आयकर ट्रिब्यूनल ने कांग्रेस पार्टी की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें 2017-18 में मिले 199 करोड़ के दान को टैक्स-मुक्त बताया गया था। अब पार्टी को इस राशि पर टैक्स देना होगा।
Congress Tax: कांग्रेस पार्टी को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (Income Tax Appellate Tribunal - ITAT) से बड़ा झटका लगा है। ITAT ने पार्टी की उस अपील को खारिज कर दिया है जिसमें उसने 2017-18 के वित्तीय वर्ष में मिले दान (donation) की राशि पर टैक्स न लगने की मांग की थी। अब कांग्रेस को इस राशि पर आयकर देना होगा।
2017-18 में मिला था 199 करोड़ रुपये का दान
इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब आयकर विभाग ने कांग्रेस को नोटिस भेजकर 2017-18 में मिले लगभग 199 करोड़ रुपये पर टैक्स चुकाने को कहा। कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई और दावा किया कि यह धनराशि दान के रूप में प्राप्त हुई है, जिसे टैक्स से मुक्त रखा जाना चाहिए।
पार्टी ने यह भी तर्क दिया कि दान पर टैक्स नहीं लगता है, इसलिए इस पर कर नहीं बनता। लेकिन आयकर विभाग का कहना था कि कांग्रेस ने समय पर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया, जो कि नियमों का उल्लंघन है।
ITAT ने टैक्स विभाग का पक्ष माना
अब आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए आयकर विभाग के रुख को सही ठहराया है। ITAT ने कहा कि कांग्रेस को उक्त राशि पर टैक्स देना होगा क्योंकि उन्होंने नियत समय पर अपना टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया और दान की राशि पर छूट का दावा करने के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं किया गया।
कांग्रेस ने क्या कहा?
अब तक कांग्रेस पार्टी की ओर से इस फैसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन पहले पार्टी की ओर से यह कहा गया था कि वह दान की इस राशि को टैक्स के दायरे में नहीं मानती और इसीलिए टैक्स रिटर्न नहीं दाखिल किया गया था।
हालांकि अब ITAT का यह फैसला पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, क्योंकि इसके बाद आयकर विभाग टैक्स की वसूली की प्रक्रिया तेज कर सकता है।
क्यों बना यह मामला बड़ा?
राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे या डोनेशन पर टैक्स छूट मिलती है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है। इसमें सबसे जरूरी है कि पार्टी समय पर आयकर रिटर्न दाखिल करे और सभी दान की जानकारी पारदर्शी रूप से प्रस्तुत करे।
इस केस में कांग्रेस ने न तो समय पर रिटर्न फाइल किया और न ही स्पष्ट जानकारी दी कि दान कहां से आया, किस मद में और किन शर्तों के तहत मिला। यही वजह है कि ट्रिब्यूनल ने पार्टी की मांग को खारिज कर दिया।