नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की रैली में योगी आदित्यनाथ के पोस्टर लहराने से सियासी हलचल मच गई है। इस विवाद के बीच यूपी सीएम और शाह ट्रेंड कर रहे हैं।
Yogi Adityanath Nepal Controversy: नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में आयोजित रैली के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लहराए जाने से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस घटना के बाद नेपाल के राजनीतिक दलों और आम जनता ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कई लोगों ने इसे नेपाल के आंतरिक मामलों में भारत की दखलअंदाजी के रूप में देखा है, जिससे नेपाल की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। इस विवाद ने नेपाल में राजशाही समर्थकों और लोकतंत्र समर्थकों के बीच खींचतान को और तेज कर दिया है।
पूर्व राजा के स्वागत में भव्य रैली
10 मार्च 2025 को नेपाल की राजधानी काठमांडू में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। यह रैली नेपाल में राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर आयोजित की गई थी। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह, जो हाल ही में विभिन्न धार्मिक स्थलों के दर्शन कर लौटे थे, जैसे ही त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे, उनके हजारों समर्थकों ने भव्य स्वागत किया।
इस रैली में शामिल लोगों ने ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें और नेपाल के राष्ट्रीय ध्वज लहराए। इसी दौरान कुछ समर्थकों ने योगी आदित्यनाथ की तस्वीर वाले पोस्टर भी दिखाए, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया। इस घटना के तुरंत बाद ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया।
नेपाल में तीखी प्रतिक्रियाएं, भारत की दखल पर उठे सवाल
योगी आदित्यनाथ की तस्वीर सामने आने के बाद नेपाल के कई राजनीतिक दलों और आम जनता ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया। कई लोगों ने इसे भारत की नेपाल के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी के रूप में देखा। नेपाल के वामपंथी दलों और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने इस पर चिंता जताई।
नेपाल के कुछ नेताओं का कहना है कि इस तरह की घटनाएं नेपाल की संप्रभुता के खिलाफ हैं और इससे नेपाल की राजनीतिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है, जहां कुछ लोग इसे भारत-नेपाल संबंधों को कमजोर करने की साजिश मान रहे हैं।
आरपीपी ने लगाया ओली सरकार पर साजिश का आरोप
नेपाल के राजशाही समर्थक दल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने इस विवाद को लेकर नेपाल सरकार पर ही गंभीर आरोप लगाए हैं। आरपीपी प्रवक्ता ज्ञानेंद्र शाही ने कहा कि योगी आदित्यनाथ की तस्वीर जानबूझकर रैली में शामिल की गई थी ताकि राजशाही समर्थक आंदोलन को बदनाम किया जा सके।
शाही ने दावा किया कि यह नेपाल की सरकार द्वारा प्रायोजित एक साजिश थी, जिसका उद्देश्य राजशाही समर्थक आंदोलन को कमजोर करना था। उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हीं के निर्देश पर यह तस्वीर प्रदर्शित की गई।
बिष्णु रिमल ने खारिज किए आरोप, कहा- अफवाह फैलाई जा रही है
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल ने इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि यह कुछ अयोग्य लोगों द्वारा फैलाई गई अफवाह है, जिससे भ्रम पैदा किया जा सके।
रिमल ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "गलत सूचना के जरिए भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। यह पूरी तरह से बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित है।" उन्होंने इस पूरे विवाद को एक सोची-समझी रणनीति करार दिया और कहा कि इससे नेपाल की राजनीति को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है।