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G-7 शिखर सम्मेलन: भारत की भागीदारी पर संशय, कनाडा के रुख पर उठे सवाल

G-7 शिखर सम्मेलन: भारत की भागीदारी पर संशय, कनाडा के रुख पर उठे सवाल
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

जी-7 शिखर सम्मेलन 2025 की मेजबानी कर रहे कनाडा ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस महत्वपूर्ण वैश्विक बैठक के लिए आमंत्रित किया जाएगा या नहीं।

नई दिल्ली: जी-7 शिखर सम्मेलन 2025 की मेजबानी कर रहे कनाडा ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस महत्वपूर्ण वैश्विक बैठक के लिए आमंत्रित किया जाएगा या नहीं। भारत 2019 से लगातार जी-7 सम्मेलनों में बतौर विशेष अतिथि भाग लेता आ रहा है, लेकिन इस बार कनाडा के साथ तल्ख रिश्तों के चलते स्थिति अनिश्चित बनी हुई हैं।

कनाडा की चुप्पी के मायने

इस साल 15-17 जून को अल्बर्टा के कनानस्किस में जी-7 शिखर सम्मेलन आयोजित होगा। हालांकि, कनाडाई अधिकारियों ने अभी तक भारत सहित अतिथि देशों की सूची जारी नहीं की है। इस मुद्दे पर कनाडा के आधिकारिक रुख को लेकर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि नई दिल्ली और ओटावा के बीच हालिया तनावपूर्ण संबंध किसी से छिपे नहीं हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को निमंत्रण मिलने में देरी कनाडा की रणनीतिक सोच और घरेलू राजनीतिक दबाव का परिणाम हो सकती है। गौरतलब है कि पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारत के बीच खालिस्तान समर्थक तत्वों को लेकर विवाद गहराया था, जिससे द्विपक्षीय रिश्तों में दरार आई।

क्या भारत को मिलेगा न्योता?

जी-7 मीडिया टीम के एक अधिकारी ने कहा, "अभी तक अतिथि देशों के निमंत्रण पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। उचित समय पर जानकारी साझा की जाएगी।" यह बयान कई अटकलों को जन्म दे रहा है कि क्या भारत इस बार इस शिखर बैठक का हिस्सा बनेगा या नहीं। हालांकि, भारत ने संकेत दिया है कि वह संबंध सुधारने को तैयार है, बशर्ते आपसी विश्वास और सम्मान की भावना कायम हो। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित करना या न करना कनाडा की विदेश नीति की दिशा को तय करने वाला एक बड़ा संकेत होगा।

मार्क कार्नी के सामने चुनौती

कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पदभार संभालने के बाद भारत के साथ संबंध सुधारने की इच्छा जताई है, लेकिन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच उनकी राह आसान नहीं है। ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान भारत-कनाडा संबंधों में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था, और अब कार्नी को उस भरोसे को फिर से बहाल करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा हैं।

जी-7 और भारत की अहमियत

भारत, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वैश्विक कूटनीति में एक मजबूत शक्ति के रूप में, जी-7 के एजेंडे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जलवायु परिवर्तन, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता जैसे मुद्दों पर भारत का रुख काफी मायने रखता है। ऐसे में यदि कनाडा भारत को आमंत्रित नहीं करता, तो यह एक बड़ा राजनयिक संकेत होगा।

प्रधानमंत्री मोदी 2019 से जी-7 बैठकों में लगातार भाग लेते आ रहे हैं। उन्हें सबसे पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बियारिट्ज शिखर सम्मेलन में बुलाया था। उसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान के नेतृत्व में हुए जी-7 शिखर सम्मेलनों में भी भारत को आमंत्रित किया गया। हालांकि, कनाडा की ओर से भारत के निमंत्रण पर बनी रहस्य की स्थिति यह संकेत देती है कि दोनों देशों के संबंधों में अभी भी तनाव बरकरार हैं। 

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