वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अब्राहम लिंकन का जिक्र करते हुए Union Budget 2025 को जनता का बताया। पीएम मोदी और सीतारमण ने मध्य वर्ग के लिए कदम उठाए हैं।
Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को लगातार आठवां बजट पेश किया, जिसमें 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स दायरे से बाहर रखने की बड़ी घोषणा की गई। इस फैसले से न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की उम्मीद है, बल्कि आम लोगों, खासकर मध्य वर्ग के आयकर दाताओं को भी राहत मिलेगी।
बजट को 'जनता के लिए, जनता का बजट' करार
बजट के बाद पीटीआई को दिए गए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने इसे 'जनता के लिए, जनता का बजट' करार दिया। उन्होंने कहा कि इस बजट में टैक्स छूट के विचार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन था, लेकिन नौकरशाहों को इस फैसले को समझाने में समय लगा।
मध्य वर्ग के हित में सरकार का कदम
निर्मला सीतारमण ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का उल्लेख करते हुए बजट 2025 को 'जनता द्वारा, जनका के लिए, जनता का' बताया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और उन्होंने पहले भी मध्य वर्ग के आयकर दाताओं की बात की थी, लेकिन इस बार उनके लिए वास्तविक कदम उठाए गए हैं।
सरकार ने आयकर छूट की सीमा सात लाख रुपये सालाना से बढ़ाकर सीधे 12 लाख रुपये कर दी है। इसे सरकार की ओर से अपने 'मध्य वर्ग' वोट बैंक को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। वित्त मंत्री ने बताया कि इस कदम से आम करदाता के पास 1.1 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी, जो घरेलू मांग को बढ़ाने में मदद करेगी।
मिडिल क्लास के जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए लिया गया फैसला
जब वित्त मंत्री से पूछा गया कि 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स दायरे से बाहर क्यों किया गया, तो उन्होंने कहा कि मिडिल क्लास में यह चर्चा बहुत होती है कि उन्हें अब तक क्या मिला। उन्होंने कहा, "हमारे लिए हर बार हर क्षेत्र के लोगों पर फोकस होता है। इस बार हमने यह देखा कि 1 लाख रुपये कमाने वालों का जीवन स्तर कैसा होता है। इसको देखते हुए हमने निर्णय लिया कि हर महीने 1 लाख रुपये कमाने वालों को टैक्स छूट दी जाए।"
नौकरशाही में भी बदलाव की आवश्यकता पर जोर
इस बजट में मिडिल क्लास को राहत देने का फैसला स्पष्ट रूप से सरकार द्वारा समाज के इस वर्ग की आवाज को सुने जाने का संकेत है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस निर्णय के पीछे लंबी प्रक्रिया और नौकरशाही की व्यवस्था को समझाने की आवश्यकता थी, जो अब समाप्त हो चुकी है।