शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर और श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जूना अखाड़े के मुख्यालय में कार्यक्रम करने के लिए हमें प्रशासन की अनुमति की आवश्यकता क्यों होनी चाहिए? यह हमारा धार्मिक स्थान है, सार्वजनिक संपत्ति नहीं। यहां धर्म की चर्चा नहीं होगी तो कहां होगी?
मुख्यमंत्री को खून से लिखा पत्र
यति नरसिंहानंद ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपने खून से पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा कि धर्म संसद का आयोजन 19 से 21 दिसंबर 2024 तक जूना अखाड़े के मुख्यालय में हो रहा है। इसका उद्देश्य हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और नरसंहार पर चर्चा करना है। यह आयोजन किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं, बल्कि जूना अखाड़े के निजी परिसर में हो रहा है। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी गई।
धर्म संसद का उद्देश्य
महामंडलेश्वर ने कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं के नरसंहार की घटनाएं और कश्मीर में हिंदुओं का खात्मा उनकी पीड़ा का कारण हैं। धर्म संसद का उद्देश्य इन विषयों पर चर्चा करना है ताकि भारत में हिंदू समाज जागरूक हो और इस्लामिक जिहाद का शिकार न बने।
हेट स्पीच के आरोपों पर बोले यति नरसिंहानंद
हेट स्पीच के मामले पर यति नरसिंहानंद ने कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है जो तथ्यात्मक रूप से गलत हो। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, "अगर मेरी बात को कोई गलत साबित कर दे, तो मैं गंगा में जल समाधि ले लूंगा।" उनका कहना है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ जो अत्याचार हो रहे हैं, वह उनके लिए गहरी चिंता का विषय हैं।
प्रशासन के दबाव में आयोजन
यति नरसिंहानंद ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा धर्म संसद न करने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह हमारा अधिकार है कि हम अपने धार्मिक स्थान पर धर्म की चर्चा करें। अगर प्रशासन हमें ऐसा करने से रोकता है, तो यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हैं।
महाकुंभ 2025 की तैयारी और धर्म संसद का महत्व
महाकुंभ 2025 को लेकर राज्य में तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में धर्म संसद का यह आयोजन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। महामंडलेश्वर ने कहा कि इस धर्म संसद में संत, विद्वान और प्रबुद्ध लोग शामिल होंगे, ताकि हिंदू समाज की चुनौतियों और उनके समाधान पर विचार किया जा सके।
हिंदू समाज की पीड़ा पर विमर्श आवश्यक
यति नरसिंहानंद ने कहा कि दुनिया में जहां भी हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है, उस पर चर्चा करना जरूरी है। यह धर्म संसद इस उद्देश्य से आयोजित की जा रही है कि हिंदू समाज को जागरूक किया जाए और वह अपनी पहचान व अस्तित्व को बचाने के लिए तैयार हो।
धर्म संसद को लेकर यति नरसिंहानंद के बयानों ने एक बार फिर चर्चा को गर्म कर दिया है। उनके खून से लिखे पत्र और गंगा में समाधि लेने की चेतावनी ने मामले को और गंभीर बना दिया है। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार और प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाते हैं।