Starlink को भारत में स्पेक्ट्रम टैक्स चुकाना पड़ सकता है, जिससे इसके प्लान्स की कीमतों में बढ़ोतरी संभव है। अनुमान है कि स्टारलिंक के प्लान्स जियो और एयरटेल की तुलना में 10-15 गुना तक महंगे हो सकते हैं।
भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की तैयारी कर रही Starlink को बड़ा झटका लग सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी को भारत में स्पेक्ट्रम टैक्स चुकाना पड़ सकता है, जिससे इसकी सेवाएं महंगी हो सकती हैं। अगर यह टैक्स लागू होता है, तो Starlink के प्लान Jio और Airtel की तुलना में 10-15 गुना महंगे हो सकते हैं। सरकार की ओर से इस मामले पर अंतिम फैसला आना बाकी है, लेकिन ग्राहकों को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
स्पेक्ट्रम टैक्स से बढ़ेगा खर्च
Starlink को भारत में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) का तीन प्रतिशत स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (SUC) देना पड़ सकता है। यह शुल्क टेलीकॉम एयरवेव्स के आवंटन के लिए होगा, जिसकी नीलामी नहीं होगी, बल्कि सरकार इसे सीधा अलॉट करेगी। SUC के अलावा, कंपनी को 8 प्रतिशत लाइसेंस फीस भी देनी होगी। इन शुल्कों का असर सीधा ग्राहकों पर पड़ेगा, जिससे इंटरनेट प्लान्स की कीमतें बढ़ सकती हैं।
TRAI के विचाराधीन है मामला
Starlink को मिलने वाले स्पेक्ट्रम की कीमत, अवधि और टैक्स दरों को लेकर टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) मंथन कर रही है। TRAI जल्द ही अपनी सिफारिशें दूरसंचार विभाग को भेजेगा, जिसके बाद यह मामला डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन और अंततः कैबिनेट तक पहुंचेगा। अंतिम निर्णय आने तक कंपनी को अपनी रणनीति तय करने में दिक्कत हो सकती है।
जियो और एयरटेल से हुआ करार
भारत में Starlink अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा लॉन्च करने वाली पहली कंपनी होगी। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए कंपनी ने Jio और Airtel से हाथ मिलाया है। दोनों कंपनियां Starlink के उपकरणों को अपने ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोर्स में बेचेंगी। इसके अलावा, नेटवर्क इंटीग्रेशन को लेकर भी चर्चा चल रही है, जिससे ग्राहकों को बेहतर कनेक्टिविटी मिल सके।
क्या होगी Starlink की प्लानिंग?
अगर स्पेक्ट्रम टैक्स लागू होता है, तो Starlink को अपनी कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं। हालांकि, कंपनी हाई-स्पीड इंटरनेट और दूरदराज के इलाकों तक सेवा पहुंचाने की अपनी खासियत को देखते हुए प्रीमियम कस्टमर्स को टारगेट कर सकती है। भारत में Starlink की लॉन्चिंग से इंटरनेट सेक्टर में बड़ी हलचल मच सकती है, लेकिन इसकी कीमतें आम उपभोक्ताओं के लिए एक चुनौती बन सकती हैं।