फिनिश जनता ने पिछले साल करीब 5 बिलियन यूरो बिजली के बिल के रूप में अतिरिक्त भुगतान किया: YLE की रिपोर्ट

फिनिश जनता ने  पिछले साल करीब 5 बिलियन यूरो बिजली के बिल के रूप में अतिरिक्त भुगतान किया: YLE की रिपोर्ट
Last Updated: 23 मार्च 2023

 

आल्टो विश्वविद्यालय (Aalto University) के एक प्रोफेसर के अनुसार, फिनलैंड की बिजली मूल्य निर्धारण प्रणाली के कारण उपभोक्ताओं को 2022 की दूसरी छमाही के दौरान जितना भुगतान करना चाहिए था, उससे अधिक भुगतान करना पड़ा है।

कुछ परिवारों ने पिछले साल अपने बिजली बिलों को दोगुने से अधिक देखा, ये काफी दर्दनाक था।

जुलाई और दिसंबर 2022 के बीच, बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं से औसतन 25 सेंट प्रति KwH चार्ज किया। इसकी तुलना में, 2020 में औसत कीमत 3.5 सेंट प्रति KwH थी।

उत्पादन की लागत उतनी ही पर बिल कई गुना ज्यादा।

बिजली की कीमतों में वृद्धि को आम तौर पर यूक्रेन रूस वार और रूसी तेल और गैस की आपूर्ति में बाद में कठिनाइयों को जिम्मेदार ठहराया गया है। यह देखते हुए कि बिजली उत्पादन लागत कमोबेश एक जैसी ही रही है, आल्टो यूनिवर्सिटी (Aalto University) के इंजीनियरिंग भौतिकी के प्रोफेसर पीटर लुंड ने yle को बताया था ( yle के अनुसारकि उपभोक्ताओं को दिया गया बिल अनुचित रूप से बड़ा हो सकता है। क्यों की बिजली की उत्पादन लागत लगभग उतनी ही है जितनी ऊर्जा संकट से पहले थी। स्वच्छ ऊर्जा उत्पादकों को इस स्थिति से अत्यधिक लाभ होने की संभावना है। ऊर्जा संकट वास्तव में ऊर्जा उत्पादक कंपनियों के लिए दोनों हाथो से सोना बटोरने जैसा है।

प्रोफेसर का कहना है कि यूरोपीय संघ के व्यापक ऊर्जा बाजार में काफी हद तक दोष है।

लुंड ने स्पष्ट किया कि फोर्टम (fortum )और यूपीएम (UPM) जैसी ऊर्जा कंपनियों को बिजली बाजार प्रणाली के मूल्य निर्धारण प्रथाओं से काफी ज्यादा  लाभ हुआ है,क्यों की प्रथा अनुसार बिजली की कीमतें सबसे महंगे ऊर्जा स्रोत द्वारा निर्धारित की जाती हैं। यूरोपीय संघ में विभिन्न स्रोतों की बिजली की कीमतों को बराबर करके, सीमांत मूल्य निर्धारण मध्यम ऊर्जा खपत और कुशल बिजली उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाता है और मूल्य निर्धारण की इसी प्रथा के कारन उपभोगताओं को ज्यादा बिल का भुगतान करना पड़ा है।

 

सरकार की सोच ये है की आम तौर पर जीवाश्म ईंधन बिजली का उत्पादन करना महंगा है, और इसलिए सीमांत मूल्य निर्धारण बिजली उत्पादन कंपनियों को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा जैसे की पवन और सौर ऊर्जा में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यही कारण है कि ऊर्जा कंपनी फोर्टम (fortum ) और  यूपीएम(UPM) जैसी कंपनियों को कीमतों में वृद्धि के कारण ऊर्जा संकट के दौरान दोगुना से ज्यादा मुनाफा हुआ है। क्यों की ये कम्पनियाँ स्वच्छ ऊर्जा जैसे की पवन और सौर ऊर्जा में ज्यादा निवेश करती हैं और इनका  उत्पादन लागत कम रहा है।

 

 

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