिप्पणी की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SIR पूरी तरह चुनाव आयोग (EC) के अधिकार क्षेत्र में आता है। केंद्र सरकार से प्रभावित लोगों की सूची मांगी गई। अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।
Bihar SIR: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR (Special Intensive Revision) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि SIR पूरी तरह से केंद्रीय चुनाव आयोग (EC) के अधिकार क्षेत्र में आता है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अन्य राज्यों में हस्तक्षेप करने का उनका इरादा नहीं है। कोर्ट ने इसे गंभीर मुद्दा बताया और केंद्र सरकार से प्रभावित लोगों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।
चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र की पुष्टि
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने टिप्पणी की, "हम हर काम अपने हाथ में क्यों लें? चुनाव आयोग के पास अपना तंत्र है, उसे काम करने दिया जाए।" कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि वे क्यों चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट सारी प्रक्रिया अपने नियंत्रण में ले ले। यह टिप्पणी इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि बिहार चुनाव में SIR को लेकर सियासी बहस जोरों पर है।
बिना अनुमति रह रहे लोगों की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि देश में कुछ लोग बिना अनुमति के रह रहे हैं और वे पहचान उजागर होने के डर से सामने नहीं आना चाहेंगे। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे कम से कम 100 ऐसे लोगों की सूची प्रस्तुत करें, जिनका दावा है कि उनके नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, लेकिन उन्हें कोई आदेश नहीं मिला। कोर्ट ने कहा, "हमें उन लोगों की एक illustrative list चाहिए, जिन्हें यह शिकायत है।"
केंद्र सरकार को निर्देश
कोर्ट ने केंद्र सरकार और संबंधित पक्षों से कहा कि SIR से प्रभावित लोगों की सूची तैयार करें। इस सूची में उन लोगों के नाम होने चाहिए, जिन्हें लगता है कि उनका नाम हटाया गया या बाद में जोड़ा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने जोर दिया कि यह सूची केवल एक illustrative list होगी और इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होगी।
चुनाव आयोग को मौखिक सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने EC को मौखिक रूप से सुझाव दिया कि वह एक विस्तृत note तैयार करे। इसमें 3.66 लाख हटाए गए नाम और बाद में जोड़े गए 21 लाख नामों का पूरा ब्योरा और कारण उल्लेखित हो। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि SIR पूरी तरह चुनाव आयोग का कार्यक्षेत्र है और उसे स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए।