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Holi 2025: फगुआ गीतों की गूंज से सजेगा उत्सव, जानिए इस परंपरा का महत्व

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होली के उल्लासमय माहौल में फगुआ गीतों की गूंज हर ओर सुनाई देती है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों से जुड़ी हुई है। जब ये गीत गाए जाते हैं, तो हर दिशा रंगों और सुरों से सराबोर हो जाती है। इन गीतों का मकसद केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को जोड़ना और प्रेम एवं सौहार्द्र को बढ़ावा देना भी है।

फगुआ के सुरों में रंगों की कहानी

फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली होली न केवल रंगों का पर्व है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसी के साथ ऋतु परिवर्तन का भी संदेश देता है। फगुआ गीतों की उत्पत्ति भी इसी फाल्गुन मास से हुई है। 'फगुआ' शब्द 'फाल्गुन' से ही प्रेरित है, जो इस पर्व की उमंग और उल्लास को दर्शाता है।

फाल्गुन के आगमन के साथ प्रकृति भी नया रूप धारण कर लेती है। वृक्षों पर नई कोपलें आती हैं, रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं, और हर ओर खुशहाली का माहौल बन जाता है। इसी प्राकृतिक सुंदरता को फगुआ गीतों के माध्यम से संजोया जाता है। इन गीतों में राधा-कृष्ण की लीलाओं, प्रेम, हंसी-मजाक और सामाजिक संदेशों का सुंदर वर्णन किया जाता है।

होली की विरासत, लोकसंस्कृति की पहचान

फगुआ गीत केवल लोक संगीत का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि ये हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी इन गीतों ने समाज में प्रेम, भाईचारे और एकता का संदेश दिया है। होली के रंगों में जब ये गीत मिल जाते हैं, तो उत्सव का आनंद कई गुना बढ़ जाता है। फगुआ गीतों में हास्य-व्यंग्य, चुटकुले और समाज की झलक देखने को मिलती है, जिससे लोग न केवल आनंदित होते हैं, बल्कि इससे सामाजिक ताने-बाने को भी मजबूती मिलती है। यही कारण है कि ये गीत होली का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं।

आस्था, परंपरा और मान्यताओं से जुड़ा पावन पर्व

होली का पर्व धार्मिक आस्था से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने अपने भतीजे भक्त प्रह्लाद को जलाने का प्रयास किया था, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका भस्म हो गई। तभी से होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गई।

समाज को जोड़ने का पर्व है होली

होली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह सामाजिक समरसता और भाईचारे का संदेश भी देती है। इस दिन सारे मतभेद भुलाकर लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और खुशियां बांटते हैं। ऐसा माना जाता है कि होली पर जब कोई किसी को गुलाल लगाता है, तो सारे मनमुटाव समाप्त हो जाते हैं और प्रेम का रंग और गहरा हो जाता है।

फगुआ गीत केवल संगीत नहीं, बल्कि हमारी परंपरा, समाज और आस्था का जीवंत प्रतिबिंब हैं। यह पर्व प्रेम, उल्लास और एकता का संदेश देता है, जिसे फगुआ गीत और भी विशेष बना देते हैं।

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