Earthquake: डरावना खुलासा! बढ़ती गर्मी बन रही है भूकंप का कारण, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

Earthquake: डरावना खुलासा! बढ़ती गर्मी बन रही है भूकंप का कारण, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
Last Updated: 17 जुलाई 2024

वैज्ञानिकों ने नए अध्ययन में डराने वाला खुलासा किया है कि जितनी अधिक गर्मी बढ़ेगी। उतनी ही ज्यादा भूकंपों की संख्या में बढ़तरी होगी। गर्मी बढ़ने से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जंगलों में लगातार आगजनी हो रही है। इसी बीच सवाल ये है कि क्या भूकंपों की संख्या भी बढ़ेगी? आइए जानते हैं -

New Delhi: भूकंप ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसकी भविष्यवाणी करना वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल है। भूकंप का केंद्र ज्यादा गहराई में होता है। इसके आने की वजह से विस्फोट होते हैं। भूस्खलन, सुनामी जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। लेकिन एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या जलवायु परिवर्तन  या बढ़ते तापमान की वजह से ज्यादा भूकंप सकते हैं। जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार टेक्टोनिक प्लेट्स की वजह से आने वाले से भूकंप सबसे खतरनाक होते हैं। 

टेक्टोनिक प्लेट्स की वजह से भूकंप

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में बताया कि टेक्टॉनिक प्लेट्स ही धरती की ऊपरी परत क्रस्ट और उसके नीचे स्थित मैंटल लेयर बनाते हैं। धरती के केंद्र से निकलने वाली गर्म की वजह से ये प्लेट्स हिलती-डुलती हैं। शोधकर्ताओं द्वारा एक साल में ये प्लेट्स कम से कम आधा इंच एक-दूसरे से टकराती हैं। जिस वजह से ऊपर,नीचे धंसती से जो प्रेशर निकलता है, वो रिलीज होने से धरती की ऊपरी सतह पर भूकंप आता है।

जलवायु परिवर्तन से भूकंप में तीव्रता

जिस वजह से यह पता लगाना मुश्किल है कि भूकंप कब और कहां आएगा? इसलिए इस प्राकृतिक आपदा को लेकर पहले से कोई तैयारी नहीं की जा सकती। इस दौरान यूनिवर्सिटी ऑफ विक्टोरिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ कनाडा के भूकंप विज्ञानी जॉन कैसिडी का कहना हैं कि लगातार बढ़ता तापमान और जलवायु परिवर्तन भूकंपों की संख्या को और तीव्रता बढ़ा सकता है।

तापमान बढ़ने से होंगे नुकसान

अध्ययन के मुताबिक, धरती पर बढ़ रहे लगातार तापमान से ग्लेशियर पिघलते हैं। जिनसे निकलने वाला पानी समंदर में जाता है। इससे समंदर का जलस्तर और अधिक बढ़ जाता है। धरती की ऊपरी पहली परत पर अधिक दबाव पड़ता है। बता दें कि जैसे ही ये प्रेशर रिलीज होता है, भूकंप आने शुरू हो जाते हैं। इसी प्रेशर की वजह से टेक्टोनिक प्लेट्स एक दूसरे से टकराती हैं।

भूकंप का पहले पता लगाना मुश्किल

जर्मनी के जियोफिजिसिस्ट मार्को कहना हैं कि ऐसे भूकंपों की तरंगे धीमी होती है। जिस वजह से ये काफी लंबे समय तक परत पर दबाव सहन करती हैं और अचानक ये फट जाती हैं। तो ऐसे भूकंपों के आने की आशंका ज्यादातर सैन फ्रांसिस्को औऱ लॉस एंजेल्स पर रहती है। लेकिन इनका भी यह पता लगाना काफी मुश्किल है कि यह कब आएगा। लेकिन जियोफिजिसिस्ट ने उम्मीद जताई है कि ये अगले कुछ दशकों में होगा।  

 

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