पंजाब में बारिश के मौसम को देखते हुए धान की खेती शुरू हो गई है। लेकिन किसानों को श्रमिक ने मिलने के कारण उनकी कमी से जूझना पड़ रहा है। इसके साथ ही बिजली और पानी को लेकर भी किसान चिंतित हैं। किसान के लिए सबसे बड़ी समस्या रोपाई के लिए श्रमिक न मिलना हैं।
चंडीगढ़: जेठ महीने में 11 जून से पंजाब में धान की रोपाई का काम शुरूहो गया है. लेकिन श्रमिकों की कमी के कारण पंजाब जूझने लगा है। हालांकि इस बार राज्य सरकार ने किसानों को ज्यादा से ज्यादा नहरी पानी का उपयोग करने की मौहलत दी है और इसकी व्यवस्था के ठोस इंतजाम भी किए जा रहे है, लेकिन जिस प्रकार से पंजाब में भूजल लगातार गहराई में जा रहा हैं उसने नीति शास्त्रियों के चेहरों पर शिकन की लकीरों खींच दी हैं।
जानकारी के मुताबिक जून के महीने में जहां एक तरफ धान के लिए श्रमिकों, बिजली और पानी की कमी से किसानों को जूझना पड़ रहा है वहीं दूसरी और अक्टूबर, नवंबर में पराली जलाने की समस्या का भी सामना करना पड़ेगा क्योंकि इस बार धान का रकबा पिछले साल के मुकाबले बढ़ सकता है। धान के विकल्प के तौर पर उगाई जाने वाली कपास की फसल का क्षेत्र मात्र 79 हजार हेक्टेयर रह गया है। जिसे दो लाख हेक्टेयर तक ले जाने का कृषि विभाग ने दावा किया था।
धान रकबा 24 लाख हेक्टेयर से 31 लाख के पार
Subkuz.com को प्राप्त जानकारी के मुताबिक साल 2007-12 के कार्यकाल के दौरान गिरते भूजल की समस्या को देखते हुए अकाली सरकार ने दस जून से पहले धान की रोपाई करने पर पाबंदी लगा दी थी। इससे भूजल गिरने की रफ्तार में कमी आने की बजाए और बढ़ोतरी हो गई क्योंकि धान का रकबा 24 लाख हेक्टेयर से 31.4 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया हैं।
कृषि विभाग के पूर्व कमिश्नर डॉ बलविंदर सिंह सिद्धू ने मीडिया को बताया कि अगर सरकार धान की रोपाई 20 जून के आसपास सुनिश्चित कर दे तो भूजल गिरने की रफ्तार में कुछ गिरावट हो सकती है, क्योंकि 30 जून को पंजाब में मानसून की एंट्री हो जाती है और 20 से 25 जून के बीच प्री मानसून के चलते शुष्क मौसम में नमी आ जाती है। जिससे खेतों में लगने वाले पानी का वाष्पीकरण काफी कम हो जाएगा।
संगरूर जिले में सबसे ज्यादा धान की रोपाई
जानकारी के मुताबिक संगरूर जिला में सबसे ज्यादा धान की खेती की जाती है, यहां पर पिछले साल रोपाई की रेट प्रति एकड़ 3500-3700 रुपए था, जबकि इस साल बढाकर 4500 से 5000 रूपये प्रति एकड़ हो गया है। बताया कि ज्यादातर जिलों में जेठ के महीने में रोपाई का काम 15 से 20 जून के बीच शुरू होता है। उस समय श्रमिकों की मांग बढ़ जाती है। फतेहगढ़ के अवतार सिंह ने बताया कि एक साथ रोपाई का काम शुरू होने के कारण श्रमिक भी काम का मनचाहा रेट मांगते हैं।