Maharashtra Election: महाराष्ट्र में आगामी चुनावों को लेकर गुप्त बैठकें, मनोज जरांगे के इर्द-गिर्द हैं राजनीतिक पार्टियां, जानें क्या है वजह?

Maharashtra Election: महाराष्ट्र में आगामी चुनावों को लेकर गुप्त बैठकें, मनोज जरांगे के इर्द-गिर्द हैं राजनीतिक पार्टियां, जानें क्या है वजह?
Last Updated: 16 अक्टूबर 2024

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राज्य में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपनी रणनीतियों पर काम करने में जुट गई हैं।

Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के समीप आते ही राज्य में राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपनी रणनीतियों पर काम करने में लगी हुई हैं। इस बीच, विभिन्न दलों के नेता मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे के साथ संबंध बढ़ाने में जुट गए हैं। इस बीच, विभिन्न दलों के नेताओं ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे के साथ संबंध मजबूत करना शुरू कर दिया है। सभी नेता जरांगे से मिलने के लिए कतार में लग गए हैं।

क्यों हो रही है जरांगे से मुलाकात?

सभी नेता अब जरांगे से मिलने के लिए कतार में खड़े हैं, जबकि पिछले साल तक उनका मिलना बहुत कम होता था। असल में, सभी राजनीतिक पार्टियाँ समर्थन जुटाने के लिए उनसे संपर्क कर रही हैं, और नेता स्वयं के लिए चुनावी टिकट सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इस मेलजोल को बढ़ावा दे रहे हैं।

मनोज जरांगे कौन हैं?

पिछले साल सितंबर में मनोज जरांगे ने मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण दिलाने के लिए एक बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण वह चर्चा का केंद्र बन गए। तब से, उन्होंने मराठवाड़ा क्षेत्र के जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में कम से कम आधा दर्जन बार भूख हड़ताल की है, जिससे उनकी पहचान और भी अधिक बढ़ गई है।

लोकसभा चुनाव में देखा गया प्रभाव

विश्लेषकों के अनुसार, मराठा आरक्षण एक ऐसा मुद्दा बन चुका है जिसने लोकसभा चुनावों में महायुति को नुकसान पहुंचाया। जरांगे ने कहा है कि सरकार को मराठा समुदाय की मांगों को प्राथमिकता देनी चाहिए, वरना 20 नवंबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

गुप्त तरिके से कई नेताओं ने की मुलाकात

हाल के दिनों में, सरकार और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ उनकी तीखी टिप्पणियों के बावजूद, पार्टी लाइन से परे कई नेताओं और चुनावी उम्मीदवारों ने उनसे मुलाकात की है। इनमें से कई ने उनके आंदोलन का समर्थन भी किया है। एक राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार, शिवसेना और एनसीपी में विभाजन के कारण आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती बन गया है।

राजनीतिक पर्यवेक्षक अभय देशपांडे ने बताया कि चुनाव में रुचि रखने वाले उम्मीदवार, जो खुद को खतरे में महसूस कर रहे हैं, वे मराठवाड़ा क्षेत्र में जरांगे जैसे प्रभावशाली नेताओं से मिलकर अपने मतदाताओं की सहानुभूति प्राप्त करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि विद्रोह की संभावना अधिक है, तो इससे मतों का विभाजन हो सकता है और जीत का अंतर कम हो सकता है।

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