न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के लिए लाभकारी है। परिसमापन की प्रक्रिया के तहत, कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन का उपयोग ऋणों के भुगतान के लिए किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को उसके निर्णय के लिए कड़ी फटकार भी लगाई।
उच्चतम न्यायालय ने अपनी विशेष संवैधानिक शक्तियों का उपयोग करते हुए, बंद पड़ी विमानन कंपनी जेट एयरवेज की संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया है।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जेट एयरवेज की समाधान योजना को बनाए रखने और इसके स्वामित्व को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को हस्तांतरित करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले को खारिज कर दिया।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से निर्णय सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई और अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बनाए रखने के निर्णय का विरोध किया गया है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन प्रक्रिया के दौरान कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को उसके निर्णय के लिए कड़ी फटकार भी लगाई।
विशेष शक्तियों का उपयोग
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग किया, जो उसे किसी भी लंबित मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश और डिक्री जारी करने का अधिकार प्रदान करता है।
एनसीएलएटी ने 12 मार्च को बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को स्वीकार किया था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी।
इस निर्णय के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने अदालत का सहारा लिया।