बुर्किना फासो के 37 वर्षीय राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे ने 2022 में तख्तापलट कर सत्ता संभाली। उन्होंने फ्रांस और अमेरिका से दूरी बनाए, रूस के साथ सहयोग बढ़ाया, और पश्चिमी उपनिवेशवाद के खिलाफ नया राष्ट्रवाद खड़ा किया।
Ibrahim Traore: बुर्किना फासो के 37 वर्षीय राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे पश्चिमी उपनिवेशवाद के खिलाफ अफ्रीकी राष्ट्रवाद का चेहरा बन चुके हैं। एक सैनिक से क्रांतिकारी नेता बने ट्रोरे ने सत्ता में आने के बाद फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों से दूरी बना ली और रूस, तुर्की जैसे देशों से नजदीकी बढ़ाई। उनकी नीतियां पैन-अफ्रीकी पहचान और आत्मनिर्भरता की नई लहर को जन्म दे रही हैं।
इब्राहिम ट्रोरे: अफ्रीकी युवाओं की नई उम्मीद
बुर्किना फासो के युवा और क्रांतिकारी राष्ट्रपति इब्राहिम ट्रोरे आज अफ्रीका में राष्ट्रवादी राजनीति और पश्चिमी वर्चस्व के विरोध का चेहरा बन चुके हैं। 37 साल की उम्र में वे उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने सत्ता में आकर अपने देश की नीतियों को पूरी तरह से नया आकार दिया है।
तख्तापलट से सत्ता तक का सफर
सितंबर 2022 की एक सुबह बुर्किना फासो की राजधानी वागाडुगु में गोलियों की गूंज सुनाई दी। यह कोई आम घटना नहीं थी। 34 वर्षीय सैन्य अधिकारी कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे ने अपने साथी सैनिकों के साथ मिलकर तख्तापलट कर दिया। तत्कालीन राष्ट्रपति पॉल-हेनरी दामिबा को सत्ता से हटाया गया। इसके साथ ही अफ्रीकी राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हुआ।
अफ्रीका की छवि पर तीखा हमला
संयुक्त राष्ट्र में दिए गए अपने भाषण में ट्रोरे ने कहा, “जब मैं बच्चा था, तब टीवी पर मुझे जो अफ्रीका दिखाया गया, वह सिर्फ भुखमरी, युद्ध और गरीबी से जुड़ा था।” उन्होंने बताया कि कैसे पश्चिमी मीडिया ने अफ्रीका को एक पिछड़ा और हिंसक महाद्वीप बनाकर पेश किया और यह छवि दुनियाभर में फैली।
शिक्षा और सैन्य पृष्ठभूमि
ट्रोरे का जन्म बोन्डोकुई में हुआ था और उन्होंने बुर्किना फासो के बोबो-डियोलासो में स्कूली शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने भूविज्ञान (Geology) की पढ़ाई की। इसके बावजूद उन्होंने खदानों में काम करने के बजाय सेना को चुना। यह फैसला उनके असामान्य सोच का परिचायक था। उन्होंने मोरक्को में एंटी-एयरक्राफ्ट ट्रेनिंग ली और माली में UN मिशन में भी भाग लिया।
सत्ता में आने के बाद उठाए गए कदम
राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रोरे ने पश्चिमी देशों के प्रभाव को समाप्त करने की दिशा में कई ठोस फैसले लिए:
फ्रांस से रिश्ते तोड़ना: फ्रांसीसी सैनिकों को देश से बाहर निकाला गया।
मीडिया पर नियंत्रण: फ्रांस 24 और रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल जैसे मीडिया संस्थानों को बैन कर दिया गया।
राष्ट्रीयकरण: देश की दो स्वर्ण खदानों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया और पहला स्वर्ण शोधन संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की गई।
रूस और अन्य देशों से बढ़ती नजदीकी
मई 2025 में इब्राहिम ट्रोरे ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। उन्होंने सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर चर्चा की। इससे स्पष्ट हो गया कि ट्रोरे अब पारंपरिक सहयोगियों जैसे फ्रांस और अमेरिका के स्थान पर रूस, तुर्की और क्यूबा जैसे देशों से संबंध मजबूत करना चाहते हैं।
थॉमस संकारा से प्रेरणा
इब्राहिम ट्रोरे खुले तौर पर मानते हैं कि वे 1980 के दशक के महान अफ्रीकी नेता थॉमस संकारा से प्रभावित हैं। संकारा की तरह ट्रोरे भी आत्मनिर्भरता और विदेशी मदद के विरोधी हैं। उन्होंने कहा, “जो आपको खिलाता है, वही आपको कंट्रोल करता है।” यह दर्शन उनकी नीति निर्माण में भी झलकता है।
आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
बुर्किना फासो लंबे समय से इस्लामिक आतंकवाद की चपेट में रहा है। ट्रोरे ने सत्ता में आने के बाद इन आतंकी समूहों के खिलाफ सख्त अभियान चलाए। उन्होंने स्थानीय लोगों को संगठित किया और उन्हें हथियार देकर “Volunteers for the Defense of the Homeland” (VDP) नामक बल बनाया। हालांकि, उनकी सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगे हैं।
पैन-अफ्रीकन विचारधारा का समर्थन
ट्रोरे ने माली और नाइजर के साथ मिलकर Alliance of Sahel States (AES) का गठन किया है। यह संगठन ECOWAS का विकल्प बन रहा है और अफ्रीकी देशों की एकता और स्वतंत्रता को बढ़ावा दे रहा है। ट्रोरे का मानना है कि फ्रांस द्वारा जारी पश्चिमी अफ्रीका की मुद्रा 'CFA फ्रैंक' को खत्म किया जाना चाहिए क्योंकि यह उपनिवेशवाद का एक प्रतीक है।
मस्जिद नहीं, स्कूल और अस्पताल चाहिए
हाल ही में ट्रोरे ने सऊदी अरब द्वारा बुर्किना फासो में 200 मस्जिदें बनाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि देश को मस्जिदों की नहीं बल्कि स्कूलों, अस्पतालों और रोजगार देने वाले उद्योगों की जरूरत है। यह फैसला दूरदर्शिता का प्रतीक है और दर्शाता है कि ट्रोरे बुनियादी विकास को प्राथमिकता देते हैं।