सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, मुफ्त योजनाओं से परजीवी समाज बनने का खतरा? जानिए पूरा मामला 

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, मुफ्त योजनाओं से परजीवी समाज बनने का खतरा? जानिए पूरा मामला 
अंतिम अपडेट: 3 घंटा पहले

सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त राशन और पैसा बांटने पर असहमति जताई। केंद्र सरकार ने अब तक हलफनामा दाखिल नहीं किया, जबकि चुनाव आयोग फ्रीबीज पर कोई निर्णय लेने में असक्षम है।

Supreme Court: मुफ्त रेवड़ी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी ने पूरे देश में बहस छेड़ दी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ड मसीह की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि क्या सरकारें मुफ्त योजनाएं लागू कर परजीवी समाज खड़ा कर रही हैं? कोर्ट का मानना है कि सरकार को लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान देना चाहिए, न कि मुफ्त राशन और पैसे देकर उन्हें काम से दूर करने की नीतियां अपनानी चाहिए।

क्या मुफ्त योजनाओं से काम करने की इच्छा खत्म हो रही है?

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि पैसा और राशन जैसी योजनाओं के कारण लोग काम नहीं करना चाहते, जो एक गंभीर समस्या है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब अदालत ने मुफ्त योजनाओं को लेकर सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी कोर्ट कई मौकों पर मुफ्त रेवड़ी देने की नीतियों की आलोचना कर चुका है।

मुफ्त रेवड़ी की परिभाषा अब तक तय नहीं

भारत में अब तक यह तय नहीं हुआ है कि मुफ्त रेवड़ी क्या है। 2022 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था, जब तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने इस पर लंबी सुनवाई की थी। हालांकि, मामला संवैधानिक जटिलताओं और उनके रिटायरमेंट के कारण अटका रह गया।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि किसी भी पार्टी को चुनावी वादे करने से रोका नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि यह जनता पर निर्भर करता है कि वे इन वादों को किस तरह लेते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब

अक्टूबर 2024 में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मुफ्त योजनाओं की स्पष्ट परिभाषा देने के लिए कहा था। हालांकि, अब तक केंद्र सरकार ने इस पर कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया है।

वहीं, 2022 में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर चुनाव आयोग ने कहा कि उसके पास फ्रीबीज की कोई परिभाषा नहीं है, इसलिए वह इस पर रोक लगाने में असमर्थ है। सुप्रीम कोर्ट ने तब चुनाव आयोग के इस रवैए पर नाराजगी भी जताई थी। अदालत ने सवाल उठाया था कि अगर कोई पार्टी मुफ्त विदेश यात्रा का वादा करे, तो चुनाव आयोग इसे कैसे रोकेगा?

सभी राजनीतिक दल मुफ्त योजनाओं के समर्थन में

सुप्रीम कोर्ट भले ही मुफ्त योजनाओं को लेकर सख्त टिप्पणी कर रहा हो, लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियां इसका समर्थन कर रही हैं। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली चुनाव में मुफ्त योजनाओं को अपने प्रचार अभियान का हिस्सा बनाया था।

भारतीय जनता पार्टी भी कई राज्यों में मुफ्त योजनाएं चला रही है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बीजेपी ‘महिला सम्मान’ के नाम पर फ्रीबीज योजनाएं लागू कर रही है। पार्टी ने दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी और महिलाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया है।

इसी तरह कांग्रेस भी कर्नाटक और तेलंगाना में मुफ्त योजनाओं के दम पर सत्ता में आई है। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) सरकार भी महिलाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह दे रही है।

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