सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई और निपटारा होने तक नए मुकदमे दर्ज नहीं किए जा सकते। कोर्ट ने मामले पर केंद्र से जवाब भी तलब किया है।
Places Of Worship Act: गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की विशेष पीठ ने मामले की अगली सुनवाई तक नए मुकदमों के पंजीकरण पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
नए मुकदमों और सर्वेक्षणों पर प्रतिबंध
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर निर्णय होने तक मंदिर-मस्जिद से संबंधित कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा। साथ ही, निचली अदालतों को प्रभावी या अंतिम आदेश और किसी भी प्रकार के सर्वे का निर्देश देने से भी रोका गया है।
केंद्र को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह के भीतर पूजा स्थल अधिनियम पर हलफनामा दाखिल करने को कहा। अदालत ने एक व्यवस्था या पोर्टल बनाने का सुझाव दिया, जहां सभी संबंधित दस्तावेज और जवाब एकत्रित किए जा सकें। सॉलिसिटर जनरल ने इसके लिए गूगल ड्राइव लिंक बनाने का प्रस्ताव रखा।
विभिन्न अदालतों में लंबित मामले
याचिकाकर्ताओं के वकील राजू रामचंद्रन ने अदालत को बताया कि विभिन्न अदालतों में 10 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं और इन पर आगे सुनवाई पर रोक लगाना आवश्यक है। केंद्र सरकार ने इस मांग का विरोध किया। कोर्ट ने मथुरा और अन्य दो मामलों का उल्लेख किया, जो पहले से लंबित हैं।
सिविल कोर्ट के अधिकारों पर चर्चा
सुनवाई के दौरान, वकीलों ने विभिन्न अदालतों के सर्वेक्षण आदेशों पर आपत्ति जताई। जस्टिस के वी विश्वनाथन ने कहा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है, तो सिविल कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए पोर्टल या प्रक्रिया बनाने पर भी जोर दिया गया।