हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। इस बीच बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बगावत का रास्ता अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाहे भाजपा उन्हें टिकट दे या न दे, वह किसी भी स्थिति में रानियां विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे।
चंडीगढ़: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी द्वारा टिकटों की घोषणा से पहले ही बगावत की आवाज़ें सुनाई देने लगी हैं। यह बगावत और किसी से नहीं बल्कि पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल के बेटे और हरियाणा के बिजली मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला से आ रही है। चौटाला ने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाहे भाजपा उन्हें टिकट दे या न दे, वह किसी भी स्थिति में रानियां विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे।
कभी कांग्रेसी थे रणजीत
हरियाणा में बिजली मंत्री रणजीत चौटाला पहले कांग्रेस के सदस्य थे, लेकिन वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सिरसा जिले की रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। उन्होंने पूरे पांच वर्षों तक भाजपा सरकार को समर्थन दिया। इसके परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी ने निर्दलीय विधायकों के कोटे से रणजीत चौटाला को हरियाणा सरकार में बिजली और जेल मंत्री के रूप में बनाए रखा।
हिसार से लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी बने रहे मंत्री
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने रणजीत चौटाला को रानियां के विधायक पद से इस्तीफा दिलवाकर अपनी पार्टी में शामिल किया और आधे घंटे के भीतर ही उन्हें हिसार लोकसभा सीट से टिकट दे दिया। हालांकि हिसार से कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी ने चुनाव जीत लिया, लेकिन रणजीत चौटाला की हार का अंतर काफी कम रहा।
लोकसभा चुनाव हारने और रानियां के विधायक पद से इस्तीफा देने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने रणजीत चौटाला को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट में बिजली मंत्री बनाए रखा है। अब रणजीत चौटाला को यह महसूस हो रहा है कि भाजपा उन्हें रानियां से विधानसभा चुनाव लड़वाने की संभावना नहीं है, इस स्थिति में उन्होंने दबाव की राजनीति शुरू करते हुए पार्टी छोड़ने के संकेत दिए हैं।
चौटाला एक बार फिर कांग्रेस में हो सकते है शामिल
हरियाणा के बिजली मंत्री रहे रणजीत चौटाला ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ कभी खुलकर कुछ नहीं कहा। वह हमेशा हुड्डा को अपना मित्र बताते रहे हैं। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि यदि भाजपा ने रणजीत चौटाला को रानियां से टिकट नहीं दिया, तो वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। रानियां रणजीत चौटाला के लिए एक सुरक्षित सीट मानी जाती है, इसलिए कांग्रेस और विशेषकर हुड्डा भी रणजीत चौटाला को अपनी पार्टी में शामिल करने में अधिक समय नहीं लगाएंगे। रणजीत चौटाला ने अपने समर्थकों से इस विषय पर रायशुमारी (चर्चा) भी कर ली हैं।
गोपाल कांडा पर बोला हमला
रणजीत चौटाला ने भारतीय जनता पार्टी से स्पष्टीकरण मांगा है कि गोबिंद और धवल कांडा के बारे में उनकी क्या राय है, लेकिन अभी तक उन्हें इस पर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है। रणजीत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि चाहे भाजपा उन्हें टिकट दे या न दे, वे रानियां विधानसभा सीट से हर हाल में चुनाव लड़ेंगे। इस बयान को भाजपा के प्रति बगावत के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने गोपाल कांडा पर भी तीखा हमला करते हुए कहा कि उनका यही काम है। वे एक सीट जीतते हैं और फिर सीएलयू के लिए सरकार पर दबाव डालते हैं ताकि उसे प्राप्त कर सकें। हलोपा सिरसा सीट भी जीतने में सफल नहीं होगी।