हर साल 6 मई को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में अस्थमा बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाना होता है। अस्थमा एक सांस की बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है – बच्चे, बड़े या बुजुर्ग। अस्थमा का समय पर इलाज और सही जानकारी बहुत जरूरी है, वरना यह गंभीर रूप ले सकती है।
अस्थमा: सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी
अस्थमा एक लंबी चलने वाली (क्रॉनिक) सांस की बीमारी है, जिसमें हमारी फेफड़ों की नलिकाएं संकरी और सूजन वाली हो जाती हैं। इससे हवा का प्रवाह रुकता है और व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। अस्थमा का असर धीरे-धीरे बढ़ता है और कभी-कभी अचानक अटैक की तरह भी आ सकता है। इसके लक्षणों में सांस फूलना, सीने में जकड़न, खांसी और सांस लेते समय घरघराहट की आवाज शामिल हैं।
अस्थमा होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे – वातावरण में प्रदूषण, धूल-मिट्टी, धुआं, पालतू जानवरों के बाल, मौसम में अचानक बदलाव या पारिवारिक इतिहास। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों में इसका खतरा ज्यादा होता है। हालांकि डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सही जानकारी और समय पर इलाज से अस्थमा को पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है।
अस्थमा के लक्षण और संकेत
अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ों की नलिकाएं संकुचित हो जाती हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसके लक्षण धीरे-धीरे भी आ सकते हैं और कभी-कभी अचानक भी बढ़ सकते हैं। इस बीमारी के कुछ आम लक्षणों में शामिल हैं – सांस लेने में परेशानी, खासकर दौड़ने या सीढ़ियां चढ़ने पर, सीने में भारीपन या जकड़न, और बार-बार खांसी आना, जो ज़्यादातर रात या सुबह के समय होती है। इसके अलावा, सांस लेते समय घरघराहट की आवाज भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।
हर व्यक्ति में लक्षण अलग हो सकते हैं और मौसम, एलर्जी या प्रदूषण से ये बढ़ सकते हैं। अगर आपको या किसी अपने को बार-बार ये समस्याएं हो रही हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह अस्थमा की ओर इशारा हो सकता है। समय रहते डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है, ताकि इलाज शुरू किया जा सके और आगे चलकर स्थिति गंभीर न बने। अस्थमा को कंट्रोल करना संभव है, बस सही जानकारी और सावधानी की जरूरत होती है।
अस्थमा से बचाव के उपाय
अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है। यह बीमारी तब और बढ़ जाती है जब हमारे आसपास का वातावरण साफ न हो या हम कुछ ऐसी चीजों के संपर्क में आ जाएं, जिससे एलर्जी हो। लेकिन कुछ आसान उपाय अपनाकर अस्थमा को कंट्रोल किया जा सकता है और इसके लक्षणों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
- प्रदूषण से बचें: वायु प्रदूषण अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत खतरनाक होता है। जब हवा में धूल, धुआं या रासायनिक तत्व ज्यादा होते हैं, तो सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। ऐसे में जरूरी है कि जब भी बाहर जाएं, तो पहले यह जांच लें कि हवा की गुणवत्ता (Air Quality Index - AQI) कैसी है। अगर AQI खराब हो तो बाहर निकलने से बचें। घर में रहें और जरूरत हो तो N95 मास्क पहनें।
- एलर्जी से दूर रहें: अस्थमा अक्सर एलर्जी से भी बढ़ता है। धूल, मिट्टी, फूलों का पराग, पालतू जानवरों के बाल, इत्र या धुएं जैसी चीजें एलर्जी पैदा कर सकती हैं। इसलिए घर को साफ-सुथरा रखें, बिस्तर और पर्दों को समय-समय पर धोते रहें। घर में एयर प्यूरीफायर लगाना भी अच्छा उपाय है।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम अस्थमा को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। अपने खाने में ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन को शामिल करें। जंक फूड, ज्यादा तेल-मसाले वाले भोजन से दूर रहें। हल्का व्यायाम करें जैसे टहलना, प्राणायाम या योग। इससे फेफड़े मजबूत होते हैं और सांस लेने में आसानी होती है।
