Maa Narmada Jayanti: माँ नर्मदा जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे माघ शुक्ल सप्तमी के दिन मनाया जाता है। इस दिन को माँ नर्मदा के अवतरण दिवस के रूप में माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नर्मदा नदी का जन्म भगवान शिव के आशीर्वाद से हुआ था, इसलिए इसे विशेष रूप से पवित्र माना जाता हैं।
सनातन धर्म में नर्मदा जयंती का विशेष स्थान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। मां नर्मदा की पूजा करने से सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर मध्य प्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा नदी के तट पर भव्य मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
नर्मदा जयंती की तिथि एवं शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 4 फरवरी 2025 को सुबह 04:37 बजे प्रारंभ होगी और 5 फरवरी 2025 को देर रात 02:30 बजे समाप्त होगी। चूंकि हिंदू परंपरा में सूर्योदय के आधार पर पर्व मनाने की प्रथा है, इसलिए नर्मदा जयंती 4 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन श्रद्धालु अपनी सुविधा के अनुसार नर्मदा नदी में स्नान कर सकते हैं।
नर्मदा जयंती पर विशेष योग
• ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस वर्ष नर्मदा जयंती पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इसे और अधिक मंगलकारी बना देते हैं।
• सर्वार्थ सिद्धि योग – इस योग में किया गया कोई भी कार्य सफल होता हैं।
• अमृत सिद्धि योग – यह योग साधना और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उत्तम माना जाता हैं।
• शुभ योग – इस योग में किया गया स्नान-दान अक्षय पुण्य प्रदान करता हैं।
• इन शुभ योगों में स्नान, दान और पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं।
नर्मदा जयंती की पूजा विधि
• नर्मदा जयंती पर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से देवी नर्मदा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पूजा विधि इस प्रकार हैं।
• ब्रह्म मुहूर्त में जागें और स्नानादि से निवृत्त होकर मां नर्मदा का ध्यान करें।
• यदि संभव हो तो नर्मदा नदी में स्नान करें, अन्यथा घर पर ही जल में नर्मदा जल मिलाकर स्नान करें।
• स्नान के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि यह रंग देवी लक्ष्मी और शुभता का प्रतीक हैं।
• सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें और आचमन कर पूजा स्थल पर विराजमान हों।
• मां नर्मदा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और पंचोपचार विधि से पूजन करें।
• रोली, चंदन, अक्षत, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
• नर्मदा अष्टक या नर्मदा चालीसा का पाठ करें और मां नर्मदा के मंत्रों का जाप करें।
• नदी किनारे दीपदान करें और मां नर्मदा से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
• जरूरतमंदों को भोजन और दान करें, विशेष रूप से अन्न, वस्त्र और तिल का दान अत्यंत शुभ माना जाता हैं।
नर्मदा जयंती का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व
• पापों से मुक्ति: धार्मिक मान्यता है कि इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।
• सुख-समृद्धि की प्राप्ति: मां नर्मदा की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और शांति आती हैं।
• मानसिक शांति: इस दिन ध्यान और साधना करने से मानसिक शांति प्राप्त होती हैं।
• पूर्वजों की कृपा: इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
नर्मदा जयंती पर प्रमुख आयोजन
नर्मदा जयंती के अवसर पर अमरकंटक, ओंकारेश्वर, महेश्वर और जबलपुर सहित कई धार्मिक स्थलों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। श्रद्धालु भव्य दीपदान करते हैं और मां नर्मदा की आरती में भाग लेते हैं। इस दिन कई स्थानों पर कथा, भजन-कीर्तन और प्रवचन का आयोजन भी किया जाता हैं।
उपसंहार
नर्मदा जयंती केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी आस्था का प्रतीक भी है। इस दिन स्नान, पूजा और दान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। मां नर्मदा का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालु पूरे श्रद्धा भाव से इस पर्व को मनाते हैं और अपने जीवन को मंगलमय बनाते हैं।