Rogan Painting: 400 साल पुरानी है Rogan Painting की अद्भुत कला, कपड़ों को बिना छुए करते हैं चित्रकारी, जानें इसकी खासियत

Rogan Painting: 400 साल पुरानी है Rogan Painting की अद्भुत कला, कपड़ों को बिना छुए करते हैं चित्रकारी, जानें इसकी खासियत
Last Updated: 2 दिन पहले

किसी भी देश की संस्कृति और इतिहास को समझने के लिए वहां की पेंटिंग्स और कलाकृतियां महत्वपूर्ण होती हैं। भारत के गुजरात राज्य के कच्छ जिले से उत्पन्न रोगन पेंटिंग (Rogan Painting) भी अपने अंदर कई ऐतिहासिक कहानियां समेटे हुए है। यह पेंटिंग फारस से आई थी, और भारत पहुंचकर इसने यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर में एक विशेष स्थान हासिल कर लिया हैं। 

Rogan Painting: कच्छ के रेगिस्तान से उड़ते धूल के कणों में एक विशेष कला का विकास हुआ है। यह कला है रोगन पेंटिंग, जहां रंगों का जादू तेल की बूंदों के साथ मिलकर एक अनोखी चित्रकारी का निर्माण करता है। यदि आप कला और सौंदर्यशास्त्र में रुचि रखते हैं, तो रोगन पेंटिंग (Rogan Painting) के बारे में आपकी जानकारी जितनी बढ़ेगी, आपकी जिज्ञासा भी उतनी ही बढ़ती जाएगी। इस लेख में हम इस पेंटिंग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण और रोचक जानकारियों के बारे में जानेंगे। आइए, शुरू करते हैं।

रोगन पेंटिंग - एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण

रोगन पेंटिंग की उत्पत्ति फारस से मानी जाती है, जिसे वर्तमान में ईरान कहा जाता है। लगभग 400 वर्ष पहले, यह अद्भुत कला गुजरात के निरोना गांव में आई, जहां के खत्री समुदाय ने इसे अपनाया और इसे अपने कला का हिस्सा बना लिया। मुगल काल के दौरान भी इस कला का अत्यधिक प्रचलन रहा, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया। "रोगन" का अर्थ फारसी में वार्निश या तेल होता है, जो इस कला की विशेषता को दर्शाता हैं।

रंगों की दुनिया- एक अद्भुत और आकर्षक स्थल 

रोगन पेंटिंग में रंगों को अरंडी के तेल के साथ तैयार किया जाता है। अरंडी के बीजों को हाथ से कुचलकर एक पेस्ट बनाया जाता है, जिसे फिर उबाला जाता है। इस पेस्ट को विभिन्न रंगीन पाउडर के साथ मिलाकर पानी में घोला जाता है। पीले, लाल, नीले, हरे, काले और नारंगी जैसे अनेक रंगों के पेस्ट को मिट्टी के बर्तनों में रखा जाता है ताकि वे सूख जाएं। इन रंगों को कपड़े पर उकेरने के लिए लोहे की छड़ का इस्तेमाल किया जाता हैं।

कपड़े पर रंगों का खेल- एक अद्भुत कला

रोगन पेंटिंग में कपड़ों पर डिज़ाइन बनाने के लिए धातु के ब्लॉक का उपयोग किया जाता है। पहले, कलाकार पहले कपड़ों पर डिज़ाइन बनाते थे और फिर उसी डिज़ाइन को धातु के ब्लॉक पर उकेरते थे। इस ब्लॉक को रंग में डुबोकर कपड़ों पर दबाया जाता था। आजकल, इस तकनीक का उपयोग कुशन कवर, बेड स्प्रेड, स्कर्ट, कुर्ते, पर्दे, मेजपोश आदि को डिज़ाइन करने के लिए किया जा रहा हैं। 

एक कला जिसकी रक्षा करना हैं आवश्यक

समय के साथ रोगन पेंटिंग के कलाकारों की संख्या में कमी आती जा रही है। हालांकि, कुछ कलाकार अभी भी इस अद्भुत कला को जीवित रखने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। रोगन पेंटिंग भारत की एक अनमोल धरोहर है, और इसका संरक्षण करना हम सभी की जिम्मेदारी हैं।

रोगन पेंटिंग (Rogan Painting)

रोगन पेंटिंग केवल एक कला नहीं है, बल्कि यह एक गहरी भावना का प्रतीक है। यह कला कच्छ के रेगिस्तान की तरह ही विविधता और रंगों से भरी हुई है। यह हमें यह सिखाती है कि साधारण वस्तुओं से कितनी अद्भुत और आकर्षक चीजें बनाई जा सकती हैं।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

रोगन पेंटिंग को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने के प्रयास जारी हैं। रोगन पेंटिंग के उत्पादों की विदेशों में भी काफी मांग है। भारत सरकार ने रोगन पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएँ प्रारंभ की हैं।

 

 

 

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