पूरे देश में गणेश चतुर्थी का उत्सव बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव भगवना गणपति की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसे में आइए जानें इस साल गणेश चतुर्थी महोत्सव कब से शुरू होगा और इसका क्या महत्व है।
Ganesh Chaturthi: हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का बहुत खास महत्व है। यह पर्व भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। इस साल गणेश महोत्सव की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर 03:01 मिनट पर होगी।
गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी और गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है, एक विशेष पर्व है जिसे भक्त बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं। यह पर्व भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है, जो ज्ञान, सौभाग्य और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। यह त्योहार हर वर्ष भाद्रपद माह में मनाया जाता है और इसका उत्सव दस दिनों तक चलता है। अंत में, इस पर्व का समापन गणेश मूर्ति विसर्जन के साथ होता है। आइए, इस उत्सव की शुरुआत से पहले हम इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
कब शुरू होगा गणेश उत्सव ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी। यह तिथि 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि को देखते हुए गणेश चतुर्थी का शुभारंभ 7 सितंबर, शनिवार को होगा। इसी दिन गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना और व्रत की शुरुआत होगी।
गणेश पूजा: गणेश चतुर्थी की पूजा 7 सितंबर को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 34 मिनट के बीच की जाएगी। इस दौरान गणेश जी की पूजा, आराधना और व्रत का आयोजन किया जाएगा।
यह अवधि भगवान गणेश की पूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है, और भक्तगण इस समय का विशेष ध्यान रखते हुए पूजा और अनुष्ठान करते हैं।
गणेश महोत्सव पर शुभ योग
गणेश चतुर्थी पर इस साल कई दुर्लभ और मंगलकारी योग बन रहे हैं:
ब्रह्म योग: गणेश चतुर्थी पर ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है, जो देर रात 11 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। यह योग विशेष रूप से शुभ और लाभकारी माना जाता है।
इंद्र योग: ब्रह्म योग के बाद इंद्र योग का निर्माण होगा। इंद्र योग भी समृद्धि और सफलता को प्रोत्साहित करने वाला होता है।
भद्रावास: गणेश चतुर्थी पर भद्रा पाताल में रहेंगी, जिससे पूजा और अनुष्ठान में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। भद्रावास का संयोग पूजा के लिए शुभ रहता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग: इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो किसी भी शुभ कार्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
रवि योग: गणेश चतुर्थी पर रवि योग भी निर्मित हो रहा है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए सकारात्मक प्रभाव डालता है।
इन सभी योगों के साथ, गणेश चतुर्थी इस साल विशेष रूप से शुभ और मंगलकारी मानी जा रही है। इन योगों का मिलाजुला प्रभाव पूजा और अनुष्ठान को और भी सफल और फलदायी बना सकता है।
पंचाग के अनुसार मुहूर्त
गणेश चतुर्थी 2024 के दिन का पंचांग:
सूर्योदय: सुबह 6 बजकर 2 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 6 बजकर 35 मिनट पर
चन्द्रोदय: सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर
चंद्रास्त: शाम 8 बजकर 44 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4 बजकर 31 मिनट -5 बजकर 16 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2 बजकर 24 मिनट -3 बजकर 14 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6 बजकर 35 मिनट - 6 बजकर 58 मिनट तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11 बजकर 56 मिनट - 12 बजकर 42 मिनट तक
इन मुहूर्तों का ध्यान रखते हुए गणेश चतुर्थी की पूजा और अन्य धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं। विशेष रूप से, ब्रह्म मुहूर्त और विजय मुहूर्त को शुभ समय माना जाता है।