मालदीव अब अपनी वास्तविक स्थिति में लौटने लगा है। चीन के समर्थन वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने धीरे-धीरे अपने रवैये में बदलाव करना शुरू कर दिया है। अपनी आगामी भारत यात्रा से पहले, मुइज्जू ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियां करने वाले तीन में से दो मंत्रियों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
Maaldiv: मालदीव के दो मंत्रियों ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके तुरंत बाद, मोहम्मद मुइज्जू के कार्यालय ने भारत की आधिकारिक यात्रा की घोषणा की। इन मंत्रियों ने पीएम मोदी पर विवादास्पद टिप्पणी की थी। अभी तक मोहम्मद मुइज्जू की यात्रा की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन वे जल्द ही नई दिल्ली की यात्रा पर आने वाले हैं।
दो मंत्रियों ने छोड़ा पद
मालदीव के तीन उप-मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर भारत और प्रधानमंत्री मोदी के बारे में विवादास्पद टिप्पणियां की थीं, जिसके बाद भारत और मालदीव के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया। हालांकि, मालदीव के विदेश मंत्रालय ने इन मंत्रियों की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया और कहा कि ये टिप्पणियां माले सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं। इसके नतीजे स्वरूप तीन उप-मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया। इनमें से उप-मंत्री मरियम शिउना और मालशा शरीफ ने मंगलवार को अपना इस्तीफा पेश कर दिया।
मुइज्जू की होगी भारत में एंट्री
मोहम्मद मुइज्जू के कार्यालय की प्रमुख प्रवक्ता हीना वलीद ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति जल्द ही भारत की आधिकारिक यात्रा करने वाले हैं। हालांकि, अभी तक यात्रा की तारीख का चयन नहीं किया गया है, लेकिन दोनों देश इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं। चीन के समर्थक मोहम्मद मुइज्जू ने 9 जून को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था।
मुइज्जू ने परंपरा का किया उल्लंघन
मालदीव में हर नए राष्ट्रपति ने अपनी पहली आधिकारिक यात्रा भारत की करने की परंपरा का पालन किया है। लेकिन मोहम्मद मुइज्जू ने इस परंपरा को नकारते हुए सबसे पहले तुर्किये की यात्रा की। इसके बाद उन्होंने चीन की राजकीय यात्रा की।
मालदीव में नागरिकों को किया तैनात
मुइज्जू के सत्ता में आने से भारत और मालदीव के बीच के रिश्तों में तनाव पैदा हो गया है। उनकी शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद, मुइज्जू ने घोषणा की कि मालदीव में भारतीय सैनिकों को हटाया जाएगा, जो कि भारत द्वारा उपहार में दिए गए तीन विमानन प्लेटफार्मों पर तैनात थे। इसके स्थान पर, मालदीव ने अपने नागरिकों की तैनाती का निर्णय लिया।