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संयुक्त राष्ट्र में भारत का सख्त रुख, अफगानिस्तान से आतंकवाद खत्म करने की अपील

संयुक्त राष्ट्र में भारत का सख्त रुख, अफगानिस्तान से आतंकवाद खत्म करने की अपील

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने अफगानिस्तान पर कड़ा रुख अपनाया। भारत ने कहा कि उसकी धरती का इस्तेमाल आतंकवादियों के लिए नहीं होना चाहिए। भारत ने शांति, स्थिरता और मानवीय सहायता में अपनी सक्रिय भूमिका दोहराई।

UN Update: संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत ने अफगानिस्तान को लेकर अपना कड़ा रुख स्पष्ट किया है। भारत ने साफ कहा कि अफगानिस्तान का पुनर्निर्माण होना चाहिए और उसकी धरती का इस्तेमाल किसी भी हाल में आतंकवादी संगठनों के लिए नहीं किया जा सकता। यह बयान भारत के स्थायी प्रतिनिधि और न्यूयॉर्क में राजदूत पर्वथनेनी हरीश ने दिया।

अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता भारत की प्राथमिकता

भारत ने कहा कि हमें अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में सर्वोपरि रुचि है। अफगानिस्तान से जुड़े अहम मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सहमति तथा सहयोग को भारत अत्यंत महत्वपूर्ण मानता है। भारत ने दोहराया कि उसकी प्राथमिकता एक स्थिर, सुरक्षित और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान है।

आतंकवाद पर भारत का कड़ा संदेश

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि अफगानिस्तान की धरती से किसी भी आतंकी संगठन को गतिविधियां चलाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। भारत ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा और आईएसआईएल जैसे संगठनों का नाम लेते हुए कहा कि इनकी गतिविधियों पर रोक लगाना बेहद जरूरी है। राजदूत हरीश ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ठोस कदम उठाने की अपील की।

अफगानिस्तान के रुख का स्वागत

भारत ने बताया कि विदेश मंत्री ने हाल ही में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री से दो बार बातचीत की है। भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए हमले की अफगान सरकार द्वारा की गई निंदा का स्वागत किया। भारत ने कहा कि केवल दंडात्मक कार्रवाई से समाधान नहीं होगा बल्कि अफगानिस्तान के लिए एक नई, सहानुभूतिपूर्ण और व्यवहारिक नीति की जरूरत है।

मानवीय सहायता में भारत सबसे आगे

भारत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देने में लगातार सक्रिय रहा है। हाल ही में आए भूकंप के बाद भारत ने सबसे पहले 1,000 टेंट और 15 टन खाद्य सामग्री भेजी। इसके अलावा 21 टन अतिरिक्त राहत सामग्री, जिनमें दवाएं, कंबल, जनरेटर और स्वच्छता किट शामिल थे, अफगानिस्तान पहुंचाई गई।

साल 2021 से अब तक भारत ने अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं, 330 टन दवाएं, टीके, 40,000 लीटर कीटनाशक और अन्य जरूरी सामग्री भेजी है। भारत ने UNODC के साथ साझेदारी में महिला केंद्रित नशा मुक्ति कार्यक्रमों को भी सहयोग दिया है। साथ ही भारत ने 2,000 अफगान छात्रों को छात्रवृत्ति दी है, जिनमें 600 से अधिक महिलाएं शामिल हैं।

अफगानिस्तान के विकास में भारत की भूमिका

भारत ने अफगानिस्तान में 500 से अधिक विकास परियोजनाएं पूरी की हैं। इनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल, खाद्य सुरक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर शामिल हैं। भारत और अफगानिस्तान का रिश्ता ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार पर खड़ा है। यही कारण है कि भारत हर स्तर पर अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में योगदान देता रहा है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर

भारत ने संयुक्त राष्ट्र की विशेष मिशन प्रमुख रोज़ा ओटनबायेवा को धन्यवाद दिया और कहा कि भविष्य में भी भारत उनका सहयोग जारी रखेगा। भारत की भागीदारी दोहा और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह दिखाती है कि वह अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए गंभीर और सक्रिय है।

“जैसा चल रहा है वैसा नहीं चलेगा”

भारत ने आतंकवाद पर अफगानिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि “जैसा चल रहा है वैसा ही चलता रहे” वाली नीति अब नहीं चलेगी। अगर अफगानिस्तान आतंकियों को पनाह देता रहा तो यह न तो वहां के लोगों के लिए अच्छा होगा और न ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए। भारत ने अफगानिस्तान से नए दृष्टिकोण और नई नीति अपनाने की अपील की है।

भारत ने कहा कि चार साल से ज्यादा समय से तालिबान शासन में जी रही अफगान जनता को विकास और सहयोग का लाभ नहीं मिल रहा है। हाल ही में आए भूकंप ने स्थिति और भी खराब कर दी है। लाखों अफगान गरीबी, बीमारी और भूख की मार झेल रहे हैं। भारत ने इस समय को सहानुभूति दिखाने और अफगान जनता की मदद करने का समय बताया।

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