- धूम्रपान से बचें: स्मोकिंग अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत नुकसानदायक है। सिगरेट का धुआं फेफड़ों को कमजोर करता है और अस्थमा को और बढ़ा सकता है। अगर आप या आपके आसपास कोई धूम्रपान करता है, तो उससे दूरी बनाएं और अगर खुद करते हैं तो इसे छोड़ने की कोशिश करें।
- दवाइयों का सही इस्तेमाल करें: अस्थमा का सही इलाज जरूरी है। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को नियमित रूप से और सही तरीके से लें। अगर इनहेलर दिया गया है, तो उसे हमेशा पास में रखें और समय पर इस्तेमाल करें। डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना बहुत जरूरी है।
अस्थमा का इलाज: कब और कैसे करें शुरुआत
अस्थमा का इलाज पूरी तरह संभव है, बस इसके लिए समय पर सही दवा और देखभाल जरूरी होती है। आमतौर पर डॉक्टर अस्थमा मरीजों को इनहेलर इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इनहेलर एक छोटी सी डिवाइस होती है जिससे दवा सीधे फेफड़ों तक पहुंचती है और सांस लेने में राहत मिलती है। इसके अलावा कुछ मामलों में डॉक्टर स्टेरॉयड वाली दवाएं या नेबुलाइज़र भी देते हैं, जो सूजन को कम करते हैं और नलियों को खोलते हैं।
अगर आपको बार-बार सांस लेने में दिक्कत होती है, खांसी आती है या सीने में जकड़न रहती है, तो इसे नजरअंदाज न करें। ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से मिलें और जांच कराएं। अस्थमा के मरीजों को अपनी दवाएं समय पर लेनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बिना दवा बंद नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही धूल, धुएं और एलर्जी वाली चीजों से दूर रहना भी बहुत जरूरी है। अगर आप नियमित रूप से इलाज और परहेज करें, तो अस्थमा को काफी हद तक कंट्रोल में रखा जा सकता है और आप एक सामान्य जीवन जी सकते हैं।
विश्व अस्थमा दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व अस्थमा दिवस हर साल मई के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। साल 2025 में यह दिन 6 मई को है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी के बारे में जागरूक करना है। बहुत से लोग आज भी अस्थमा को लेकर डरते हैं या गलतफहमियों में रहते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि यह लाइलाज बीमारी है या दवा से और बढ़ जाती है, लेकिन यह सच नहीं है। इसलिए इस दिन लोगों को सही जानकारी दी जाती है कि अस्थमा का इलाज संभव है और अगर समय पर ध्यान दिया जाए तो व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।
इस खास दिन पर अस्पतालों, क्लीनिकों और हेल्थ संस्थाओं द्वारा फ्री हेल्थ चेकअप, इनहेलर उपयोग की ट्रेनिंग, और डॉक्टरों से बातचीत के सेशन रखे जाते हैं। कुछ जगहों पर स्कूल और दफ्तरों में अस्थमा जागरूकता रैलियां भी होती हैं। इसका मकसद यही है कि लोग अस्थमा के लक्षणों को पहचानें, समय रहते इलाज करवाएं और इसे लेकर किसी तरह की शर्म या डर ना रखें। अगर समाज में सही जानकारी पहुंचेगी, तो अस्थमा जैसी बीमारी से डरने की बजाय लोग उसका हल ढूंढ़ पाएंगे।
विश्व अस्थमा दिवस पर क्या कर सकते हैं आप?
6 मई को मनाया जाने वाला विश्व अस्थमा दिवस हमें एक जरूरी संदेश देता है – 'सांसों की सेहत सबसे जरूरी है।' इस दिन आप और हम सब मिलकर अपने और अपने परिवार की सेहत के लिए कुछ छोटे-छोटे लेकिन अहम कदम उठा सकते हैं। सबसे पहले, अगर किसी को बार-बार खांसी आती है, सांस फूलती है या सीने में भारीपन रहता है, तो इसे हल्के में न लें। बिना देर किए डॉक्टर से जांच कराएं। सही समय पर इलाज से अस्थमा को नियंत्रण में रखा जा सकता है और व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।
इसके अलावा इस दिन आप अपने आस-पास के लोगों को भी अस्थमा के लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दे सकते हैं। अगर कोई पहले से इनहेलर का उपयोग कर रहा है, तो उसे इसका सही तरीका सिखाना भी मददगार होगा। धूल, धुआं और पालतू जानवरों के बाल जैसे ट्रिगर से बचने के लिए सावधानी बरतें। स्वस्थ जीवनशैली, व्यायाम, और प्रदूषण से दूरी भी अस्थमा को दूर रखने में सहायक है। तो इस विश्व अस्थमा दिवस पर एक संकल्प लें – अपनी और अपनों की सांसों की रक्षा करना ही असली सुरक्षा है।