अगर आपने अब तक पुराने GST रिटर्न नहीं भरे हैं, तो 1 जुलाई 2025 से पहले सावधान हो जाइए। केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) नियमों में एक अहम बदलाव की घोषणा की है, जिसके तहत तीन साल से पुराने रिटर्न दाखिल करने या संशोधन करने की अनुमति समाप्त हो जाएगी।
नई दिल्ली: अगर आप व्यापारी हैं या कोई संस्था चलाते हैं और पुराने GST रिटर्न अभी तक नहीं भरे हैं, तो अब सावधान हो जाइए। 1 जुलाई 2025 से GST के नियमों में बड़ा बदलाव आने वाला है, जो लाखों टैक्सदाताओं को सीधे प्रभावित करेगा। नए नियमों के अनुसार, तीन साल से पुराने GST रिटर्न अब नहीं भरे जा सकेंगे और न ही उनमें कोई बदलाव किया जा सकेगा।
क्या है नया नियम?
जीएसटी नेटवर्क (GSTN) ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें कहा गया है कि 1 जुलाई 2025 से GST पोर्टल पर 3 साल की समयसीमा के बाद कोई भी रिटर्न स्वीकार नहीं किया जाएगा। मतलब साफ है — अगर आपने जुलाई 2022 से पहले का कोई मासिक या वार्षिक रिटर्न नहीं भरा है, तो अब उसे जुलाई 2025 के बाद फाइल करना संभव नहीं होगा।
यह प्रावधान फाइनेंस एक्ट 2023 के तहत लागू किया जा रहा है, जिसका मकसद है टैक्स सिस्टम को अनुशासित करना और लंबित रिटर्न के मामलों में कमी लाना।
किन-किन रिटर्न पर होगा असर?
इस नियम का प्रभाव सिर्फ एक या दो रिटर्न फॉर्म पर नहीं बल्कि लगभग सभी प्रकार के रिटर्न पर पड़ेगा। इनमें शामिल हैं:
- GSTR-1 (बिक्री की जानकारी)
- GSTR-3B (मासिक टैक्स रिटर्न)
- GSTR-4 (कंपोजिशन स्कीम के लिए)
- GSTR-5 और 5A (विदेशी टैक्सदाताओं के लिए)
- GSTR-6 (ISD के लिए)
- GSTR-7 और 8 (TDS और TCS रिटर्न)
- GSTR-9 (वार्षिक रिटर्न)
इनमें से कई रिटर्न, टैक्स भुगतान, इनपुट टैक्स क्रेडिट और ऑडिट जैसी महत्वपूर्ण जानकारियों से जुड़े होते हैं।
टैक्सदाताओं को दी गई चेतावनी
GSTN ने टैक्सदाताओं से स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि उनके पास कोई लंबित रिटर्न है, तो 1 जुलाई 2025 से पहले हर हाल में उसे फाइल कर दें। अन्यथा तीन साल की समयसीमा के बाद वो रिटर्न 'लॉक' हो जाएगा और फाइल करना असंभव होगा।
- यह चेतावनी खासकर उन व्यवसायों के लिए अहम है जो अभी तक पुराने विवाद, तकनीकी गड़बड़ियों या लापरवाही के चलते फाइलिंग से चूक गए हैं।
- एक्सपर्ट्स क्यों जता रहे हैं चिंता?
- जहां सरकार इस नियम को टैक्स सिस्टम में सुधार का कदम मान रही है, वहीं टैक्स एक्सपर्ट इस बदलाव पर सवाल भी उठा रहे हैं।
AMRG & Associates के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने प्रतिक्रिया दी
यह नियम निश्चित रूप से डिफॉल्टर टैक्सपेयर्स पर शिकंजा कसने वाला है, लेकिन इसका असर उन टैक्सदाताओं पर भी पड़ेगा जो ईमानदारी से टैक्स देना चाहते थे लेकिन किसी वैध कारण से फाइलिंग नहीं कर पाए। रजत मोहन ने यह भी कहा कि अभी ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है जिससे कानूनी अड़चनों, सिस्टम एरर या प्रशासनिक गलती की वजह से फाइलिंग में हुई देरी को जायज ठहराया जा सके। इसका सीधा असर टैक्सदाताओं के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) पर पड़ेगा।
इनपुट टैक्स क्रेडिट का मतलब है कि अगर आप कोई कच्चा माल या सेवा खरीदते हैं और उस पर टैक्स चुकाते हैं, तो आप उस टैक्स को अपनी टैक्स देनदारी में समायोजित कर सकते हैं। अगर रिटर्न समय पर नहीं भरा गया तो ITC क्लेम करना नामुमकिन हो जाएगा, जिससे सीधे व्यवसाय की लागत बढ़ेगी और घाटा झेलना पड़ सकता है।
समाधान क्या है?
फिलहाल इस नियम में किसी भी तरह की छूट या विशेष स्थिति को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। विशेषज्ञों की राय है कि सरकार को रेस्पोंसिव मैकेनिज्म बनाना चाहिए, जिसमें वैध कारणों से रिटर्न न भर पाने वाले टैक्सदाताओं को राहत मिल सके। साथ ही, पोर्टल को तकनीकी रूप से और मजबूत बनाने की मांग की जा रही है, ताकि सिस्टम से जुड़ी समस्याएं टैक्स भरने में बाधा न बनें।
यदि आपने अपने व्यापार के जीएसटी रिटर्न 2022 या उससे पहले के वर्षों में नहीं भरे हैं, तो आपके पास 1 जुलाई 2025 तक का ही समय है। उसके बाद वो रिटर्न हमेशा के लिए सिस्टम में बंद हो जाएंगे। यह नियम भले ही टैक्स प्रशासन को आसान बनाए, लेकिन लाखों व्यापारियों और उद्यमियों के लिए यह 'कर नियमन' से अधिक 'कर दबाव' जैसा महसूस हो सकता है।