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भारत ने रचा इतिहास! लेजर हथियार से लैस हुआ देश, बना हाई-पावर DEW तकनीक वाला चौथा देश

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भारत ने आधुनिक युद्ध तकनीक में एक बड़ी छलांग लगाते हुए 30-किलोवाट के शक्तिशाली लेजर सिस्टम का सफल परीक्षण कर लिया है। यह प्रणाली दुश्मन के ड्रोन और छोटे विमानों को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता रखती है। इस सफलता के साथ भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है।

नई दिल्ली: भारत ने सैन्य तकनीक के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए पहली बार 30-किलोवाट क्षमता वाला लेजर सिस्टम तैयार कर लिया है, जो दुश्मनों के छोटे विमानों, ड्रोन और यहां तक कि मिसाइलों व सेंसर सिस्टम को भी हवा में ही निष्क्रिय कर सकता है। यह एक डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (Directed Energy Weapon - DEW) है, जो बिना किसी गोली या बम के सिर्फ ऊर्जा की किरणों से निशाना बनाता है।

इस अत्याधुनिक तकनीक को हासिल करने के बाद भारत अब दुनिया के उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनमें अमेरिका, रूस, चीन, यूके और इजराइल शामिल हैं। ये सभी देश पहले से ही ‘स्टार वार्स’ जैसे हाईटेक हथियारों को विकसित कर रहे हैं।

कुरनूल में हुई क्रांतिकारी टेस्टिंग

आंध्र प्रदेश के कुरनूल में हुए लेजर-DEW मार्क-II(A) के परीक्षण में यह प्रणाली 3.5 किलोमीटर दूर तक अपने लक्ष्य को भेदने में सफल रही। परीक्षण में इस सिस्टम ने न सिर्फ एक छोटे विमान को मार गिराया, बल्कि ड्रोन के झुंड को भी एक-एक कर नष्ट किया। खास बात यह रही कि सिस्टम ने ड्रोन पर लगे सेंसर और कैमरों को भी निष्क्रिय कर दिया, जिससे दुश्मन की निगरानी और हमला क्षमता पूरी तरह ठप हो गई।

 तकनीक जो दुश्मन के इरादों को जला दे

इस आधुनिक हथियार को डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) के रूप में जाना जाता है। इसकी ताकत पारंपरिक मिसाइलों से अलग है। मिसाइल जहां ‘काइनेटिक किल्स’ करती हैं, वहीं लेजर ‘बीम किल्स’ करती है, यानी दुश्मन को रोशनी की तेज़ धार से खत्म किया जाता है। डीआरडीओ के डायरेक्टर-जनरल डॉ. बी. के. दास के अनुसार, यह भविष्य का हथियार है। यह कम खर्च में दुश्मन को हराने का तरीका है। खासकर लंबी लड़ाइयों में जब गोला-बारूद की खपत ज्यादा होती है, यह सिस्टम बेहद किफायती साबित होगा।

ड्रोन के खतरे से निपटने का नया हथियार

ड्रोन हमले आज आधुनिक युद्ध का नया चेहरा बन चुके हैं। भारत की यह सफलता ऐसे समय में आई है जब सीमाओं पर सस्ते और खतरनाक ड्रोन हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में यह 'इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम' दुश्मन के इरादों को हवा में ही खत्म कर सकता है। फिलहाल भारतीय सेना के पास 2-किलोवाट लेजर युक्त 23 सिस्टम हैं, जिनकी रेंज सीमित है। 

लेकिन 30-किलोवाट सिस्टम की सफलता के बाद अब डीआरडीओ 50 से 100-किलोवाट तक की क्षमता वाले DEWs पर काम कर रहा है। साथ ही हाई-एनर्जी माइक्रोवेव जैसी नई तकनीकों पर भी रिसर्च जारी है।

कम खर्च, ज्यादा असर

DEW का सबसे बड़ा फायदा इसकी ऑपरेशनल लागत है। एक अधिकारी के अनुसार, इसे कुछ सेकंड तक चलाने की लागत कुछ लीटर पेट्रोल जितनी ही है। यानी यह दुश्मनों को रोकने का सबसे सस्ता और टिकाऊ तरीका बन सकता है। DRDO के मुताबिक, यह सिस्टम अगले 12 से 18 महीनों में सेना की सेवा में शामिल हो सकता है। इसके लिए तकनीक को अब प्राइवेट कंपनियों के साथ साझा किया जाएगा ताकि बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन हो सके और इसे सेना के विमानों व युद्धपोतों पर तैनात किया जा सके।

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