Columbus

प्रदूषण से बिगड़ती सेहत: जानिए कैसे बचाएं खुद को जहरीली हवा से – अपनाएं ये असरदार घरेलू उपाय

🎧 Listen in Audio
0:00

आज हमारी धरती एक गंभीर संकट से जूझ रही है। जहां कभी हरियाली लहराती थी, वहां अब धूल, धुआं और जहरीली गैसें तैरती हैं। खासकर भारत की राजधानी दिल्ली की हवा तो सांस लेना भी मुश्किल बना रही है। बीते गुरुवार की धूल भरी आंधी के बाद दिल्ली की हवा और भी ज़हरीली हो गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शुक्रवार सुबह 7 बजे तक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 305 दर्ज किया गया, जो "बहुत खराब" श्रेणी में आता है।

वायु प्रदूषण: एक अदृश्य खतरा

वायु प्रदूषण का मतलब सिर्फ धुआं या गंदगी नहीं है, बल्कि इसमें सूक्ष्म कण और हानिकारक गैसें होती हैं, जो हमारे शरीर में जाकर गंभीर बीमारियों का कारण बनती हैं। PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।

2023 में AIIMS द्वारा किए गए एक शोध में खुलासा हुआ कि दिल्ली और चेन्नई के करीब 9,000 लोगों की सेहत पर वायु प्रदूषण का गहरा असर देखा गया। खास बात यह रही कि प्रदूषण का संबंध केवल अस्थमा या दिल की बीमारियों से नहीं है, बल्कि टाइप-2 डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी है। डॉक्टर सिद्धार्थ मंडल की अगुवाई में हुए इस अध्ययन में यह पाया गया कि PM 2.5 कण शरीर में इंसुलिन की क्रिया को प्रभावित करते हैं, जिससे डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।

प्रदूषण से होने वाली बीमारियां: 

प्रदूषण सिर्फ एक पर्यावरणीय समस्या नहीं है, बल्कि ये हमारी सेहत के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। हवा में मौजूद धूल, धुआं, गैसें और रसायन धीरे-धीरे हमारे शरीर को बीमारियों की ओर धकेल रहे हैं। आइए जानते हैं कि प्रदूषित हवा से कौन-कौन सी बीमारियां बढ़ रही हैं और किन लोगों पर इसका असर ज्यादा होता है:

  • सांस की बीमारियां: वायु प्रदूषण का सबसे पहला असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण और धुआं सांस के जरिए शरीर में पहुंचते हैं। इससे अस्थमा (दमा), ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि फेफड़ों का कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बच्चों और बुजुर्गों में ये समस्याएं और भी गंभीर रूप ले सकती हैं।
  • दिल की बीमारियां: प्रदूषण से सिर्फ फेफड़े ही नहीं, बल्कि दिल भी प्रभावित होता है। हवा में मौजूद जहरीले तत्व रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को बढ़ा सकते हैं और इससे हार्ट अटैक का खतरा पैदा हो सकता है। रिसर्च के अनुसार, लगातार प्रदूषित हवा में रहने से दिल की धमनियां सिकुड़ सकती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: हवा में मौजूद रसायन शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं। इससे व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ने लगता है। सर्दी-जुकाम, बुखार, संक्रमण और अन्य वायरल बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग, जैसे बच्चे और बुजुर्ग, सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
  • आंखों और त्वचा पर असर: प्रदूषण के कारण हवा में घुले रसायन आंखों में जलन, सूजन और पानी आना जैसी समस्याएं पैदा करते हैं। साथ ही, त्वचा पर भी बुरा असर पड़ता है। एलर्जी, दाने, खुजली और रैशेज जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। लगातार प्रदूषित माहौल में रहने से त्वचा की चमक भी खत्म हो सकती है।
  • बच्चों और बुजुर्गों पर ज्यादा असर: प्रदूषण से छोटे बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा होता है। बच्चों का फेफड़ा और इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता, इसलिए हवा में मौजूद टॉक्सिन्स उन पर जल्दी असर डालते हैं। वहीं बुजुर्गों की प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर होती है, जिससे उन्हें सांस, हृदय और आंखों की समस्याएं ज्यादा घेरती हैं।

