2025 का पहला आधा साल म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए झटका लेकर आया है। आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से जून के बीच कुल 1.12 करोड़ SIP बंद हो चुके हैं। आमतौर पर SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान को निवेश का सबसे स्थिर और अनुशासित तरीका माना जाता है, लेकिन इस साल की शुरुआत में जैसे ही बाजार में उतार-चढ़ाव और टैक्स नियमों में बदलाव हुआ, SIP में गिरावट की लहर दौड़ गई।
जनवरी से अप्रैल तक लगातार SIP में गिरावट
इस साल के शुरुआती चार महीनों में हर महीने नए SIP से ज्यादा बंद हुए SIP देखने को मिले।
- जनवरी में 5 लाख SIP ज्यादा बंद हुए
- फरवरी में यह संख्या बढ़कर 10 लाख हो गई
- मार्च में 11 लाख SIP बंद हुए
- अप्रैल में तो रिकॉर्ड 116 लाख SIP बंद हो गए
यह सिलसिला ऐसा रहा कि म्यूचुअल फंड कंपनियां और निवेशक दोनों ही हैरान रह गए। खास बात यह है कि इस दौरान शेयर बाजारों में कोई बहुत बड़ी गिरावट नहीं थी, इसके बावजूद निवेशक अपने पैसे निकालने लगे।
बाजार की अस्थिरता ने बढ़ाई चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल की शुरुआत से ही दुनियाभर में कई आर्थिक और राजनीतिक मोर्चों पर अनिश्चितता बनी हुई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैक्स नियमों में बदलाव और ग्लोबल इकॉनॉमी में सुस्ती जैसी घटनाओं ने निवेशकों के मन में डर बैठा दिया। अरीहंत कैपिटल मार्केट्स की श्रुति जैन के अनुसार, कई निवेशक इस अनिश्चित माहौल से घबरा गए और उन्होंने अपने पुराने SIP बंद करने का फैसला लिया।
क्या है SIP स्टॉपेज रेश्यो और क्यों है चर्चा में
SIP स्टॉपेज रेश्यो एक ऐसा पैमाना है जो बताता है कि किसी महीने में कितने नए SIP शुरू हुए और कितने पुराने बंद हुए।
- जून 2025 में यह रेश्यो 78 प्रतिशत था
- मई में 72 प्रतिशत
- पिछले साल जून में यह 59 प्रतिशत था
इससे साफ होता है कि पुराने SIP बंद करने की रफ्तार तेजी से बढ़ी है। हालांकि जानकारों की राय है कि इसमें बड़ी संख्या में ऐसे SIP भी हैं जो तय अवधि पूरी करके खत्म हो गए, या जिनकी जगह निवेशक नए SIP चुन रहे हैं।
बदलते निवेश व्यवहार के पीछे के कारण
2024 में म्यूचुअल फंड्स से अच्छे रिटर्न की उम्मीद लगाए निवेशकों को उम्मीद के मुताबिक मुनाफा नहीं मिला। साथ ही शेयर बाजार के कुछ बड़े शेयरों की कीमतें बहुत ऊपर चली गईं, जिससे नए निवेशकों में यह धारणा बनी कि अब ज्यादा मुनाफा नहीं होगा। इसके अलावा, टैक्स नियमों में बदलाव के चलते कुछ SIP पर टैक्स बोझ बढ़ा, जिससे निवेशकों का रुझान घटा।
AMFI के आंकड़े बताते हैं कहानी
AMFI यानी एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के मुताबिक, इस साल केवल दो महीने ऐसे रहे जब नए SIP की संख्या ने पुरानी बंद SIP की संख्या को पीछे छोड़ा। बाकी चार महीनों में SIP बंद होने का सिलसिला बना रहा। अप्रैल सबसे खराब रहा, जहां तीन गुना ज्यादा SIP बंद हो गए।
नोमुरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निवेशकों की इस प्रतिक्रिया के पीछे शेयर बाजार की ऊंची वैल्यूएशन और पॉलिसी अनिश्चितता बड़ी वजह रही है।
बाजार की चाल देख रहे हैं निवेशक
निवेशकों के इस बदलते रुख से यह साफ झलक रहा है कि लोग अब थोड़ा सतर्क होकर कदम उठा रहे हैं। 2023 और 2024 में म्यूचुअल फंड में भारी रुझान दिखा था, लेकिन 2025 में यह उत्साह कुछ धीमा पड़ा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि लोग अब बाजार की चाल को ध्यान से देख रहे हैं और उसी के हिसाब से निवेश या निकासी कर रहे हैं।
क्या ये संकेत है किसी बड़े बदलाव का
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए ये आंकड़े निश्चित रूप से अलार्म की घंटी हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स इसे पूरी तरह नकारात्मक नजरिए से नहीं देख रहे। उनका कहना है कि निवेशकों का पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग करना भी SIP बंद होने का कारण हो सकता है। यानी एक फंड से पैसा निकालकर किसी और फंड में लगाया गया हो।
निवेशकों की मानसिकता में बदलाव
2025 के आंकड़े ये भी दिखाते हैं कि अब निवेशक ज्यादा जानकारी और रिसर्च के साथ फैसले ले रहे हैं। वे ट्रेंड्स पर जल्दी रिएक्ट कर रहे हैं और छोटे-छोटे नुकसान से घबराकर कदम पीछे खींच रहे हैं।
हालांकि, ऐसे बदलावों के बावजूद SIP में निवेश करना पूरी तरह बंद नहीं हुआ है। AMFI के डेटा से यह भी पता चलता है कि अभी भी लाखों निवेशक SIP चालू रखे हुए हैं और हर महीने नया पैसा डाल रहे हैं।
कैसा रहा है SIP का इतिहास
SIP भारत में पिछले दो दशकों से निवेश का पसंदीदा तरीका रहा है। यह निवेशकों को अनुशासन, लागत औसतकरण और लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देता रहा है। 2018 से 2022 तक SIP के जरिए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में जमकर पैसा आया। लेकिन 2025 में आए इस बदलाव ने निवेशकों और कंपनियों दोनों को नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया है।