संदीप सभरवाल की राय: FII की बिकवाली के बीच ICICI Bank सहित, इन तीन लार्जकैप स्टॉक्स में निवेश करें

संदीप सभरवाल की राय: FII की बिकवाली के बीच ICICI Bank सहित, इन तीन लार्जकैप स्टॉक्स में निवेश करें
Last Updated: 4 घंटा पहले

संदीप सभरवाल ने कहा कि विदेशी निवेशकों की अगुवाई में बाजार में बिकवाली हो रही है, जिससे लार्जकैप स्टॉक्स में काफी गिरावट आई है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि जियो-पॉलिटिकल हालात बिगड़ते हैं, तो बाजार में बिकवाली और भी बढ़ सकती है।

शेयर मार्केट में सोमवार को कारोबार की शुरुआत थोड़ी बढ़त के साथ हुई, लेकिन बाजार अपने दिन के उच्चतम स्तर से गिर गए। निफ्टी ने 25,143 का दिन का उच्चतम स्तर प्राप्त किया, जिसके बाद यह 24,800 के नीचे चला गया। हालांकि, यह स्तर निफ्टी के लिए समर्थन का काम कर रहा है।

चीन के सस्ते बाजार के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) लगातार बिकवाली कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी कुछ दिनों में भारतीय बाजार में एफआईआई की बिकवाली जारी रह सकती है।

शेयर मार्केट के एक्सपर्ट संदीप सभरवाल ने कहा कि विदेशी निवेशकों की अगुवाई में बाजार में बिकवाली जारी है, जिससे लार्जकैप स्टॉक्स में भारी गिरावट आई है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि जियो-पॉलिटिकल हालात बिगड़ते हैं, तो बाजार में बिकवाली और भी गहरा सकती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यदि और गिरावट होती है, तो कुछ चयनित स्टॉक्स में खरीदारी का मौका मिल सकता है।

तीन लार्जकैप स्टॉक्स में खरीदारी का अवसर

उन्होंने कहा कि यदि बाजार और गिरता है, तो आईसीआईसीआई बैंक जैसे लार्जकैप स्टॉक्स में खरीदारी का अवसर मिलेगा। उन्होंने ICICI Bank Ltd सहित तीन लार्जकैप स्टॉक्स को गिरावट में खरीदने की सलाह दी।

इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि ग्लोबल इक्विटी मार्केट में रि-एलोकेशन और ओवरऑल पोजीशन के साथ लार्जकैप स्टॉक्स, जैसे कि एलएंडटी, रिलायंस और आईसीआईसीआई बैंक, अच्छे खरीदारी क्षेत्र में पहुंच सकते हैं।

बैकिंग सेक्टर पर विशेषज्ञों की राय

संदीप सभरवाल: आरबीआई के प्रोत्साहन के बावजूद, ऋण वृद्धि में सुस्ती, चिंता का विषय संदीप सभरवाल ने हाल ही में कहा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के प्रोत्साहन उपायों के बावजूद, अधिकांश वित्तीय संस्थान जमा वृद्धि पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे ऋण वृद्धि धीमी हो रही है।

सभरवाल का मानना है कि यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि ऋण वृद्धि में सुस्ती अर्थव्यवस्था के मंद होने का संकेत दे सकती है। उनके अनुसार, जमा वृद्धि, ऋण वृद्धि से अधिक रही है, जो इस बात का संकेत है कि बैंक ऋण देने से अधिक जमा एकत्र करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

ऋण वृद्धि में सुस्ती और वित्तीय क्षेत्र की चुनौतियाँ

ऋण वृद्धि में सुस्ती अर्थव्यवस्था से प्राप्त आंकड़ों के अनुरूप है, जो अर्थव्यवस्था की धीमी गति का संकेत देते हैं। यह बाजारों के लिए एक अतिरिक्त चुनौती पेश करता है, जिससे निपटना अनिवार्य है। यह स्थिति अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। कम ऋण वृद्धि निवेश में कमी का संकेत देती है, जो आगे चलकर रोजगार सृजन और आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर से जो दूसरा डेटा सामने आ रहा है, वह यह है कि विशेषकर माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFI) के लिए तनाव बढ़ रहा है, खासकर पिरामिड के निचले हिस्से में, जहां एनपीए का स्तर बढ़ गया है। इसलिए, यह देखना आवश्यक है कि क्या एनबीएफसी और बैंकों की अन-सिक्योर्ड लोन बुक में एसेट क्लास प्रेशर अधिक है या नहीं। इस पर हमें नतीजों के आने पर ध्यान देने की जरूरत है।

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