पर्यावरण पर प्रदूषण का असर

प्रदूषण का असर केवल इंसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। हवा, पानी और मिट्टी में मौजूद जहरीले पदार्थ पर्यावरण की प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ देते हैं। सबसे ज्यादा असर ओजोन परत पर पड़ता है, जो सूरज की हानिकारक किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है। प्रदूषण की वजह से ओजोन परत कमजोर हो रही है, जिससे पृथ्वी पर गर्मी बढ़ रही है और ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्या सामने आ रही है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में अनियमित बदलाव हो रहे हैं, जैसे असमय बारिश, सूखा, बाढ़ और चक्रवात। ये प्राकृतिक असंतुलन खेती को नुकसान पहुंचाते हैं और फसलों की पैदावार कम हो जाती है। इसके चलते खाद्यान्न की कमी होने लगती है, जो सीधे मानव जीवन को प्रभावित करता है। इसलिए प्रदूषण को कम करना और पर्यावरण की सुरक्षा करना हम सब की जिम्मेदारी है ताकि हमारा भविष्य सुरक्षित रह सके।

प्रदूषण से बचाव के लिए जरूरी उपाय

  • घर को बनाएं हरा-भरा ग्रीन ज़ोन: अपने घर में ऐसे पौधे लगाएं जो हवा को साफ करने में मदद करें। रबर प्लांट, स्नेक प्लांट, मनी प्लांट और एलोवेरा जैसे इनडोर प्लांट हवा से हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाते हैं। इन पौधों को गमले, मिट्टी और जैविक खाद की मदद से अपने घर के कोनों, बालकनी या खिड़कियों के पास सजाएं। यह प्राकृतिक तरीका न केवल सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि घर की हवा को भी स्वच्छ बनाता है।
  • स्मार्ट और पर्यावरण मित्र यात्रा को अपनाएं: प्रदूषण कम करने का एक बड़ा उपाय है स्मार्ट ट्रैवलिंग। जहां संभव हो, पैदल चलें या साइकिल का प्रयोग करें। इससे न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि आपकी सेहत भी सुधरेगी। पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे मेट्रो, बस आदि का इस्तेमाल करें। यदि आपको रोज यात्रा करनी होती है तो कारपूलिंग करें, जिससे एक ही गाड़ी में कई लोग सफर कर सकें। इलेक्ट्रिक वाहन को प्राथमिकता दें, जो पर्यावरण के लिए कम नुकसानदायक होते हैं।

  • धूम्रपान से बनाएं दूरी: सिगरेट और बीड़ी का धुआं केवल फेफड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि आसपास की हवा को भी जहरीला बनाता है। इससे घर, दफ्तर और सार्वजनिक स्थानों की हवा खराब होती है। अगर आप खुद धूम्रपान नहीं करते, तो भी धूम्रपान करने वाले स्थानों से दूर रहें, क्योंकि परोक्ष धुएं (passive smoke) से भी स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। यह आदत बदलकर आप अपने साथ दूसरों की सेहत भी बचा सकते हैं।
  • उद्योगों और फैक्ट्रियों में कड़ा नियंत्रण जरूरी: बड़े पैमाने पर प्रदूषण का एक मुख्य कारण हैं फैक्ट्रियां और उद्योग। इन्हें फिल्टर सिस्टम से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि धुएं और हानिकारक गैसों को सीधे हवा में न छोड़ा जाए। औद्योगिक कचरे को भी सही तरीके से निस्तारित किया जाना चाहिए, जिससे मिट्टी और जल प्रदूषण न बढ़े। सरकार और उद्योगपति दोनों को इस दिशा में सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
  • सामूहिक प्रयास से लाएं बड़ा बदलाव: प्रदूषण को हराने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति का प्रयास काफी नहीं है। इसके लिए सामूहिक जागरूकता और सहयोग जरूरी है। स्कूलों, ऑफिसों और सोसायटी में पर्यावरण को लेकर जागरूकता अभियान चलाएं। पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित करें, बच्चों को पर्यावरण से जोड़ें और सभी को जिम्मेदारी का एहसास कराएं। जब पूरा समाज साथ आता है, तभी असली बदलाव संभव होता है।

