Sawan Vinayak Chaturthi 2024: 8 अगस्त को महिलाएं रखेगी विनायक चतुर्थी व्रत, भगवान गणेश की पूजा का हैं विधान, जानिए शुभ मुहर्त और पूजन नियम

Sawan Vinayak Chaturthi 2024: 8 अगस्त को महिलाएं रखेगी विनायक चतुर्थी व्रत, भगवान गणेश की पूजा का हैं विधान, जानिए  शुभ मुहर्त और पूजन नियम
Last Updated: 02 अगस्त 2024

Sawan Vinayak Chaturthi 2024: 8 अगस्त को महिलाएं रखेगी विनायक चतुर्थी व्रत, भगवान गणेश की पूजा का हैं विधान, जानिए शुभ मुहर्त और पूजन नियम

सावन मास में विनायक चतुर्थी का व्रत शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन चंद्रमा को देखना अशुभ होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 08 अगस्त 2024 को महिलाएं विनायक चतुर्थी व्रत रखेगी।

धार्मिक: भगवान गणेश सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय है। उनकी पूजा के बिना कोई भी मांगलिक कार्यक्रम शुरू नहीं होते है। इस साल यह व्रत 08 अगस्त को रखा जाएगा। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस कठिन व्रत का पालन करने पर बड़ी से बड़ी परेशानी को आसानी से हल किया जा सकता है। इसके साथ ही भगवन गणेश की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, धन और सौभाग्य प्राप्त होता है। अगर आप भगवन गणपति की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी का व्रत रख सकते है. आइए जानते हैं व्रत के नियम और इससे जुड़ी कुछ प्रमुख बातें।

इस तारीख को हैं विनायक चतुर्थी

हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 07 अगस्त, 2024 को देर रात 1:03 बजे शुरू होगी। वहीं इसका समापन 09 अगस्त को रात 12:35  बजे होगा। इस तिथि पर चंद्रास्त रात 09 बजकर 26 मिनट पर होगा, इसलिए 08 अगस्त को चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को रखने से भगवान गणपति की कृपा होती हैं।

विनायक चतुर्थी पूजा विधि और नियम

पंडित जी ने बताया कि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (8 अगस्त) को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें और पीले रंग के वस्त्र धारण करें। एक वेदी (लकड़ी की चौकी) को साफ करें और उसपर गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करें। गणेश जी का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें। सिंदूर का तिलक लगाकर पीले फूलों की माला और दुर्वा अर्पित करें। उनके प्रिय मोदक का भोग लगाएं। उनकी मूर्त के पास देसी घी का दीपक जलाएं।

भगवान गणेश के वैदिक मंत्रों का बार-बार जाप करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या फिर किसी से सुनें। आरती के साथ पूजा को समाप्त करें। अगले दिन सात्विक भोजन से अपना व्रत खोले। बता दें इस पूजा में तुलसी पत्र का गलती से भी इस्तेमाल करें। व्रत पूजा में हुई गलतियों के लिए भगवान गणेश से क्षमायाचना करें।

गणेश पूजा का मंत्र

त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

नित्याय सत्याय नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।

 महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

 गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

 

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