J&K News: मुथैया मुरलीधरन की कंपनी को मिली जमीन पर विवाद, विधानसभा में उठा मामला, जानें वजह

J&K News: मुथैया मुरलीधरन की कंपनी को मिली जमीन पर विवाद, विधानसभा में उठा मामला, जानें वजह
अंतिम अपडेट: 14 घंटा पहले

श्रीलंकाई क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन की कंपनी ने जम्मू-कश्मीर में आवंटित जमीन सरेंडर कर दी, क्योंकि उसे केंद्र की न्यू सेंट्रल सेक्टर स्कीम (NCSS) का लाभ नहीं मिल रहा था।

J&K News: जम्मू-कश्मीर में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विशेष नीति लागू की थी, जिसके तहत उद्योगपतियों को रियायतें दी जा रही थीं। इसी योजना से आकर्षित होकर श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन की कंपनी ने कठुआ जिले में उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन आवंटित कराई थी। कंपनी ने 1642 करोड़ रुपये के निवेश के साथ साफ्ट ड्रिंक्स निर्माण इकाई स्थापित करने की योजना बनाई थी।

सरकारी स्कीम का लाभ न मिलने पर कंपनी ने लिया फैसला

मुरलीधरन की कंपनी को केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यू सेंट्रल सेक्टर स्कीम (एनसीएसएस) का लाभ नहीं मिल पा रहा था। इस कारण कंपनी ने जम्मू-कश्मीर में अपना उद्योग स्थापित न करने का फैसला लिया और जमीन सरेंडर करने का आवेदन दायर कर दिया।

विधानसभा में गूंजा मुद्दा

शनिवार को यह मामला जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गूंजा। माकपा विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामी ने मुरलीधरन का नाम लिए बिना सवाल उठाया कि एक विदेशी क्रिकेटर को किस आधार पर जमीन दी गई? उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि जमीन आवंटन किस दर पर हुआ और क्या इसके लिए कोई शुल्क वसूला गया? कांग्रेस समेत कई अन्य विधायकों ने भी इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए जांच की मांग की।

25.75 एकड़ जमीन के लिए किया था आवेदन

मुरलीधरन की कंपनी सेलान बेवरेजिस ने वर्ष 2023 में 25.75 एकड़ (205 कनाल) जमीन के लिए आवेदन किया था। जनवरी 2024 में कठुआ में उन्हें यह जमीन आवंटित कर दी गई थी। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा एनसीएसएस के तहत दिया गया 28,400 करोड़ रुपये का पैकेज समाप्त हो गया, जिससे कंपनी को योजना का लाभ नहीं मिल पाया। इसी वजह से कंपनी ने उद्योग स्थापित करने का विचार छोड़ दिया।

जमीन अलॉटमेंट की प्रक्रिया

जम्मू-कश्मीर में उद्योग स्थापित करने के लिए सरकार की सिंगल विंडो प्रणाली के तहत आवेदन किया जाता है। इसके बाद निवेश, रोजगार सृजन और पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान में रखते हुए मेरिट तैयार की जाती है। इसके बाद प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एपेक्स कमेटी से मंजूरी मिलने के बाद जमीन आवंटित की जाती है। मुरलीधरन को भी इसी प्रक्रिया के तहत जमीन दी गई थी।

औद्योगिक निवेश और रोजगार की स्थिति

एनसीएसएस के तहत जम्मू-कश्मीर में अब तक 9606.46 करोड़ रुपये के निवेश से 1984 औद्योगिक इकाइयां स्थापित की गई हैं, जिससे 63,710 लोगों को रोजगार मिला है। सरकार के पास दिसंबर 2024 तक 1.63 लाख करोड़ रुपये के नए निवेश प्रस्ताव आए थे, जिनसे 5.90 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद थी।

सरकार का पक्ष 

जम्मू-कश्मीर के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के निदेशक अरुण मन्हास ने कहा कि सरकार ने सभी निवेशकों को निर्धारित प्रक्रिया के तहत जमीन आवंटित की थी। मुरलीधरन ने दो दिन पहले जमीन सरेंडर करने का आवेदन दिया, क्योंकि उन्हें एनसीएसएस का लाभ नहीं मिल रहा था। सरकार नियमानुसार 20 प्रतिशत राशि काटकर शेष धनराशि लौटाएगी।

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