Sanjay Gandhi's Birth Anniversary: भारतीय राजनीति में एक विवादास्पद और प्रभावशाली नेता, जानें कैसी रही उनकी राजनीती?

Sanjay Gandhi's Birth Anniversary: भारतीय राजनीति में एक विवादास्पद और प्रभावशाली नेता, जानें कैसी रही उनकी राजनीती?
Last Updated: 14 दिसंबर 2024

संजय गांधी की जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाती है। संजय गांधी भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद नेता थे, जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे थे। उनका जन्म 14 दिसंबर 1946 को हुआ था।

संजय गांधी का भारतीय राजनीति में एक बड़ा प्रभाव था, खासकर 1970 के दशक में जब उन्होंने इंदिरा गांधी के साथ मिलकर कई बड़े राजनीतिक और सामाजिक बदलावों का समर्थन किया। उनका सबसे प्रसिद्ध योगदान इमरजेंसी (1975-77) के दौरान था, जिसमें उन्होंने कई सुधारों की योजना बनाई, जैसे कि नसबंदी अभियान और स्लम सुधार कार्यक्रम।

हालांकि, संजय गांधी की राजनीति अक्सर विवादों से घिरी रही, और उनका जीवन बहुत ही कम समय में समाप्त हो गया। 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया। उनकी जयंती के अवसर पर, उनके समर्थक और परिवार सदस्य उन्हें याद करते हैं और उनके योगदान को सम्मानित करते हैं।

संजय गांधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

संजय गांधी का जन्म 14 दिसंबर 1946 को दिल्ली में हुआ था। वे भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पति फिरोज गांधी के बेटे थे। उनका परिवार भारतीय राजनीति में बहुत प्रभावशाली था, और उनके माता-पिता दोनों ही भारतीय राजनीति के बड़े नाम थे।

प्रारंभिक जीवन

संजय गांधी का पालन-पोषण दिल्ली और अन्य स्थानों पर हुआ। उनके परिवार में एक राजनीतिक माहौल था, लेकिन संजय गांधी को राजनीति में दिलचस्पी होने से पहले, उनका ध्यान ज्यादातर अपनी शिक्षा और व्यक्तिगत विकास पर था। वे एक आत्मनिर्भर और साहसी व्यक्ति के रूप में बड़े हुए थे। उनका व्यक्तित्व तेज और उग्र था, जिससे वे समय-समय पर विवादों में भी घिरे रहते थे।

शिक्षा

संजय गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के हॉटचकिस स्कूल और फिर लेह हॉल स्कूल से प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा के लिए विदेश यात्रा की। उन्होंने इंग्लैंड के वेस्टमिंस्टर स्कूल में भी अध्ययन किया। हालांकि, शिक्षा में उनकी ज्यादा रुचि नहीं थी और वे अधिकतर अपनी पढ़ाई में सुस्त रहे थे। बाद में उन्होंने अपनी शिक्षा को कुछ हद तक आगे बढ़ाया, लेकिन वे कभी भी एक आदर्श छात्र नहीं रहे।

संजय गांधी ने अपनी शिक्षा के बाद कई व्यावसायिक क्षेत्रों में भी हाथ आजमाया, जैसे कि विमानन क्षेत्र में। उनका विमानन के प्रति विशेष रुझान था और वे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से जुड़ने के लिए काम करने लगे थे।

संजय गांधी का जीवन एक तरह से उथल-पुथल भरा था, जिसमें राजनीति के प्रति उनका रुझान और उनके परिवार का प्रभाव साफ दिखाई देता था।

संजय गांधी का राजनीतिक जीवन

संजय गांधी का राजनीतिक जीवन बहुत ही कम समय में उथल-पुथल से भरा रहा। उनका राजनीति में प्रवेश 1970 के दशक के मध्य में हुआ, और उनका प्रभाव भारतीय राजनीति पर गहरा था, हालांकि वे कभी भी सीधे प्रधानमंत्री पद तक नहीं पहुंचे। संजय गांधी की राजनीति में सक्रियता उनके परिवार की राजनीतिक विरासत से जुड़ी थी, और उनके व्यक्तित्व का एक हिस्सा था।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