स्वच्छ हवा के लिए घरेलू उपाय

  1. सुबह-सुबह खिड़कियां खोलें: हर दिन सुबह के समय थोड़ी देर के लिए घर की खिड़कियां और दरवाज़े खोल दें। इससे अंदर-बाहर की हवा का आदान-प्रदान होता है और ताज़ा हवा घर में आती है। इस प्राकृतिक वेंटिलेशन से घर की बंद और प्रदूषित हवा बाहर निकल जाती है और वातावरण में ताज़गी आती है। यह तरीका बिना किसी खर्च के सबसे सरल उपाय है।
  2. हर्बल धूप और लोबान जलाएं: घर की हवा को शुद्ध करने के लिए हर्बल धूप या लोबान जलाना बहुत लाभकारी होता है। यह न सिर्फ घर को अच्छी खुशबू देता है, बल्कि हवा में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और कीटाणुओं को भी खत्म करता है। रोज शाम या सुबह कुछ मिनट के लिए घर के कोनों में धूप या लोबान घुमाएं, खासकर पूजा स्थान और बेडरूम में।
  3. गुड़-तुलसी का काढ़ा पिएं: सर्दी-खांसी और प्रदूषण से लड़ने में गुड़ और तुलसी का काढ़ा बेहद फायदेमंद होता है। ये दोनों ही चीज़ें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को मजबूत बनाती हैं। काढ़ा बनाने के लिए तुलसी के पत्ते, थोड़ा सा गुड़, अदरक और काली मिर्च पानी में उबालें और दिन में एक बार पिएं।
  4. नाक में सरसों का तेल लगाएं: बाहर निकलने से पहले नाक के अंदर हल्का सरसों का तेल लगाने से धूल, धुएं और सूक्ष्म कणों से बचाव होता है। यह एक प्राकृतिक फ़िल्टर की तरह काम करता है और हानिकारक कणों को शरीर में जाने से रोकता है। खासकर ठंड के मौसम में यह उपाय और भी फायदेमंद होता है, जब हवा में प्रदूषण ज्यादा होता है।

क्या करें जब AQI हो बहुत खराब?

जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बहुत खराब हो, तो हमें अपनी सेहत का खास ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। ऐसे समय में बाहर निकलते समय हमेशा मास्क पहनना चाहिए, खासकर N95 या N99 मास्क का इस्तेमाल करें, जो हानिकारक धूल और प्रदूषक कणों से आपकी नाक और फेफड़ों की रक्षा करता है। इसके अलावा, सांस लेने वाली कोई भी भारी-भरकम या बाहर की गतिविधि, जैसे दौड़ना या व्यायाम करना, घर के अंदर ही करें ताकि प्रदूषित हवा से बचा जा सके।

खासकर छोटे बच्चे, बुजुर्ग और जिन्हें सांस की बीमारी होती है, उन्हें बाहर निकलने से बचाएं क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और प्रदूषण का असर उन पर ज्यादा होता है। घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें और हवा को शुद्ध रखने के लिए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही, घर में पौधे लगाकर प्राकृतिक तरीके से हवा को साफ करने की कोशिश करें। इन सावधानियों को अपनाकर आप खुद को और अपने परिवार को प्रदूषण के गंभीर प्रभावों से बचा सकते हैं।

प्रदूषण से लड़ाई केवल सरकार या किसी संस्था की जिम्मेदारी नहीं है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। अगर हम आज सजग नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ियों को केवल धूल, धुआं और बीमारियां ही विरासत में मिलेंगी। इसलिए आज ही तय करें कि हम अपने घर, समाज और शहर को प्रदूषण से मुक्त बनाएंगे। पौधे लगाएं, वाहन कम चलाएं और जागरूक बनें। यही एक स्थायी समाधान है साफ हवा और बेहतर स्वास्थ्य का।

Leave a comment