Columbus

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: रविशंकर प्रसाद ने B. सुदर्शन रेड्डी पर उठाए सवाल, कहा- 'मैं भी छोटा-मोटा वकील हूं...'

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: रविशंकर प्रसाद ने B. सुदर्शन रेड्डी पर उठाए सवाल, कहा- 'मैं भी छोटा-मोटा वकील हूं...'

उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। बीजेपी ने इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार B. सुदर्शन रेड्डी को नक्सलवाद के मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है। इस बीच, पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रेड्डी के 2011 के फैसलों और उनके सार्वजनिक बयानों पर सवाल उठाए हैं।

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक जंग और तेज हो गई है। बीजेपी ने इंडिया ब्लॉक के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को नक्सलवाद के मुद्दे पर लगातार घेरना शुरू कर दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह के बाद अब पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी सुदर्शन रेड्डी पर सवाल उठाए हैं।

रविशंकर प्रसाद ने 2011 में मनमोहन सिंह सरकार के समय के सलवा जुड़ूम मामले का हवाला देते हुए सुदर्शन रेड्डी के नक्सलवाद के प्रति रुख और सोच पर सवाल खड़े किए। उन्होंने बताया कि इस मामले में रेड्डी की दृष्टि और नीतिगत अप्रोच पर चर्चा की जा रही है।

रविशंकर प्रसाद का बयान

रविशंकर प्रसाद ने कहा, मैं भी छोटा-मोटा वकील हूं और कानून मंत्री भी रह चुका हूं। मैं कानून समझता हूं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी निर्णय का विरोध उनका मकसद नहीं है, बल्कि सुदर्शन रेड्डी द्वारा की गई टिप्पणियां न्यायिक परिधि से बाहर थीं। प्रसाद ने 2011 में सलवा जुड़ूम मामले का हवाला देते हुए कहा कि रेड्डी के फैसले और टिप्पणियों ने माओवादी हिंसा के खिलाफ लड़ाई को प्रभावित किया। 

उन्होंने कहा कि नियो-लिबरल अप्रोच के जरिए नक्सलवाद खत्म नहीं होगा, और यह जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की है। रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा, आपने जो भाषण दिया है, वह जूडिशियल अप्रोच की सीमा से बाहर है। यह आपकी सोच और दृष्टिकोण का परिचायक है।

2011 का सलवा जुड़ूम मामला क्या है?

सलवा जुड़ूम मामले में सुदर्शन रेड्डी के फैसले पर तत्कालीन कानून मंत्रालय और बीजेपी के नेताओं ने प्रतिक्रिया दी थी। अमित शाह ने भी टिप्पणी की थी कि यह निर्णय माओवाद के प्रकोप को कम करने में कठिनाई पैदा करता है। रविशंकर प्रसाद ने कहा, "इस फैसले ने माओवादी हिंसा के खिलाफ लड़ाई को बड़ा धक्का दिया। आज वही सुदर्शन रेड्डी विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार हैं। हमें यह समझना चाहिए कि न्यायपालिका और कार्यपालिका की भूमिकाओं का संतुलन कितना महत्वपूर्ण है।

उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले बीजेपी और विपक्ष के बीच सियासी जंग तेज हो गई है। बीजेपी ने इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार पर लगातार सवाल उठाए हैं, वहीं विपक्षी दल इसे राजनीतिक विरोधाभास बता रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रविशंकर प्रसाद की टिप्पणियां न केवल सुदर्शन रेड्डी के न्यायिक फैसले पर सवाल उठाती हैं, बल्कि चुनावी रणनीति के हिस्से के रूप में सुदर्शन के सार्वजनिक दृष्टिकोण और नीति प्राथमिकताओं को भी चुनौती देती हैं।

Leave a comment