Odisha: इंटर कास्ट मैरिज की सजा! पूर्व सांसद प्रदीप माझी 12 साल के लिए बहिष्कृत, जानें वजह

Odisha: इंटर कास्ट मैरिज की सजा! पूर्व सांसद प्रदीप माझी 12 साल के लिए बहिष्कृत, जानें वजह
अंतिम अपडेट: 2 घंटा पहले

ओडिशा के पूर्व सांसद प्रदीप माझी को अंतरजातीय विवाह करने पर समुदाय ने 12 साल के लिए बहिष्कृत कर दिया, सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने पर रोक लगाई गई, समाज ने परंपरा उल्लंघन बताया।

Odisha: ओडिशा के नबरंगपुर से पूर्व सांसद और बीजेडी नेता प्रदीप माझी को अंतरजातीय विवाह करने के कारण उनके समुदाय ने 12 साल के लिए बहिष्कृत कर दिया है। यह निर्णय अखिल भारतीय आदिवासी भतरा समाज की केंद्रीय समिति ने लिया। फैसले के अनुसार, समुदाय के लोग उनके किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, चाहे वह शादी हो, जन्मदिन, पूजा हो या अंतिम संस्कार।

क्यों हुआ बहिष्कार?

समाज के पदाधिकारी राम भतरा ने बताया कि प्रदीप माझी ने गोवा में शादी की और इस बारे में समाज को मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए पता चला। इसी कारण समुदाय की बैठक में उन्हें बहिष्कृत करने का निर्णय लिया गया। समाज के उपाध्यक्ष गोपाल पुजारी ने कहा कि प्रदीप माझी के परिवार में पहले भी ऐसा हो चुका है। उन्होंने पहले अपनी बहन संजू माझी की शादी एक ब्राह्मण युवक से करवाई थी, जिसे समुदाय ने परंपराओं का उल्लंघन माना।

शादी बनी विवाद की जड़

पूर्व सांसद प्रदीप माझी ने 12 मार्च को केंद्रपाड़ा जिले की सुश्री संगीता साहू से विवाह किया। यह विवाह भतरा समुदाय की परंपराओं के खिलाफ था। इससे पहले उनकी बहन की शादी भी दूसरी जाति में हुई थी, जिसके कारण पहले भी समाज में नाराजगी थी। समुदाय के लोगों का कहना है कि बार-बार परंपराओं को तोड़ने के कारण उन्हें समाज से बाहर करने का निर्णय लिया गया।

क्या कहा प्रदीप माझी ने?

इस पूरे मामले पर पूर्व सांसद प्रदीप माझी ने कहा कि यह उनका निजी मामला है और किसी को इसमें दखल देने का हक नहीं है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार है और इस तरह का बहिष्कार लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

इंटर कास्ट मैरिज को लेकर समाज में अब भी विरोध

इस मामले ने इंटर कास्ट मैरिज को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। एक सांसद को ही अगर अपनी पसंद से शादी करने की इतनी बड़ी सजा दी जा सकती है, तो आम लोगों के लिए जाति के बाहर विवाह करना कितना मुश्किल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में आज भी अंतरजातीय विवाह को सामाजिक अपमान की नजर से देखा जाता है, जिससे कई युवा अपने फैसले लेने में हिचकिचाते हैं।

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