सोमवार 14 जुलाई 2025 को भारतीय रुपये की शुरुआत कमजोरी के साथ हुई। इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपया डॉलर के मुकाबले 17 पैसे नीचे गिरकर 86.02 पर खुला। शुरुआती घंटे में ही यह और फिसला और पिछले सत्र की तुलना में कुल 21 पैसे टूट गया। शुक्रवार को रुपया 85.80 पर बंद हुआ था, वहीं आज के कारोबार में यह 85.96 से नीचे गिरकर कारोबार करता दिखा।
डॉलर की मजबूती बनी गिरावट की वजह
डॉलर इंडेक्स जो कि अमेरिकी डॉलर की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले स्थिति दर्शाता है, वह भी 0.08 प्रतिशत की तेजी के साथ 97.93 पर पहुंच गया। यह संकेत देता है कि दुनियाभर में डॉलर की मांग बढ़ी है, जिससे अन्य करेंसीज पर दबाव बना है। विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि ट्रंप की नई टैरिफ चेतावनियों से ग्लोबल ट्रेड को लेकर डर बढ़ा है और निवेशक डॉलर को सुरक्षित विकल्प मानकर उसमें पैसा लगा रहे हैं।
ट्रंप की धमकी से विदेशी मुद्रा बाजार में बेचैनी
12 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन और मैक्सिको की नई राष्ट्रपति क्लाउडिया शेनबाउम को सार्वजनिक रूप से धमकी दी थी। ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा कि यदि 1 अगस्त से पहले दोनों देशों ने अमेरिकी व्यापार के हितों के अनुरूप नीतियों में बदलाव नहीं किया, तो उनके उत्पादों पर 30 प्रतिशत का टैरिफ लगाया जाएगा। इस घोषणा के बाद से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है।
एफआईआई की बिकवाली से भी दबाव
बीते शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाजार में 5,104.22 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी। यह भारी निकासी रुपये के कमजोर होने की एक प्रमुख वजह मानी जा रही है। जब विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालते हैं, तो वे डॉलर में फंड वापस ले जाते हैं, जिससे डॉलर की मांग बढ़ती है और रुपया दबाव में आ जाता है।
घरेलू शेयर बाजार में भी सुस्ती
शुरुआती कारोबार में शेयर बाजार में भी गिरावट का माहौल देखने को मिला। बीएसई सेंसेक्स सुबह के सत्र में 295.37 अंक टूटकर 82,205.10 पर आ गया। वहीं, एनएसई का निफ्टी 50 इंडेक्स भी 71.4 अंक की गिरावट के साथ 25,078.45 पर ट्रेड कर रहा था। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की टैरिफ धमकियों और फॉरेन फंड आउटफ्लो के कारण बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
विदेशी मुद्रा बाजार में आगे क्या
अभी तक ट्रंप के बयानों को लेकर अमेरिका की ओर से कोई औपचारिक आदेश नहीं आया है, लेकिन बाजार पहले से ही सतर्क मुद्रा में है। विदेशी मुद्रा विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक अमेरिका की ओर से इस संबंध में कोई स्पष्ट नीति नहीं आती, तब तक डॉलर की मांग ऊंची बनी रहेगी और इससे रुपये की स्थिति में सुधार की संभावना कम है।
बैंकों और आयातकों की डॉलर डिमांड बढ़ी
बाजार सूत्रों का कहना है कि भारतीय आयातकों और कुछ निजी बैंकों की ओर से भी डॉलर की मांग बढ़ी है। खासकर वे कंपनियां जो इंटरनेशनल डीलिंग करती हैं, उन्हें डॉलर की जरूरत ज्यादा होती है। इस अतिरिक्त मांग ने भी रुपये पर दबाव बनाया है।
रुपया साल के निचले स्तर के करीब
रुपये की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह साल 2025 के सबसे कमजोर स्तरों में से एक पर आ गया है। हालांकि रिजर्व बैंक की ओर से कोई सीधी दखलअंदाजी अभी तक नहीं हुई है, लेकिन आने वाले दिनों में हालात बिगड़ने पर वह कदम उठा सकता है।
सोने-चांदी की कीमतों पर असर
डॉलर की मजबूती का असर सोने और चांदी की कीमतों पर भी देखा गया। निवेशक महंगाई और ग्लोबल तनाव के चलते इन सेफ हेवेन एसेट्स की ओर रुख कर रहे हैं। शुक्रवार की तुलना में सोमवार को गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट्स में थोड़ी तेजी देखी गई, जबकि चांदी भी मजबूती के साथ खुली।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संकेत
रुपये की इस गिरावट को भारतीय बाजार के लिए एक चेतावनी माना जा रहा है कि वैश्विक घटनाएं किस तरह घरेलू मुद्रा और बाजार को प्रभावित कर सकती हैं। ट्रंप की टैरिफ नीतियां, डॉलर की मजबूती, कच्चे तेल की कीमतें और एफआईआई का रुख – ये सभी फैक्टर अगले कुछ हफ्तों तक रुपये की चाल को प्रभावित कर सकते हैं।