भारत के प्राइवेट सेक्टर में हाल के वर्षों में कंपनियों के मुनाफे में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों की सैलरी में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। यह स्थिति देश की अर्थव्यवस्था के विकास पर नकारात्मक असर डाल रही है, और सरकार के लिए भी यह चिंता का विषय बन चुकी है।
कॉर्पोरेट मुनाफे में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, फिर भी सैलरी ग्रोथ सुस्त
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में प्राइवेट कंपनियों के मुनाफे में 400 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके बावजूद, कर्मचारियों की सैलरी में उतना इजाफा नहीं हुआ जितना होना चाहिए था। 2019 से 2023 तक के आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है कि प्राइवेट कर्मचारियों की सैलरी में महज 4 फीसदी का इजाफा हुआ, जो महंगाई दर से भी कम है। यह स्थिति इसलिए चिंताजनक है क्योंकि जब कंपनियों का मुनाफा इतना बढ़ा है, तो कर्मचारियों की सैलरी में इतनी कम वृद्धि को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
कंपनियों के मुनाफे में बड़ी बढ़ोतरी, फिर भी सैलरी में बदलाव नहीं
देश की प्रमुख कंपनियों जैसे इंजीनियरिंग, मैनुफैक्चरिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में सैलरी ग्रोथ मात्र 0.8 प्रतिशत रही है, जबकि एफएमसीजी सेक्टर में भी यह सिर्फ 5.4 फीसदी बढ़ी है। यह सैलरी वृद्धि महंगाई के मुकाबले बहुत कम है, जिसके कारण कर्मचारियों की खरीदारी की क्षमता पर असर पड़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप, देश में शहरी खपत लगातार घटती जा रही है, जिससे विकास दर पर भी असर पड़ा है।
महंगाई के साथ घटती क्रय शक्ति, अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती
महंगाई और कम वेतन वृद्धि के कारण कर्मचारियों की क्रय शक्ति घट रही है, जिससे उनके खर्च करने की क्षमता भी घट रही है। इस स्थिति को लेकर सरकार चिंतित है, क्योंकि इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। इससे पहले कि स्थिति और खराब हो, सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है।
भारत सरकार की चेतावनी: उद्योग जगत को सुधार की जरूरत
भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने उद्योग जगत से इस मुद्दे पर गंभीर ध्यान देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर प्राइवेट कर्मचारियों की सैलरी में सुधार नहीं हुआ तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर होगा, और अंततः इसका खामियाजा कॉर्पोरेट सेक्टर को भी भुगतना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा नहीं हुआ तो उनकी क्रय शक्ति में और कमी आएगी, जिससे बाजार में उत्पादों की मांग घटेगी और यह कंपनियों के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।
देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता के लिए सैलरी में सुधार जरूरी
कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी और कर्मचारियों की सैलरी में सुस्ती के बीच यह साफ है कि कर्मचारियों की सैलरी में सुधार करना देश की आर्थिक स्थिरता के लिए बेहद जरूरी है। यदि सरकार और कंपनियां इस दिशा में कदम नहीं उठाती हैं तो देश की आर्थिक स्थिति और बिगड़ सकती है।