अजीम प्रेमजी: विप्रो के संस्थापक, उनका जीवन, और बिजनेस साम्राज्य की कहानी

अजीम प्रेमजी: विप्रो के संस्थापक, उनका जीवन, और बिजनेस साम्राज्य की कहानी
Last Updated: 19 अगस्त 2024

अजीम प्रेमजी: विप्रो के संस्थापक, उनका जीवन, और बिजनेस साम्राज्य की कहानी

अजीम प्रेमजी का जन्म और प्रारंभिक जीवन: अजीम हाशिम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई, भारत में हुआ था। उनका परिवार एक व्यापारिक पृष्ठभूमि से आता था, और उनके पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी ने 1945 में 'वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड' की स्थापना की थी। यह कंपनी मूल रूप से वनस्पति तेल का उत्पादन करती थी, जिसे बाद में 'विप्रो' के नाम से जाना गया।

अजीम प्रेमजी का बचपन बहुत साधारण था, लेकिन उन्होंने शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को हमेशा प्राथमिकता दी। वे बेहद मेधावी छात्र थे और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई से पूरी की। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने अमेरिका की प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, जहां वे इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे।

जवानी और व्यापार की शुरुआत: 1966 में, जब अजीम प्रेमजी सिर्फ 21 वर्ष के थे, उनके पिता का अचानक निधन हो गया। उस समय वे स्टैनफोर्ड में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे थे, लेकिन परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़कर भारत वापस आना पड़ा। उनके नेतृत्व में 'वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स' ने खाद्य तेल से लेकर साबुन और अन्य उपभोक्ता उत्पादों में अपना व्यापार बढ़ाया।

विप्रो का पुनर्गठन और आईटी में विस्तार: 1970 के दशक के अंत में, अजीम प्रेमजी ने आईटी और सॉफ्टवेयर सेवा उद्योग की बढ़ती संभावनाओं को पहचाना। उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर 'विप्रो' कर दिया और इसे एक बहुआयामी कंपनी में तब्दील करने का निर्णय लिया। 1980 के दशक में, उन्होंने कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सेवाओं के क्षेत्र में निवेश करना शुरू किया।

उनके इस दूरदर्शी कदम ने विप्रो को एक छोटी सी तेल कंपनी से निकालकर एक बहुराष्ट्रीय आईटी सेवा कंपनी बना दिया। अजीम प्रेमजी ने विप्रो को एक मजबूत नैतिकता और उच्च गुणवत्ता वाले मानकों पर खड़ा किया, जिससे कंपनी को वैश्विक आईटी उद्योग में अपनी पहचान बनाने में मदद मिली।

विप्रो का वैश्विक कारोबार: वर्तमान में, विप्रो 50 से अधिक देशों में अपनी सेवाएं प्रदान करती है और इसके ग्राहक दुनिया भर में फैले हुए हैं। कंपनी ने क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, डेटा एनालिटिक्स, और एआई जैसी आधुनिक तकनीकों में महत्वपूर्ण निवेश किया है।

विप्रो की सफलता का श्रेय अजीम प्रेमजी के नेतृत्व और उनके द्वारा अपनाई गई उत्कृष्ट प्रबंधन रणनीतियों को जाता है। उन्होंने विप्रो को एक साधारण व्यवसाय से निकालकर एक बहुआयामी आईटी सेवा कंपनी में तब्दील किया, जिसने दुनिया भर के कई उद्योगों में अपनी पहचान बनाई है।

व्यक्तिगत जीवन और परिवार: अजीम प्रेमजी का निजी जीवन भी बहुत अनुशासित और सादा रहा है। वे अपनी पत्नी यास्मीन प्रेमजी के साथ एक सादा जीवन जीते हैं। उनके दो बेटे हैं, रिशद प्रेमजी और तारिक प्रेमजी। रिशद प्रेमजी ने 2019 में विप्रो के चेयरमैन के रूप में अपने पिता का स्थान लिया, जबकि अजीम प्रेमजी ने अब अपने परोपकारी कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया है।

परोपकार और संपत्ति: अजीम प्रेमजी न केवल एक सफल व्यवसायी हैं, बल्कि वे भारत के सबसे बड़े परोपकारी भी हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान में दे दिया है। 2010 में उन्होंने 'अजीम प्रेमजी फाउंडेशन' की स्थापना की, जो शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में काम करता है।

विरासत और निष्कर्ष: अजीम प्रेमजी ने विप्रो को एक छोटी सी तेल कंपनी से निकालकर एक वैश्विक आईटी सेवा कंपनी में तब्दील किया, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में तकनीकी उद्योग में एक नई क्रांति आई। उनकी विरासत आज भी विप्रो के रूप में जिंदा है, जो उनकी नैतिकता, दूरदर्शिता और नेतृत्व का प्रतीक है।

"अजीम प्रेमजी: 76,000 करोड़ की संपत्ति के साथ भारत के सबसे बड़े परोपकारियों में से एक"

अजीम प्रेमजी की संपत्ति का अनुमान 2023 में लगभग 9.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 76,000 करोड़ भारतीय रुपये) था। वह भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक हैं और उनकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा विप्रो लिमिटेड में उनके हिस्से से आता है।

हालांकि, अजीम प्रेमजी को उनकी परोपकारी गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया है। 2019 में, उन्होंने घोषणा की थी कि वे अपनी संपत्ति का 34 प्रतिशत (जो उस समय लगभग 7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर था) परोपकारी कार्यों के लिए दान कर रहे हैं। उनकी यह पहल उन्हें दुनिया के सबसे बड़े परोपकारियों में से एक बनाती है।

इसलिए, अगर उनकी दान की गई संपत्ति को भी शामिल किया जाए, तो उनकी कुल संपत्ति का आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है।

अजीम प्रेमजी, विप्रो के संस्थापक और पूर्व चेयरमैन, अब अपनी अधिकतर ऊर्जा और समय परोपकारी कार्यों में लगा रहे हैं। उन्होंने 2019 में विप्रो के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था और अब वे "अजीम प्रेमजी फाउंडेशन" के माध्यम से शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। यह फाउंडेशन भारत के विभिन्न हिस्सों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने और सामाजिक कल्याण के कार्यों में सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

अजीम प्रेमजी ने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान कर दिया है और वे इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। उनके परोपकारी कार्यों ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में एक सम्मानित स्थान दिलाया है। आज भी वे अपने सरल जीवन और समाज सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं।

अजीम प्रेमजी ने न केवल एक सफल व्यवसाय खड़ा किया, बल्कि उन्होंने समाज की सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके जीवन की कहानी युवा उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है, जो उन्हें यह सिखाती है कि कैसे सही दृष्टिकोण, नैतिकता और नेतृत्व के माध्यम से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।

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