11 मार्च 2025, आज राष्ट्रीय कोविड-19 दिवस है, एक ऐसा दिन जब पूरी दुनिया महामारी की भयावहता को याद कर न केवल खोए हुए अपनों को श्रद्धांजलि देती है, बल्कि इस संघर्ष में जीत हासिल करने वाले जज़्बे का भी जश्न मनाती है।
11 मार्च 2020, वह दिन जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया था, तब से लेकर अब तक पूरी दुनिया बदल चुकी है। मास्क, सैनिटाइज़र, सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन जैसे शब्द हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गए थे। लेकिन इन मुश्किल हालातों के बीच मानवता का जज़्बा भी देखने को मिला—डॉक्टर्स, नर्स, वैज्ञानिक, पुलिस, सफाई कर्मचारी और समाजसेवियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की मदद की।
महामारी के निशान और सीख
कोविड-19 ने न सिर्फ करोड़ों लोगों की ज़िंदगियां छीन लीं, बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था को भी गहरा झटका दिया। लॉकडाउन के कारण लाखों लोग बेरोज़गार हो गए, करोड़ों बच्चे स्कूल नहीं जा सके और वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ गईं। लेकिन इसने एक सीख भी दी—स्वास्थ्य सेवा को मज़बूत बनाना, डिजिटल तकनीकों को अपनाना और कठिन समय में एकजुट रहना कितना ज़रूरी है।
कोरोना से जंग में भारत का योगदान
भारत ने कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई में कई मील के पत्थर पार किए। ‘मेड इन इंडिया’ वैक्सीन कोवैक्सिन और कोविशील्ड ने न केवल देश में करोड़ों लोगों की जान बचाई, बल्कि दुनियाभर के देशों को भी संकट से उबरने में मदद की। भारत सरकार के ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान ने देश की दयालुता और कूटनीतिक क्षमता को उजागर किया।
कैसे मनाया जाता है यह दिन?
हर साल 11 मार्च को राष्ट्रीय कोविड-19 दिवस पर कई देशों में श्रद्धांजलि सभाएँ, जागरूकता अभियान और विशेष आयोजनों का आयोजन किया जाता है। जो एकता और स्मरण का संदेश देती है। इसके अलावा, #NotAlone अभियान का उद्देश्य यह दिखाना है कि कोई भी इस त्रासदी में अकेला नहीं था और एकजुटता के साथ आगे बढ़ा जा सकता है।
भविष्य की ओर एक नई उम्मीद
कोविड-19 ने हमें कई तरह से बदला है, लेकिन अब समय है कि हम इस बदलाव को सकारात्मक दिशा में मोड़ें। मजबूत स्वास्थ्य संरचना, डिजिटल शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में निवेश करना ही भविष्य के किसी भी संकट से निपटने का सही तरीका होगा। आज, इस राष्ट्रीय कोविड-19 दिवस पर, हम उन सभी बहादुर योद्धाओं को नमन करते हैं जिन्होंने इस महामारी के खिलाफ संघर्ष किया और उन अपनों को याद करते हैं जो हमारे साथ नहीं हैं। यह सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक संकल्प है—स्वस्थ, जागरूक और एकजुट समाज की ओर बढ़ने का।