संजय गांधी ने 1971 में राजनीति में कदम रखा, जब उन्होंने इंदिरा गांधी की प्रधानमंत्री के रूप में मदद करना शुरू किया। हालांकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से राजनीति में सक्रियता 1975 के आपातकाल के बाद शुरू की, जब उनकी मां इंदिरा गांधी ने इसे लागू किया। संजय गांधी को आपातकाल के दौरान एक शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में देखा गया।

आपातकाल (1975-1977)

1975 में इंदिरा गांधी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू किया, जिसके बाद संजय गांधी को भारतीय राजनीति में और भी ताकत मिली। उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indira) पार्टी के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई थी, और उनका हाथ भारतीय प्रशासन की कई योजनाओं में था। संजय गांधी ने भारतीय राजनीति में अपने प्रभाव का उपयोग करके कई कठोर कदम उठाए, जैसे:

निवासियों की जबरन नसबंदी संजय गांधी ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए भारत में एक विवादास्पद नसबंदी अभियान चलाया, जिसके कारण वे आलोचनाओं के घेरे में आए।

शहरीकरण और पुनर्वास योजनाएं संजय गांधी ने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को पुनर्वासित करने की योजना बनाई और शहरीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश की।

शिक्षा और रोजगार उन्होंने विशेष रूप से युवाओं के लिए विभिन्न रोजगार और प्रशिक्षण योजनाओं को बढ़ावा दिया, हालांकि कई आलोचकों का कहना था कि यह योजनाएं सही तरीके से लागू नहीं हो पाईं।

कांग्रेस पार्टी से अलगाव और 1977 का चुनाव

संजय गांधी की बढ़ती शक्ति और उनकी राजनीति की शैली ने पार्टी में कई नेताओं को नाराज किया। उनके कड़े और उग्र रवैये के कारण पार्टी के भीतर विद्रोह हुआ। 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद, कांग्रेस पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। संजय गांधी ने भी इसके बाद भारतीय राजनीति में कुछ समय के लिए सक्रियता कम की।

 राजनीति में वापसी और 1980 के दशक की शुरुआत

1977 में चुनाव हारने के बाद, संजय गांधी ने कुछ समय तक राजनीति से दूरी बना ली। 1980 में कांग्रेस पार्टी फिर से सत्ता में आई, और इंदिरा गांधी की प्रधानमंत्री के रूप में वापसी हुई। इस दौरान संजय गांधी ने फिर से राजनीति में कदम रखा और पार्टी के युवाओं के बीच प्रभावी नेतृत्व के रूप में उभरे। 1980 के लोकसभा चुनाव में संजय गांधी को दिल्ली से संसद में भेजा गया।

विमानन और औद्योगिकीकरण

संजय गांधी का राजनीति से जुड़े एक अन्य पहलू उद्योग और विमानन था। उन्होंने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और भारतीय विमानन क्षेत्र में कई सुधार की कोशिश की। इसके अलावा, उन्होंने भारत में औद्योगिकीकरण के लिए कई योजनाएं बनाई, हालांकि उनकी योजनाएं अक्सर आलोचना का कारण भी बनीं।

मृत्यु और विरासत

संजय गांधी की राजनीतिक यात्रा 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में उनकी असामयिक मृत्यु के साथ समाप्त हो गई। उनकी मृत्यु ने भारतीय राजनीति को गहरे शोक में डुबो दिया। संजय गांधी के बाद उनके छोटे भाई राजीव गांधी ने राजनीति में कदम रखा और अंततः भारत के प्रधानमंत्री बने।

संजय गांधी का राजनीतिक जीवन छोटे समय में ही बहुत प्रभावशाली था, और उनके द्वारा उठाए गए कदमों ने भारतीय राजनीति को गहरे तौर पर प्रभावित किया। उनकी योजनाएं अक्सर विवादों से घिरी रहीं, लेकिन वे एक प्रेरणादायक और विवादास्पद नेता के रूप में याद किए जाते हैं।

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