हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से हार्ट फेलियर का खतरा क्यों बढ़ रहा है? जानें इसके पीछे की वजहें और सावधानियां

हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से हार्ट फेलियर का खतरा क्यों बढ़ रहा है? जानें इसके पीछे की वजहें और सावधानियां
Last Updated: 05 अक्टूबर 2024

High Blood Pressure and Diabetes: तेजी से बदलती जीवनशैली और अनियमित खानपान के कारण आजकल कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं सामने आ रही हैं। इनमें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का प्रभाव सबसे अधिक है, जो हृदय रोगों के प्रमुख कारकों में से एक बनते जा रहे हैं। जिन व्यक्तियों को ये दोनों समस्याएं होती हैं, उनमें हार्ट अटैक (Heart Attack) और हार्ट फेलियर का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।

आधुनिक जीवनशैली और बदलते खानपान की आदतें आजकल कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही हैं। खासकर हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और डायबिटीज (Diabetes) जैसी बीमारियों का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है। ये दोनों स्थितियां हृदय पर गहरा असर डालती हैं और हार्ट फेलियर (Heart Failure) जैसी गंभीर समस्याओं का मुख्य कारण बन सकती हैं।

हार्ट फेलियर: एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या क्या है?

हार्ट फेलियर (Heart Failure) का अर्थ यह नहीं है कि हृदय पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है। इसका मतलब है कि हृदय की मांसपेशी इतनी कमजोर हो जाती है कि वह शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाती। यह एक क्लिनिकल सिंड्रोम है जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है

हार्ट फेलियर के मुख्य कारण: हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज

मेडिकल ट्रस्ट हॉस्पिटल, कोच्चि के कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. सागी वी कुरुट्टुकुलम के अनुसार, हार्ट फेलियर (Heart Failure) के मुख्य कारणों में इस्केमिक हार्ट डिजीज (हृदय की धमनियों में रुकावट), हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और डायबिटीज (Diabetes) शामिल हैं। अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 75% हार्ट फेलियर के मरीज पहले से ही उच्च रक्तचाप से प्रभावित होते हैं। सामान्य ब्लड प्रेशर वाले लोगों की तुलना में, उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) से ग्रस्त लोगों में हार्ट फेलियर का खतरा दोगुना हो जाता है।

अन्य कारण: कार्डियोमायोपैथी और वाल्व रोग

हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) और डायबिटीज (Diabetes) के अलावा, हार्ट फेलियर के अन्य कारणों में कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों का विकार), टॉक्सिन्स (जैसे अल्कोहल और सायटोटॉक्सिक दवाएं), वाल्वुलर डिजीज (हृदय के वाल्व की समस्या) और एरिथमिया (अनियमित धड़कन) शामिल हैं। इन स्थितियों में हृदय की क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

हार्ट फेलियर के लक्षण

हार्ट फेलियर (Heart Failure) के लक्षण सामान्यत निम्नलिखित होते हैं:

सांस लेने में कठिनाई

खांसी और घरघराहट

अत्यधिक थकान

मतली और भूख में कमी

दिल की धड़कनों का तेज होना

इन लक्षणों को नजरअंदाज करना गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकता है, इसलिए समय रहते चिकित्सीय परामर्श लेना आवश्यक है।

हृदय को स्वस्थ रखने के तरीके

हार्ट फेलियर (Heart Failure) से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए जा सकते हैं। डॉ. सागी वी कुरुट्टुकुलम के अनुसार, स्वस्थ हृदय के लिए निम्नलिखित आदतें अपनानी चाहिए:

नमक का सेवन कम करें: प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

तरल पदार्थ की मात्रा सीमित करें: रोजाना 1.5 से 2 लीटर तरल पदार्थ का सेवन करें।

वजन पर नियंत्रण रखें: वजन घटाने और शारीरिक गतिविधियों को प्राथमिकता दें।

नियमित व्यायाम करें: सप्ताह में 3-4 दिन, कम से कम 20 मिनट का व्यायाम करें।

धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन सीमित करें।

तनाव को नियंत्रित करें: मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और तनाव कम करने के उपाय अपनाएं।

जीवनशैली में बदलाव: हार्ट फेलियर से बचाव के उपाय

डॉ. कुरुट्टुकुलम के अनुसार, इन उपायों को जीवनशैली का हिस्सा बनाकर न केवल जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है, बल्कि हार्ट फेलियर (Heart Failure) जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से न केवल हृदय स्वस्थ रहेगा, बल्कि समग्र स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।

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