20 मई 2025 का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन ज्येष्ठ मास की शुक्ल षष्ठी तिथि समाप्त होकर सप्तमी तिथि प्रारंभ होगी और पूरे दिन कालाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। कालाष्टमी काल भैरव देव की विशेष पूजा-अर्चना का दिन है, जो भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति बन रही है, जिसमें इंद्र योग और द्विपुष्कर योग के साथ धनिष्ठा नक्षत्र का प्रभाव भी शामिल है। आइए इस दिन के पंचांग की संपूर्ण जानकारी, शुभ-अशुभ समय और धार्मिक महत्व को विस्तार से समझते हैं।
20 मई 2025 का पंचांग: तिथि, वार, नक्षत्र और योग
- तिथि: सप्तमी, सुबह 6:11 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 5:11 बजे तक रहेगी। इसके बाद अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी।
- वार: मंगलवार
- नक्षत्र: धनिष्ठा
- योग: इंद्र योग और द्विपुष्कर योग
- सूर्योदय: सुबह 5:28 बजे
- सूर्यास्त: शाम 7:08 बजे
- चंद्र उदय: प्रातः 1:19 बजे
- चंद्रास्त: सुबह 11:24 बजे
- चंद्र राशि: मकर
- राहुकाल: दोपहर 3:43 से शाम 5:45 तक
- यमगण्ड काल: सुबह 8:53 से 10:35 तक
- गुलिक काल: दोपहर 12:18 से 2:00 तक
- आडल योग: रात 7:32 से अगले दिन सुबह 5:27 तक रहेगा।
पंचक का आरंभ: सावधान रहें शुभ कार्यों में
20 मई से पंचक प्रारंभ हो रहे हैं, जो पांच दिनों तक चलते हैं। पंचक में शुभ कार्यों को टालना शुभ माना जाता है क्योंकि इस अवधि में कामों में बाधा, विघ्न और सफलता में कमी के योग बनते हैं। इसलिए इस दौरान विवाह, घर बनाना, नया व्यवसाय शुरू करना, जमीन-जायदाद के लेन-देन जैसे महत्वपूर्ण कार्य टालना चाहिए।
कालाष्टमी का धार्मिक महत्व और पूजा-पाठ
कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। भैरव को शिव का भयानक रूप माना जाता है जो नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है और भक्तों की रक्षा करता है। कालाष्टमी के दिन विशेष रूप से काल भैरव की पूजा की जाती है, जिसमें साबुत उड़द, काले कपड़े और काली वस्तुओं का दान किया जाता है।
- पूजा विधि: इस दिन सवा सौ ग्राम साबुत उड़द काल भैरव के मंदिर में अर्पित करें। इसके बाद 11 दाने उड़द को काले कपड़े में बांधकर अपने तिजोरी या कार्यस्थल में रखें। यह माना जाता है कि इससे व्यापार और कार्यक्षेत्र में उन्नति होती है।
- दान पुण्य: जरुरतमंदों को जलेबी खिलाना और काली वस्तुएं दान करना शुभ होता है। लेकिन इस बार कालाष्टमी मंगलवार के दिन पड़ रही है, इसलिए काली वस्तुओं का दान करते समय सावधानी रखें क्योंकि मंगल के अशुभ प्रभाव हो सकते हैं।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें
- कालाष्टमी के दिन ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें।
- जरुरतमंदों को दान दें, विशेषकर उड़द दाल और जलेबी का वितरण करें।
- भगवान काल भैरव की पूजा करें, मंत्रों का जाप करें और शांति का ध्यान लगाएं।
- इस दिन तामसिक और मांसाहारी भोजन से बचें।
क्या न करें
- मांसाहार, मद्यपान और तामसिक आचरण से दूर रहें।
- किसी का अपमान या अनादर न करें।
- झूठ बोलना वर्जित है।
- पंचक के दौरान महत्वपूर्ण कार्य करने से बचें।
ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव
इस दिन ग्रहों की स्थिति इस प्रकार है:
- सूर्य: वृषभ राशि में
- चंद्र: मकर राशि में
- मंगल: कर्क राशि में
- बुध: मेष राशि में
- गुरु (बृहस्पति): मिथुन राशि में
- शुक्र: मीन राशि में
- शनि: मीन राशि में
- राहु: कुंभ राशि में
- केतु: सिंह राशि में
धनिष्ठा नक्षत्र के साथ इंद्र और द्विपुष्कर योग का संयोजन इस दिन को अत्यंत शुभ बनाता है। इंद्र योग सामान्यतः विद्या, बुद्धि और प्रभावशीलता को बढ़ावा देता है, जबकि द्विपुष्कर योग वित्तीय स्थिति मजबूत करने वाला योग माना जाता है।
राहुकाल और अन्य काल
इस दिन दोपहर 3:43 से शाम 5:45 तक राहुकाल रहेगा, जो किसी भी शुभ कार्य के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। इस समय नए कार्य शुरू करने या महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें। इसके अलावा यमगण्ड और गुलिक काल भी हैं जिनका ध्यान रखना आवश्यक है।
कालाष्टमी पर विशेष उपाय
- तांबे या काले रंग के धातु के बर्तन में जल रखें और उसमें गंगाजल मिलाकर भगवान भैरव को अर्पित करें।
- भगवान काल भैरव के मंदिर जाकर तेल का दीपक जलाएं।
- भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप इस दिन अधिक करें।
- अपने कार्यस्थल या घर के मुख्य द्वार पर काल भैरव की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा करें।
20 मई 2025 का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद शुभ है। कालाष्टमी का पर्व हमें अपने जीवन से नकारात्मकताओं को दूर करने, संयम और आध्यात्म की ओर बढ़ने का संदेश देता है। इस दिन की पूजा-अर्चना से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। पंचक के शुरू होने के कारण शुभ कार्यों में सावधानी रखें और सभी धार्मिक नियमों का पालन करते हुए इस पावन दिन का लाभ उठाएं।