Punjab: अकाल तख्त के जत्थेदारों को हटाने पर शिरोमणि अकाली दल में बगावत, मजीठिया और बादल गुटों के बीच टकराव

Punjab: अकाल तख्त के जत्थेदारों को हटाने पर शिरोमणि अकाली दल में बगावत, मजीठिया और बादल गुटों के बीच टकराव
अंतिम अपडेट: 7 घंटा पहले

बिक्रम सिंह मजीठिया ने छह अन्य नेताओं के साथ फैसले का विरोध करते हुए कहा कि इससे सिखों की भावनाएं आहत हुई हैं और अकाली दल की आंतरिक संघर्षों ने पंथिक एकता को नुकसान पहुंचाया।

Punjab: शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया और अन्य नेताओं ने अकाल तख्त के जत्थेदारों को हटाने के एसजीपीसी के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह कदम सिखों की भावनाओं को आहत करने वाला और पार्टी की आंतरिक एकता को कमजोर करने वाला है।

मजीठिया गुट का विरोध 

बिक्रम सिंह मजीठिया ने छह अन्य नेताओं के साथ मिलकर एसजीपीसी के फैसले का विरोध किया। मजीठिया ने कहा, "इस निर्णय से सिख संगत की भावनाएं आहत हुई हैं और यह शिरोमणि अकाली दल की आंतरिक एकता को नुकसान पहुंचा सकता है।" उनका कहना था कि पार्टी के भीतर चल रहे संघर्षों ने विरोधी ताकतों को मजबूत किया है और पंथिक एकता को खतरे में डाल दिया है। मजीठिया ने कहा, "हमने हमेशा अकाल तख्त और उसके जत्थेदार का सम्मान किया है, और हम इसे हमेशा बनाए रखेंगे।"

एसजीपीसी के फैसले के बाद सिख संगत की गहरी नाराजगी

मजीठिया और उनके गुट ने कहा कि हाल ही में हुई घटनाओं ने सिख संगत को गहरी ठेस पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि यह एक सामूहिक जिम्मेदारी का नतीजा है और इससे पंथिक भावनाओं को नुकसान हुआ है। उनके मुताबिक, एसजीपीसी द्वारा लिए गए फैसले से सिख समुदाय में असंतोष फैलने का खतरा है।

एसजीपीसी का निर्णय और अकाली दल का आंतरिक विरोध

एसजीपीसी का यह कदम फरवरी में तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने के बाद उठाया गया था। इसके बाद, ज्ञानी रघबीर सिंह को भी तख्त परिसर तक ही सीमित किया गया था, जबकि एसजीपीसी ने अपने अधिकारों का दावा किया। एसजीपीसी ने इसके बाद ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज को तख्त केसगढ़ साहिब का जत्थेदार और अकाल तख्त का कार्यवाहक जत्थेदार नियुक्त किया।

बलविंदर सिंह भूंदर की आलोचना

शिरोमणि अकाली दल के कार्यवाहक अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदर ने मजीठिया की आलोचना करते हुए कहा कि वे पार्टी को मुश्किल समय में छोड़कर विरोधी ताकतों को मजबूत कर रहे हैं। भूंदर ने मजीठिया पर आरोप लगाया कि वे पार्टी के आंतरिक संघर्षों में योगदान दे रहे हैं, जबकि उन्हें प्रकाश सिंह बादल की विरासत को कायम रखना चाहिए। उन्होंने नेताओं से बाहरी खतरों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया और मजीठिया के विचारों को स्वीकार करते हुए उन्हें पार्टी अनुशासन तोड़ने के लिए निंदा की।

भा.ज.पा. का भी एसजीपीसी के फैसले पर हमला

भाजपा नेता आरपी सिंह ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, "अकाल तख्त और एसजीपीसी के बीच यह सत्ता संघर्ष सिख संस्थाओं के भीतर तनाव को और बढ़ा सकता है। यह कदम शिरोमणि अकाली दल को कमजोर कर सकता है और सिख समुदाय को अलग-थलग कर सकता है।" उनका मानना है कि एसजीपीसी का यह कदम पंजाब में सिख नेतृत्व को बदलने और अकाली दल को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

गुरु साहिब की गरिमा की रक्षा की मांग

मजीठिया गुट ने अंत में कहा कि उन्होंने हमेशा गुरु साहिब की गरिमा की रक्षा की है और इसे हमेशा बनाए रखेंगे। उनका कहना था कि इस निर्णय से सिखों की भावनाएं आहत हुई हैं, और उन्होंने एकता का आह्वान करते हुए नेताओं से अपने मतभेदों को दूर करने की अपील की है।

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