ATM की संख्या में गिरावट: यूपीआई के विस्तार और RBI के नए नियमों के कारण, जानें क्या हैं इसके पीछे के मुख्य कारण

ATM की संख्या में गिरावट: यूपीआई के विस्तार और RBI के नए नियमों के कारण, जानें क्या हैं इसके पीछे के मुख्य कारण
Last Updated: 08 नवंबर 2024

एटीएम: डिजिटल मिशन के अंतर्गत कैश के उपयोग को कम करने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसके अलावा एटीएम की संख्या में कमी के पीछे कुछ अन्य कारण भी हैं जिनके बारे में आपको जानना आवश्यक है।

एटीएम: देश में यूपीआई के तेजी से विस्तार के कारण आपको यह महसूस हो सकता है कि नकद में भुगतान और नकद की आवश्यकता कम हो गई है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। देश में नकद का संचार उच्च स्तर पर बना हुआ है, जबकि भारत के बैंकों के एटीएम और कैश रिसाइकलर्स की संख्या लगातार घटती जा रही है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनके बारे में आप यहां जान सकते हैं...

देश में एटीएम कम क्यों हो रहे हैं?

इकनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में डिजिटल भुगतान में तेजी आई है, जिसमें खासकर यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न शहरों में डिजिटल परिवर्तन पर जोर देने के कारण एटीएम और कैश रिसाइकलर्स की संख्या में कमी देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि डिजिटल मिशन के अंतर्गत नकद के उपयोग को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

आरबीआई के आंकड़े क्या दर्शाते हैं?

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत में एटीएम की संख्या में महत्वपूर्ण कमी आई है। सितंबर 2023 में एटीएम की संख्या 2,19,000 थी, जो सितंबर 2024 में घटकर 2,15,000 पर आ गई है। एटीएम की संख्या में यह कमी मुख्य रूप से ऑफ-साइट एटीएम की संख्या में कमी के कारण हुई है। सितंबर 2022 में ऑफ-साइट एटीएम की संख्या कुल 97,072 थी, जो सितंबर 2024 तक घटकर 87,638 तक कम हो गई है, यानी इसमें 9,434 एटीएम की कमी आई है।

आरबीआई के नियमों के कारण एटीएम की संख्या में कमी आई

जब से रिजर्व बैंक ने एटीएम से मुफ्त नकद निकासी की संख्या को घटाया है और एटीएम से नकद निकालने पर इंटरचेंज फीस बढ़ाई है, तब से एटीएम से नकद निकालने की संख्या और ट्रेंड में कमी देखी गई है। इसी आधार पर आरबीआई एटीएम की उपयोगिता पर ध्यान दे रहा है।

देश में एटीएम की संख्या

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद कम है, एक लाख लोगों के हिसाब से केवल 15 एटीएम उपलब्ध हैं, और इसकी एक बड़ी वजह यह है कि एटीएम लगाने के नियम काफी सख्त और महंगे हैं। वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो भारत में एटीएम का ढांचा काफी पीछे है।

भारत में नकद का अधिक उपयोग

भारत में नकद का अभी भी अधिक इस्तेमाल हो रहा है, और वर्ष 2022 में यह कुल लेनदेन का 89 प्रतिशत था, जो देश की कुल जीडीपी का 12 प्रतिशत के बराबर था। यह आंकड़ा तुलनात्मक रूप से काफी अधिक है। इस संदर्भ में देखा जाए तो एटीएम की संख्या को लेकर चिंता होना स्वाभाविक है। बैंकिंग विशेषज्ञों के अनुसार, एटीएम लगाने के स्थानों का नया चलन इस बात पर निर्भर करता है कि आस-पास कितने लोग निवास करते हैं और किसी विशेष स्थान पर एटीएम की उपयोगिता कितनी अधिक है।

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