उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मंत्रियों, विधायकों और पूर्व विधायकों की सैलरी, भत्तों और पेंशन में बढ़ोतरी के लिए संशोधन विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है। नई दरें 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगी, जिससे राज्य पर सालाना 105.23 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा ने गुरुवार को सर्वसम्मति से राज्य विधानमंडल सदस्य और मंत्री सुविधा कानून (संशोधन) विधेयक 2025 पारित किया, जिसके तहत मंत्रियों और विधायकों की सैलरी, भत्ते और पेंशन में 40% तक की वृद्धि की गई है। अब मंत्रियों का मासिक वेतन 2.76 लाख रुपये और विधायकों का 2.66 लाख रुपये हो गया है। पूर्व विधायकों की पेंशन भी 25 हजार से बढ़ाकर 35 हजार रुपये प्रतिमाह कर दी गई है। सरकार का कहना है कि यह संशोधन नौ साल बाद किया गया है, ताकि जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्रों में अधिक प्रभावी सेवा दे सकें।
यूपी में विधायकों और मंत्रियों की सैलरी-भत्ते में बड़ी बढ़ोतरी
उत्तर प्रदेश विधानसभा ने गुरुवार को राज्य विधानमंडल सदस्य और मंत्री सुविधा कानून (संशोधन) विधेयक 2025 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इस संशोधन के तहत मंत्रियों और विधायकों के वेतन में 40% तक की वृद्धि की गई है। अब मंत्रियों का मासिक वेतन 2.76 लाख रुपये और विधायकों का 2.66 लाख रुपये हो गया है। यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा।
सरकार का कहना है कि नौ साल बाद यह संशोधन किया गया है ताकि बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की लागत को ध्यान में रखते हुए जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्रों में बेहतर सेवा देने के लिए पर्याप्त संसाधन मिल सकें। इससे राज्य पर सालाना 105.23 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।
भत्तों में भी बड़ा इजाफा
भत्तों में बढ़ोतरी के तहत विधायकों का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 75 हजार रुपये कर दिया गया है। रेलवे कूपन की सीमा 4.25 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये, टेलीफोन भत्ता 6 हजार से 9 हजार रुपये और सचिव भत्ता 30 हजार रुपये प्रति माह कर दिया गया है। इसके अलावा, चिकित्सीय भत्ता भी 30 हजार रुपये से बढ़ाकर 45 हजार रुपये किया गया है।
पूर्व विधायकों की न्यूनतम पेंशन 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 35 हजार रुपये प्रतिमाह कर दी गई है। इससे न केवल मौजूदा बल्कि पूर्व जनप्रतिनिधियों को भी राहत मिलेगी। सरकार का दावा है कि इन बदलावों से सभी स्तर के जनप्रतिनिधियों को अपने दायित्व निभाने में आर्थिक मजबूती मिलेगी।
बैठकों और सार्वजनिक सेवा भत्तों में भी संशोधन
सदन और समिति बैठकों में उपस्थित रहने पर मिलने वाला भत्ता 2,000 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 2,500 रुपये किया गया है। वहीं, सदन का सत्र न होने या समिति बैठक न होने पर सार्वजनिक सेवा के लिए मिलने वाला भत्ता 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है।
इन बढ़ोतरी के बाद, मंत्री और विधायक दोनों को अपने दायित्वों के साथ-साथ यात्रा, संचार और स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरतों को आसानी से पूरा करने में मदद मिलेगी।